ज्यादातर प्राकृतिक घटनाओं से कुछ दिनों या घंटों या कम से कम मिनटों पहले उसका अंदाजा लगा लिया जाता है, लेकिन भूकंप के आने से पहले इनसान उसके बारे में बिलकुल भी अंदाजा नहीं लगा पाता है. काफी समय से दुनियाभर के वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयासरत हैं.
‘रेडियो स्पूतनिक’ के मुताबिक, भूकंप से बचाव के लिए जर्मनी की एक कंपनी ने हाल ही में भारत में ‘ऑनसाइट अर्ली अर्थक्वेक एंड वॉर्निग सिस्टम’ पेश किया है. इस तकनीक को प्रयोग में लाने से भूकंप से होने वाली जानमाल के नुकसान में कमी लायी जा सकती है
भारत में यह इस तरह का पहला भूकंप की चेतावनी देने वाला यंत्र है, जो भूकंप आने से 30 सेकेंड पहले उसकी चेतावनी देगा. साथ ही यह भूकंप आने की स्थिति में गैस और बिजली सप्लाई रोक कर पावर बैकअप में डाल देगा. सभी आपातकाल द्वार भी खोल देगा, जिससे भूकंप के कारण कम से कम नुकसान हो. इसकी एक मास्टर मशीन की कीमत 16 लाख और मिनी मास्टर मशीन की कीमत 14 लाख बतायी गयी है. जर्मनी के जुर्गन प्रिजबायलेक ने इस तकनीक को सॉफ्टवेयर के रूप में विकसित किया है. यह उपकरण छह से अधिक की तीव्रता का भूकंप आने से 30 सेकेंड पहले ही उसकी चेतावनी दे देता है.
यह यंत्र वर्ष 2006 से 26 देशों में स्थापित किया जा चुका है. आइलैंड हैती में आने वाले भूकंप से पहले इस यंत्र ने 55 से 60 सेकेंड पहले भूकंप की सूचना दे दी थी. इस तकनीक को वर्ष 2006 में ब्रिटेन का सर्वश्रेष्ठ नयी खोज उत्पाद के लिए पुरस्कार मिल चुका है.