डेनमार्क की संसद ने एक लंबी बहस के बाद शरणार्थियों के लगातार आने पर रोक लगाने वाली विवादित योजना को मंज़ूरी दे दी है.
81 सांसदों ने इसके पक्ष में वोट दिया और सिर्फ 27 ने इसके विरोध में.
नए बिल के तहत, शरणार्थियों के पास अगर लगभग डेढ़ हज़ार डॉलर से ज़्यादा की क़ीमत का सामान है तो उनकी देखरेख के लिए पुलिस को वो सामान ज़ब्त करने की इजाज़त होगी.
हालांकि भावनात्मक अहमियत रखने वाली चीजों को इससे छूट होगी. इस कानून के तहत शरणार्थी तीन साल पहले अपने परिवार के सदस्यों को देश में नहीं बुला सकता.
यूरोपीय परिषद और शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने चेतावनी दी है कि नए कानून के कुछ हिस्से अंतरराष्ट्रीय समझौते के अनुकूल नहीं हैं.
रेड ग्रीन एलायंस पार्टी के हैनिंग हीलस्टेड ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा- "ये डेनमार्क के लिए शर्म की बात है और इससे हमारी प्रतिष्ठा पर आंच आएगी. डेनमार्क को एक छोटे और मानवतावादी देश के तौर पर जाना जाता था जो हमेशा बातचीत से निकाले गए समाधानों का हिमायती था. आज हम प्रवासियों को लेकर एक अमानवीय और सख्त नीति के लिए जाने जा रहे हैं. डेनमार्क और उसकी प्रतिष्ठा के लिए ये एक भयानक बात है."
इस बिल के तहत शरणार्थियों के सामान को ज़ब्त कर लेने के प्रावधान की तुलना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों के सामान को ज़ब्त करने से की जा रही है.
जबकि डेनमार्क की सरकार का कहना है कि इस सामान का इस्तेमाल शरणार्थियों की देखभाल के लिए ही किया जाएगा.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के प्रवक्ता स्टेफान डुजारिक ने कहा कि युद्ध से बच कर यूरोप पहुंचने के लिए तमाम तरह के खतरों का सामना करके आने वाले शरणार्थियों से इससे कहीं बेहतर बर्ताव किया जाना चाहिए, "मुझे लगता है कि जिन लोगों ने इतने कष्ट झेले हैं, जो युद्ध से बच कर निकले हैं, सैकड़ों किलोमीटर पैदल सफर करके और भूमध्य सागर को पार करके जो यहां तक पहुंचे हैं उनसे सहानुभूति और सम्मान भरा बर्ताव तो होना चाहिए और उन्हें शरणार्थियों के पूरे अधिकार मिलने चाहिए."
दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों ने डेनमार्क के इस नए कानून की आलोचना की है.
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि पूरा यूरोप प्रवासियों और शरणार्थियों के इस अबाध प्रवाह से निपटने में खुद को असहाय महसूस कर रहा है. डेनमार्क ही नहीं जर्मनी, स्पेन और ग्रीस में भी प्रवासियों के पुनर्वास को लेकर चिंता जताई जा रही है और जनमत भी इनके खिलाफ मजबूत होता जा रहा है.
डेनमार्क ही अकेला यूरोपीय देश नहीं है जिसने शरणार्थियों के सामान को ज़ब्त करने की मांग की है. इसी महीने साल 2015 में करीब 100 शरणार्थियों के सामान को ज़ब्त करने के लिए स्विट्ज़रलैंड की आलोचना हुई थी.
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