हैदराबाद के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या पर सोशल मीडिया में कड़ी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.
जहां बड़ी संख्या में लोग इस घटना के लिए जातिवाद और यूनिवर्सिटी प्रशासन को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं कि ये मामला सिर्फ़ और सिर्फ़ एक छात्र के अवसाद का है.
रोहित की ख़ुदकुशी के मामले में हैदराबाद के गच्चीबाउली पुलिस थाने में एक केस भी दर्ज किया गया है. इसमें केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय, यूनिवर्सिटी के कुलपति और कुछ अन्य लोगों पर आरोप लगाए गए हैं.
दत्तात्रेय ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को चिट्ठी लिखकर दलित छात्रों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की थी.
आरती पीएम फ़ेसबुक पर लिखती हैं- ये एक संस्थानिक हत्या है.
आरती ने रोहित की वो चिट्ठी भी लगाई है जिसमें उन्होंने कुलपति से मांग की थी कि हर दलित बच्चे को ज़हर दिया जाए ताकि वो जब चाहे मर सकें.
जितेंद्र नारायण लिखते हैं कि रोहित वेमुला की चिता से उठने वाली ये आग झूठ और षड्यंत्र पर आधारित खूंखार जातिवादी सत्ता और आधिपत्य को जलाकर एक दिन इसी तरह राख कर देगी.
हालांकि कुछ लोग रोहित की आलोचना भी कर रहे हैं.
सुमन रमावत लिखती हैं, "रोहित वेमुला हैदराबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ता था, जहां वामपंथी और मुस्लिम नेताओं ने दलित छात्रों को अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने का माध्यम बना रखा था. रोहित यूनिवर्सिटी में गोमांस भोज करने में सबसे आगे था जबकि उसके पीछे दिमाग़ ओवैसी का था.”
अभिषेक रंजन चार अगस्त का एक लिंक शेयर करते हुए कहते हैं कि ये वही रोहित है जिसने एबीवीपी के एक छात्र पर जानलेवा हमला किया था.
हालांकि सत्य सिंह कहते हैं कि देश की जितनी आबादी रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद उसके साथ है, उसका एक छोटा सा हिस्सा भी अगर पहले उसके साथ होती तो ये नौबत नहीं आती.
इस तरह की प्रतिक्रियाओं से साफ़ है कि रोहित की आत्महत्या को हर व्यक्ति अपने हिसाब से देखने में लगा है लेकिन इस बीच सबसे मारक है, वह है अंग्रेज़ी अख़बार ‘दी हिंदू’ में छपा सुरेंद्रन का कार्टून.
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