ऐसा देखा जाता है कि लोग सिरदर्द व चेहरे के दर्द को हल्के में लेते हैं और कोई-न-कोई पेन किलर खा कर उस दर्द को दबा देते हैं, जबकि चिकित्सकों का मानना है यह दर्द ‘साइनस’ भी हो सकता है. अगर साइनस का अर्ली स्टेज में इलाज शुरू कर दिया जाये, तो यह रोग क्योरेबल है. लेकिन इसे नजरअंदाज किया जाये, तो यह जानलेवा कैंसर का रूप धारण कर सकता है. क्या है साइनस व अर्ली स्टेज में क्या है इसका इलाज, इन्हीं बिंदुओं की पड़ताल करती हमारी कवर स्टोरी.
क्या है साइनस
साइनस ‘क्रेनियो’ फेशियल बोन में स्थित एयर फील्ड स्पेस है, जो मनुष्य के शरीर का एक नॉर्मल हिस्सा है. इसके चार भाग होते हैं- मैग्जिरली बोन में स्थित खाली जगह को ‘मैग्जिरली साइनस’ कहते हैं. इसी प्रकार एथोमोआइड बोन में ‘एथोमोआइड साइनस’, फ्रंटल बोन में ‘फ्रंटल साइनस’ तथा स्फूनाइड बोन में ‘स्फूनाइड साइनस’ होते हैं. इन चारों समूह के साइनसेज का निकास नाक के अंदरूनी हिस्से पर होता है. प्रत्येक साइनस के भीतरी सतह पर स्थित कोशिकाएं म्यूकस उत्पन्न करने वाली कोशिकाएं होती हैं. अंत:स्रावी गंथ्रियों से जो स्राव होते हैं, वो सेलियरी मूवमेंट के साथ प्रत्येक साइनस के नेचुरल ऑस्टियो द्वारा नाक के भीतरी हिस्से में चला जाता है.
क्या है इसका फंक्शन
एयर फील्ड स्पेस होने के कारण साइनसेज सिर के वजन को हल्का करता है जिससे सिर का भार गरदन पर कम पड़ता है. साथ ही यह आवाज को एक विशेष क्वालिटी प्रदान करता है तथा इससे निकले हुए सेकरेशन नाक द्वारा ली हुई हवा को एक उम्दा तापमान तथा आद्र्रता प्रदान करने में सहायता करता है. इसे साइनसेज व नाक के ‘एयर कंडीशनिंग फंग्शन’ कहते हैं. उचित तापमान व आद्र्रता प्राप्त श्वास फेफड़े के उच्चतम कार्य के लिए काफी सहायक होता है. साइनसेज से आनेवाले सेकरेशन में लाइसोजोमिक एंजाइम होता है, जो बाहरी जीवाणुओं से रक्षा करता है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सेकरेशन में बहुत से प्रदूषित, नुकसानदेह पदार्थ फिल्टर्ड हो जाते हैं. वह शरीर के भीतरी पार्ट तक नहीं पहुंच पाते हैं. इस तरह शरीर का रक्षा करते हैं.
क्या है आमधारणा
आमधारणा है कि सिर दर्द या चेहरे की कोई भी समस्या का कारण साइनस है. अत: चिकित्सक के पास पहुंचने पर मरीज अपनी तकलीफ ‘मुङो साइनस हो गया है’ के रूप में बतलाते हैं. इससे उनकी बीमारी के मूल कारणों का पता लगाने में डॉक्टर को दिक्कत होती है. वस्तुत: साइनस मनुष्य के शरीर का एक सामान्य पार्ट है. साइनस की बीमारियां साधारण इनफेक्शन से लेकर जानलेवा कैंसर तक होता है. अगर तकलीफ को चिकित्सकों को बतायी जाये, तो बीमारी की जड़ तक पहुंचने में उन्हें सहूलियत होती है. साइनस की बीमारी चेहरे व सिर का दर्द, नाक से पस या रक्तस्नव, चेहरे की विकृति, सूजन या दांतों की कमजोरी के रूप में प्रकट होती है.
क्या है साइनोसाइटिस
साइनस के इनफेक्शन को ‘साइनोसाइटिस’ कहते हैं, जो कई कारणों से होता है. यह एक्यूट स्टेज या क्रॉनिक स्टेज में हो सकता है. एक्यूट साइनोसाइटिस में चेहरे और सिर में दर्द होना, नाक से प्रूलेंट डिस्चार्ज होना व बुखार के रूप में प्रकट हो सकता है. अगर बीमारी को समय पर कंट्रोल न किया जाये, तो संभावना है कि यह इनफेक्शन आंख में पहुंच कर आंख को सीरियसली इनफेक्टेड कर दे. दिमाग की तरफ बढ़ कर दिमाग का बुखार, दिमाग का घाव या Cavernonsसाइनस थर्मोबेसिस कर दे.
क्रॉनिक साइनोसाइटिस में बुखार की संभावना कम होती है, पर क्रोनोसिटी के चलते सिर दर्द, चेहरे का दर्द, आवाज में परिवर्तन, चेहरे पर भारीपन महसूस किया जा सकता है. क्रॉनिक साइनोसाइटिस आगे चल कर साइनो नेजल पॉलिप के रूप में प्रकट हो सकता है. इसके अलावा साइनस का फंगल इनफेक्शन भी एक सामान्य रोग है, जिसमें साइनसेज फंगस से ग्रसित होते हैं. अगर शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो, जो कि डायबिटीज, किडनी डिजीज, एड्स व लीवर डिजीज में देखा जा सकता है.
अगर प्रतिरोधक क्षमता कम हो तो साइनस का फंगल इनफेक्शन तेजी से साइनस के चारों तरफ फैलता है जिसे फॉलिमिनेट फंगल राइनोसाइनोसाइटिस कहते हैं. यह जानलेवा होता है. अगर मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता ठीक हो, यह इनफेक्शन फंगल क्रोनिक राइनोसाइनोसाइटिस के रूप में प्रकट होता है. इस साइनस में पॉलिप्स भर जाते हैं और इन पॉलिप्स में साइनस के वॉल को इरोड करने की क्षमता होती है तथा यह चेहरे, आंख, मस्तिष्क की तरफ बढ़ सकता है. इन बीमारियों के अलावा ग्रेनुलोमेटोसिस डिजीज होते हैं, जैसे- टीबी, लेप्रोसी, वेजनस ग्रेनुलोमेटोसिस हैं. इन बीमारियों में साइनस के बॉनीवाल को इरोड करके इनके चारों तरफ फैलने की क्षमता होती है. कैंसर साइनसेज में हो सकते हैं, अगर इसका अर्ली स्टेज में पता न लगाया जाये, तो उपचार के बाद इसका प्रोगनोसिस अच्छा नहीं होता है. अत: बीमारी को गंभीरता को देखते हुए उसे डॉक्टर को फौरन बताना चाहिए.