पठानकोट हमले में जान गंवाने वाले एनएसजी कमांडो लेफ़्टिनेंट कर्नल ई के निरंजन को अपनी वर्दी से प्यार था.
उनके पिता शिवरंजन ईके ने पत्रकारों से कहा, "उसे सेना से प्यार था. जब हमने उससे पूछा कि वायुसेना या नौसेना क्यों नहीं तो उसने कहा था कि उसे भारतीय सेना की वर्दी से प्यार है."
निरंजन पठानकोट एयरफ़ोर्स बेस पर हमले के बाद काॉम्बिंग ऑपरेशन में हमलावरों के लगाए एक बम को बेकार करते हुए मारे गए.
रोज़ की तरह शिवरंजन ने शाम पाँच बजे उन्हें फ़ोन किया. निरंजन ने बताया कि वो सेना के अभियान में शामिल हैं.
परिवार को उनकी मौत का पता रविवार को उनके बड़े भाई के ज़रिए चला जो भारतीय वायुसेना में अधिकारी हैं.
इंजीनियरिंग करने वाले निरंजन 2004 में शॉर्ट सर्विस कमीशन के ज़रिए सेना में शामिल हुए थे. बाद में उन्होंने स्थायी कमीशन ले लिया.
उन्होंने बेंगलुरु में पढ़ाई की थी. वे सेना की मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप से जुड़े थे. दो साल पहले अपनी शादी के एक दिन बाद ही उन्होंने अपने पिता को बताया था कि वे नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड (एनएसजी) में शामिल हो रहे हैं.
अपनी बड़ी बहन भाग्यलक्ष्मी के लिए निरंजन अर्जुन हैं जो अपनी कर्मभूमि के लिए लड़े. भाग्यलक्ष्मी बताती हैं कि जब निरंजन चार साल के थे तब ही उनकी मां का देहांत हो गया था.
भाग्यलक्ष्मी कहती हैं, "उन्होंने कई व्यक्तिगत परेशानियों को हराया. उनकी मौत का सदमा बर्दाश्त करना मुश्किल है, लेकिन हमें उन पर गर्व है."
निरंजन का शव बेंगलुरु लाया गया है. इसके बाद उनके शव को केरल के पलक्कड़ में उनके घर ले जाया जाएगा.
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