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याद रखें, ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’
दक्षा वैदकर जोया अख्तर की फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ मैं हजार बार देख सकती हूं. वैसे यह फिल्म उन लोगों को तो जरूर देखनी चाहिए, जो रुपये कमाने की रेस में अपने आज को भूल रहे हैं. भविष्य की चिंता में वर्तमान पलों को जी नहीं रहे. फिल्म का एक सीन है, जिसमें ऋतिक […]
दक्षा वैदकर
जोया अख्तर की फिल्म ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ मैं हजार बार देख सकती हूं. वैसे यह फिल्म उन लोगों को तो जरूर देखनी चाहिए, जो रुपये कमाने की रेस में अपने आज को भूल रहे हैं.
भविष्य की चिंता में वर्तमान पलों को जी नहीं रहे. फिल्म का एक सीन है, जिसमें ऋतिक और कैटरीना टहलने निकलते हैं और बातों-बातों में ऋतिक कहता है, ‘हां, मैं रुपयों को अपनी जिंदगी में सबसे ज्यादा जरूरी समझता हूं. मैं सिर्फ आठ साल का था, जब डैड गुजर गये. हमारे ऊपर ढेर सारा कर्ज छोड़ कर. इसी वजह से बहुत जल्दी मैंने समझ लिया कि दुनिया सिर्फ और सिर्फ रुपयों से चलती है.’ कैटरीना पूछती है, ‘क्या तुम्हें रुपयों से खुशी मिलती है?’ ऋतिक कहता है, ‘हां.’ फिर कैटरीना पूछती है, तो तुम डाइव करने के बाद रोये क्यों थे? क्या कभी पे चेक मिलने के बाद तुम इस तरह खुशी से रोये हो? दोस्त, आज तुमने इतना सब कुछ पा लिया है, ऐसे में क्या तुम खुश हो? अगर आज भी किसी चीज की कमी महसूस होती है, तो वह क्या है? तुम उन चीजों के लिए समय निकालो, जिनसे तुम्हें सच में खुशी मिलती है, जैसे कि कुकिंग. ऋतिक कहता है, ‘हां, 40 साल तक ढेर सारे पैसे कमाने के बाद रिटायर होने के बाद मेरा यही प्लान है.’
कैटरीना उसे टोकती है, ‘तुम्हें कैसे पता कि तुम 40 साल तक जिंदा रहोगे? दोस्त, पहले इस दिन को जियो, फिर 40 के बारे में सोचना.’ फिल्म में कितनी खूबसूरती से यह संदेश दिया गया है. सालों पहले देव आनंद पर फिल्माया साहिर लुधियानवी का गीत भी यही संदेश देता है.
इसके बोल हैं, ‘मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुएं में उड़ाता चला गया.’ दुख का एक मुख्य कारण यह है कि हममें से अधिकतर लोग अतीत या भविष्य के बारे में चिंतित रहते हैं या उसके बारे में सोचते रहते हैं. हम वर्तमान में जीते हुए उसका लाभ नहीं उठाना चाहते. हम ऐसी बीती घटनाओं को याद करते रहते हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को प्रभावित किया. फिर लगातार खुद से कहते रहते हैं, ‘अगर ऐसा होता, तो कैसा होता.’
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– वर्तमान में हर दिन को ऐसे जियें, जैसे यह आपका आखिरी दिन है. कल किसी ने देखा नहीं है. इसलिए खुशियों को कल के लिए नहीं टालें.
– बीते हुए कल की पराजयों को भूल जायें और आनेवाले कल की समस्याओं को अनदेखा करें. यह कयामत का दिन है, जो आपके पास है.
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