अकसर देखा जाता है कि सर्दियों में लोगों का ध्यान पानी पीने की ओर कम जाता है, लेकिन शरीर में पानी की जरूरत होती है. पानी की कमी से त्वचा और रूखी होने लगती है. यदि ज्यादा ठंड लग रही है, तो पानी हल्का गरम करके थोड़ा-थोड़ा पीते रहें. घर का बना हुआ वेजिटेबल सूप इस मौसम के लिए अच्छा विकल्प है.
सर्दियों के मौसम में घरों में तरह-तरह के व्यंजन कुछ ज्यादा ही बनने लगते हैं, लेकिन इसी मौसम में ठंड लगने से सर्दी, खांसी, अस्थमा, अर्थराइटिस, ब्लडप्रेशर व कमजोर प्रतिरोधक क्षमतावालों को कई और रोगों से परेशान भी होना पड़ता है. अत: यदि स्वाद के साथ स्वास्थ्य भी बनता रहे, तो बेहतर है. परंतु कभी-कभी पूर्व धारणाओं के कारण हम बहुत सेहतमंद खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करते. मैंने अपने एक मरीज (अर्थराइटिस व मोटापा की मरीज) से जब पूछा कि ‘आप क्या-क्या खा रही हैं’? उन्होंने कहा कि अर्थराइटिस की वजह से वे दही नहीं खाती.
डॉक्टर ने उन्हें प्रोटीन कम लेने को कहा है, इसलिए वे मीट, मछली, सोयबीन व चना इत्यादि नहीं खाती. ठंड न लग जाये, इसलिए फलों का सेवन भी नहीं करतीं. ‘यूरिक एसिड’ न बढ़ जाये, इसलिए पालक, टमाटर, मशरूम, गोभी इत्यादि खाना भी बंद कर रखा है. मैंने पूछा कि आप खाती क्या हैं, तो उनका जवाब था. ठंड का मौसम है, इसी मौसम में तो गर्मागर्म भटवां पराठे, कचौड़ियां, समोसे, लिट्टी तहरी, पिट्ठा, पकौड़े इत्यादि खाने का मजा है. मैंने उनके डाइट में ली जाने वाले खाद्य पदार्थो से मिली कैलोरी की गणना की, तो पता चला कि ज्यादा कैलोरी वे ले रही हैं, लेकिन ये कैलोरी उन्हें काबरेहाइट्रेट व फैट से मिल रहा है. जिस वजह से उनका मोटापा कम नहीं हो रहा था. जाड़े में थोड़ा फैट जरूरी है.
कैलोरी भी जरूरी है, लेकिन यह कैलोरी संतुलित आहार से मिलना चाहिए. अर्थात हर व्यक्ति को शारीरिक स्थिति के अनुसार सही अनुपात में कुछ कैलोरी काबरेहाइड्रेट से, कुछ फैट से, कुछ प्रोटीन से, कुछ विटामिन व मिनरल उच्चता वाले खाद्य स्नेतों से मिलनी चाहिए. इस मौसम में मन कई स्वादिष्ट भोजन की ओर भागता है. मौसम का आनंद ले, परंतु जरा संभल कर.
सोनिया सिन्हा
डायटिशियन (मगध हॉस्पिटल), पटना