चीन की राजधानी बीजिंग में यह एक आम दिन था. सादे कपड़ों में पुलिस अदालत के बाहर प्रर्दशनकारियों और पत्रकारों को धकेल रही थी और अंदर एक वकील पर मुक़दमा चल रहा था.
इसके कुछ ही घंटे पहले तक चीनी वार्ताकार अपनी तारीफ़ से ख़ुश थे.
क्योंकि अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने कहा था कि जलवायु परिवर्तन के ऊपर वैश्विक समझौता चीन की मदद के बिना कामयाब नहीं हो सकता है.
लेकिन एक सॉफ़्ट पावर के तौर पर यह जीत चीन के लिए कुछ ही देर की रही.
चीन में मानवाधिकार के वकील पु झाइकींग के ऊपर चलने वाली सुनवाई के बाहर की तस्वीर उसके सॉफ़्ट पावर की इस छवि को चोट पहुंचा रही थी.
अब सवाल यह है कि वाक़ई में यह सॉफ़्ट पावर है क्या?
राजनीति शास्त्री जोसेफ़ नेइ इसे ऐसे परिभाषित करते हैं, "जो आप चाहते हैं उसे पैसे देकर या दबाव बना कर पाने की जगह अपने आकर्षण की बदौलत पाने की क्षमता."
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का कहना है कि सॉफ़्ट पावर बनना उनके मिशन का हिस्सा है.
उन्होंने ज़ोर दिया कि चीन एक समृद्ध इतिहास वाला सभ्य देश है. उन्होंने कहा कि, "चीन की कहानी सही से पेश की जानी चाहिए."
इसके लिए चीन ने अपनी मीडिया और संस्कृति का पूरी दुनिया में प्रसार जारी रखा है.
हाल ही में चीन की एक निजी कंपनी अलीबाबा ने हांगकांग के एक अंग्रेज़ी अख़बार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट का अधिग्रहण किया है.
इस अख़बार के नए मालिक ने अख़बार के संपादकीय स्वतंत्रता को लेकर जताई जा रही आशंकाओं पर आश्वस्त किया है कि वे इसके साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे लेकिन वे चीन को लेकर कवरेज ‘संतुलित और सही’ चाहते हैं.
एक सॉफ़्ट पावर के रूप में कमाई गई चीन की छवि इस साल चीन के हार्ड पावर की छवि के नीचे कहीं दब सी गई.
जोसेफ़ नेइ के मुताबिक़ हार्ड पावर की परिभाषा आर्थिक और सैन्य क्षमताओं का इस्तेमाल कर अपनी इच्छा मनवाना है.
चीन की सत्ता व्यवस्था इसे अंजाम देने में माक़ूल है. इसके कूटनीतिक सदियों से यह करते रहे हैं.
चीन की एक उल्लेखनीय सफलता 2015 में चीन के नेतृत्व में एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) की स्थापना है.
सभी को चीन की समृद्धि का अंदाज़ा है लेकिन एआईआईबी की स्थापना ने यह भी जताया कि चीन आत्मविश्वासी, महत्वकांक्षी, दृढ़ और अमरीका को चुनौती देने और अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए क्षेत्रीय संस्थानों के निर्माण को लेकर भी सोच रखता है.
एक हार्ड पावर के रूप में उसकी दूसरी सफलताओं में इस साल सितंबर में हुआ फ़ौजी परेड भी शामिल है.
इस परेड में चीन के पास मौजूद नए हथियार भी प्रदर्शित किए गए.
इसके अलावा दक्षिण चीन सागर में 2000 एकड़ पर उसका फिर से दावा करना भी ऐसा ही एक क़दम है.
इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था और फ़ौजी ताक़त होने के साथ-साथ अपने कई पड़ोसी देशों के साथ चीन का ज़मीन को लेकर विवाद अक्सर उसके सॉफ़्ट पावर की छवि को दबा देता है.
पूर्व आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने एक बार कथित तौर पर जर्मनी की चांसलर एंगेला मार्केल को कहा था कि चीन के प्रति उनकी सरकार की नीति ‘डर और लोभ’ से प्रभावित है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चमक अमरीकी दौरे के दौरान एक ऐसे शख़्स की वजह से फीकी पड़ गई थी जिसने धन और सत्ता का त्याग किया हुआ है.
पोप जहां कहीं भी गए उनकी भरपूर प्रशंसा की गई. उन्हें टेलीविज़न में 20 गुणा ज़्यादा और प्रिंट मीडिया में पांच गुणा ज़्यादा जगह मिली. वास्तविक सॉफ़्ट पावर इसे कहते हैं.
एक सॉफ़्ट पावर के रूप में चीन की समस्या अमरीकी दौरे पर दूसरी बार उभर कर सामने आई जब शी जिनपिंग ने महिलाओं के अधिकार के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र की सभा को न्यूयॉर्क में संबोधित किया.
हिलेरी क्लिंटन ने साल की शुरुआत में चीन में पांच नारीवादियों को हिरासत में लेने का ज़िक्र करते हुए ट्वीट किया था ‘शेमलेस’.
इन नारीवादियों ने सार्वजनिक परिवहनों में यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ पोस्टर अभियान चलाने की योजना बनाई थी.
जॉर्ज ऑरवेल ने एक बार कहा था, "एक समाज सच्चाई से जितना दूर जाएगा उतना ही वे आवाज़ उठाने वालों से नफ़रत करेगा."
यह बताता है कि क्यों सच को थोपने पर ज़ोर देने वाला चीन हमेशा एक सॉफ़्ट पावर के तौर पर असफल होगा.
लगता है चीन ने तय कर लिया है कि वो पश्चिमी सोच की निंदा करता रहेगा, यूनिवर्सिटी की किताबों के पन्ने फाड़ता रहेगा और अपने वकीलों को हथकड़ी लगाता रहेगा.
2015 में जहां चीन एक सख़्त देश के रूप में आगे बढ़ा है वहीं एक नम्र देश के रूप में फीका पड़ा है.
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