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कृत्रिम सूरज बनाने की कोशिश!
ऊर्जा की समस्या खत्म करने के लिए वैज्ञानिक कृत्रिम सूरज बनाना चाहते हैं. जर्मनी के ग्राइफ्सवाल्ड शहर के रिएक्टर वेंडेलश्टाइन में शोधकर्ता 10 करोड़ डिग्री गर्म परमाणु विस्फोट का नियंत्रण कर रहे हैं, जो पहले मुमकिन नहीं था. परमाणु शोध संयंत्र वेंडेलश्टाइन 7एक्स में हाल ही में पहले प्लाज्मा का सृजन किया गया. ‘डाॅयचे वेले’ […]
ऊर्जा की समस्या खत्म करने के लिए वैज्ञानिक कृत्रिम सूरज बनाना चाहते हैं. जर्मनी के ग्राइफ्सवाल्ड शहर के रिएक्टर वेंडेलश्टाइन में शोधकर्ता 10 करोड़ डिग्री गर्म परमाणु विस्फोट का नियंत्रण कर रहे हैं, जो पहले मुमकिन नहीं था. परमाणु शोध संयंत्र वेंडेलश्टाइन 7एक्स में हाल ही में पहले प्लाज्मा का सृजन किया गया.
‘डाॅयचे वेले’ के मुताबिक, एक कंट्रोल सेंटर के निर्देशन में 10 मिलीग्राम हीलियम एक वैक्यूम चैंबर के चुंबकीय क्षेत्र में भेजी गयी और उसे 10 लाख डिग्री तक गर्म किया गया. पहले परीक्षण के बाद संयंत्र की डाइरेक्टर सिबेले गुंटर ने कहा कि यह एक उम्दा दिन है और नाभिकीय संलयन के उस परीक्षण की शुरुआत हो गयी है, जिसका लक्ष्य कार्बन मुक्त बिजली बनाना है.
जनवरी में पहला हाइड्रोजन प्लाज्मा बनाया जायेगा. एक अरब यूरो महंगे इस टेस्ट कारखाने में शोधकर्ता सूरज की प्रक्रियाओं की तरह होनेवाले नाभिकीय संलयन पर शोध करेंगे, ताकि उसका इस्तेमाल धरती पर ऊर्जा पैदा करने के लिए किया जा सके और बाद में बिजली घरों में परमाणु कणों का संलयन कर बिजली पैदा की जा सके.
संस्थान के प्रमुख क्लिंगर के मुताबिक, हीलियम प्लाज्मा बनाना परीक्षण का रिहर्सल है. इसके लिए वैक्यूम चैंबर में माइक्रोवेव हीटर से अत्यंत विरल हीलियम को गर्म किया जाता है. इसके जरिये गैस का आयनीकरण हो जाता है और वह प्लाज्मा का रूप ले लेती है. यह संस्थान 2017 से प्लाज्मा बनाने के लिए डॉयटेरियम का इस्तेमाल शुरू करेगा.
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