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बहस जीतने से ज्यादा जरूरी है रिश्ता बचाना

दक्षा वैदकर सुप्रिया और साक्षी दोनों साथ में एक ही ऑफिस में काम करते थे. साथ काम करते हुए वे काफी अच्छी सहेलियां बन गयी थीं. एक-दूसरे से हर सीक्रेट शेयर करती थीं. उन्हें भरोसा था कि कुछ भी हो जाये, हम एक-दूसरे के सीक्रेट्स कभी किसी और से शेयर नहीं करेंगे, लेकिन एक दिन […]

दक्षा वैदकर

सुप्रिया और साक्षी दोनों साथ में एक ही ऑफिस में काम करते थे. साथ काम करते हुए वे काफी अच्छी सहेलियां बन गयी थीं. एक-दूसरे से हर सीक्रेट शेयर करती थीं. उन्हें भरोसा था कि कुछ भी हो जाये, हम एक-दूसरे के सीक्रेट्स कभी किसी और से शेयर नहीं करेंगे, लेकिन एक दिन ऑफिस में सुप्रिया को साक्षी की किसी बात का बुरा लग गया.

उसने साक्षी से इस बारे में सवाल किया, तो उसने उल्टा जवाब दे दिया. सुप्रिया का गुस्सा और बढ़ गया. उसने ऊंची आवाज में साक्षी से बात की. साक्षी ने भी उस पर अंगुली उठायी. देखते ही देखते ऑफिस के सभी लोग जमा हो गये. इधर सुप्रिया ने गुस्से में साक्षी का कोई सीक्रेट बताते हुए ताना मारा कि तुमने तो एक बार ऐसा भी किया था. बस फिर क्या था. साक्षी ने भी जवाब में उसका सीक्रेट लोगों को बताया. अब सीक्रेट बताने और एक-दूसरे को नीचा दिखाने का कंपीटीशन शुरू हो गया. दोनों ने एक-दूसरे की सारी पर्सनल बातें चीख-चीख कर लोगों को बता दी. सभी को यह सब देख कर आश्चर्य भी हो रहा था और सहेलियों को लड़ते देख बुरा भी लग रहा था. आखिरकार ऑफिस के साथियों ने दोनों को जबरदस्ती एक-दूसरे से दूर किया. अलग-अलग कमरों में ले गये. उन्हें शांत किया और घर भेज दिया.


अगले दिन दोनों ही ऑफिस नहीं गये. घर बैठ कर जब शांति से इस पूरे घटनाक्रम के बारे में सोचा, तो उन्हें अहसास हुआ कि पूरे ऑफिस को उनके सारे सीक्रेट्स पता चल गये हैं. दोनों को ही यह अहसास हुआ कि झगड़ा इतना बड़ा नहीं होता, अगर हम गुस्से पर कंट्रोल कर लेते. दोनों में से एक भी अगर समझदारी दिखाता और चुप रहता, तो बात इतनी नहीं बढ़ती. सुप्रिया को भी लगा कि इतनी छोटी बात का बुरा मान कर मुझे साक्षी से सवाल नहीं पूछना चाहिए था. इधर साक्षी को भी लगा कि सुप्रिया ने सवाल पूछ लिया तो क्या, मुझे उल्टा जवाब नहीं देना चाहिए था. लेकिन अब दोनों के पास पछतावे के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. दोनों एक-दूसरे से आंखें नहीं मिला सकते थे. उन्होंने नयी नौकरी तलाशना शुरू कर दिया.

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

जब भी आपको किसी बात का बुरा लगे, तो तुरंत रिएक्ट न करें. कम-से-कम एक दिन सोचें. विचार करें कि क्या रिएक्ट करना इतना जरूरी है?

जब भी बहस हो, खुद कुछ न बोलें. सामनेवाला कितना भी कठोर क्यों न बोले. उस वक्त कुछ भी न बोलें. याद रहे, रिश्ता बचाना ज्यादा जरूरी है.फॉलो करें… फेसबुक पर www.facebook.com/successsidhi

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