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आशावादिता जरूरी है, लेकिन लिमिट में
जीवन में आगे बढ़ने के लिए ऑप्टिमिज्म यानी आशावादिता बहुत जरूरी है, लेकिन हममें से बहुत से लोग ऑप्टिमिज्म के नाम पर इतने एकपक्षीय हो जाते हैं कि संभावित चुनौतियों के लिए तैयारी तक नहीं करते. नतीजा यह होता है कि छोटी-सी चुनौती भी सामने आने पर हम उससे निपट नहीं पाते और हताश हो […]
जीवन में आगे बढ़ने के लिए ऑप्टिमिज्म यानी आशावादिता बहुत जरूरी है, लेकिन हममें से बहुत से लोग ऑप्टिमिज्म के नाम पर इतने एकपक्षीय हो जाते हैं कि संभावित चुनौतियों के लिए तैयारी तक नहीं करते. नतीजा यह होता है कि छोटी-सी चुनौती भी सामने आने पर हम उससे निपट नहीं पाते और हताश हो जाते हैं.
यह अप्रोच ऑप्टिमिज्म का नहीं, बल्कि उस शतुरमुर्ग की तरह आंखें मूंद लेने का है, जो चारों ओर चल रही वास्तविकता को देखना ही नहीं चाहता. इसलिए जीवन में ऑप्टिमिज्म तो अपनाएं, लेकिन आपका अप्रोच संतुलित होना चाहिए.
एक ऐसा संतुलन, जो ‘बेस्ट’ की उम्मीद और ‘सबसे खराब’ की तैयारी करके चलता है. अब कुछ उदाहरण देखें. मान लें कि कॉलेज में हमेशा आपके अंक बढ़िया आये हैं. अब कोर्स नया है. क्या होगा? आपके चार जवाब हो सकते हैं,
1) अब भी शानदार ही आयेंगे,
2) तैयारी पूरी करेंगे,
3) किस्मत में ही टॉप करना लिखा है,
4) कह नहीं सकते. दूसरा उदाहरण लें. आपके पुराने दोस्त से आपकी दोस्ती टूट गयी है. कैसे जोड़ेंगे?
1) सिर्फ अच्छा सोच कर.
2)आपसी समस्याएं सुलझा कर,
3) टूट गयी, तो टूट गयी,
4) पुराने दिन याद कर के ही आप खुश रहना सीख जायेंगे. दोनों उदाहरणों में बेस्ट जवाब क्या है, यह आप जानते हैं. पहले उदाहरण का सही जवाब है ‘तैयारी पूरी करेंगे’. वहीं दूसरे उदाहरण का सही जवाब है ‘उससे मिल कर आपसी समस्याएं सुलझाकर’.
दोस्तों, सकारात्मक सोचना अच्छी बात है. खुद पर भरोसा रखना भी अच्छी बात है, लेकिन यह तब खराब होने लगती है, जब हम इन दोनों की अति कर देते हैं. सामने से समस्या आ रही होती है और हम सकारात्मक रवैया रखते हुए कहते हैं कि समस्या अपने आप चली जायेगी.
यह तरीका ठीक नहीं. हमें हर परिस्थिति में आसपास की स्थितियों पर भी गौर करना होगा. यह देखना होगा कि कौन-सी बात हमारे पक्ष में है और कौन-सी
नहीं. जो हमारे पक्ष में नहीं है, उसे पक्ष में लाने के लिए क्या प्रयास किये जा सकते हैं, इसकी भी तैयारी करना हमारा ही काम है.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– भविष्य में सब अच्छा होगा, यह आशा रखना अच्छी बात है, लेकिन इसके लिए भी आपको ही लगातार प्रयत्न करने होंगे.
– काम करते जाएं. सतर्क रहें. इस बात के लिए भी तैयार रहें कि समस्या आयेगी, तो आपको क्या-क्या करना है, क्या-क्या कर सकते हैं.
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