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भारतीय वैज्ञानिकों ने कहा, अब प्रतिभाओं का ब्रेन ड्रेन नहीं ब्रेन गेन का समय

बोस्टन: अमेरिका में करीब 50 युवा भारतीय वैज्ञानिक यहां उन उपायों पर चर्चा के लिए एकत्र हुए जिनके माध्यम से विज्ञान क्षेत्र की प्रतिभाओं को वापस ले जाकर भारत के लिए लाभ दिलाना है. गुंटूर के निवासी मल्लिकार्जुन राव कुमारनेनी ने कहा, ‘‘भारत में अगर आपके पास अच्छी विज्ञान परियोजना है तो पैसे की कमी […]

बोस्टन: अमेरिका में करीब 50 युवा भारतीय वैज्ञानिक यहां उन उपायों पर चर्चा के लिए एकत्र हुए जिनके माध्यम से विज्ञान क्षेत्र की प्रतिभाओं को वापस ले जाकर भारत के लिए लाभ दिलाना है.

गुंटूर के निवासी मल्लिकार्जुन राव कुमारनेनी ने कहा, ‘‘भारत में अगर आपके पास अच्छी विज्ञान परियोजना है तो पैसे की कमी नहीं है. दूसरी बात यह है कि भारत के अनुसंधान के बेहतर मौके हैं और वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए माहौल में काफी सुधार हुआ है. ” कुमारनेनी साल 2008 में अमेरिका की नॉर्थ डाकोटा यूनिवर्सिटी में पीएचडी के लिए आए थे.सात साल के बाद वह यूनिवर्सिटी ऑफ ओकलाहोमा में पोस्ट-डॉक्टरल फेलो हैं तथा उनके नाम से दो पेटेंट भी हैं.
परंतु अब वह भूतल विज्ञान में शोध के लिए अपने देश लौटना चाहते हैंकुमारनेनी तथा समान सोच वाले दूसरे वैज्ञानिक बीते सप्ताहांत मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान (एमआईटी) में ‘यंग इन्वेस्टीगेटर्स मीटिंग’ (वाईआईएम) में शामिल हुए.
वाईआईएम के अध्यक्ष एवं निदेशक अजीकुमार पायरायिल ने कहा, ‘‘यह प्रतिभा के पलायन को प्रतिभा के लाभ में बदलना है.” भारत और ब्रिटेन के संयुक्त उपक्रम ‘वेलकम ट्रस्ट डीबीटी इंडिया अलायंस के सीईओ डॉक्टर शाहिद जमील ने कहा, ‘‘प्रतिभा के वापस लौटने का चलन शुरु हो चुका है और काफी तेजी से आगे बढ रहा है. मैं देख रहा हूं कि कई युवा वैज्ञानिक भारत लौट रहे हैं

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