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बिहार चुनाव : दास्तान – ए – विवादित बयान

आशुतोष के पांडेय पटना : भारत में सियासत की विरासत पर नजर डालें तो पहले राजनीति में सेवा और नैतिकता नेताओं की पहचान हुआ करती थी. वर्तमान में बदलते वक्त ने सियासत के रंग-ढंग को भी बदला है. खासकर चुनाव का मौसम हो तो एसी गाड़ियों और अपने दफ्तरों तक सिमटे रहने वाले नेता बाहर […]

आशुतोष के पांडेय

पटना : भारत में सियासत की विरासत पर नजर डालें तो पहले राजनीति में सेवा और नैतिकता नेताओं की पहचान हुआ करती थी. वर्तमान में बदलते वक्त ने सियासत के रंग-ढंग को भी बदला है. खासकर चुनाव का मौसम हो तो एसी गाड़ियों और अपने दफ्तरों तक सिमटे रहने वाले नेता बाहर निकलते हैं. जनता से रूबरू होते हैं. जनता को लुभाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभनों और वायदों का खेल शुरू हो जाता है. कुछ हद तक कभी-कभार विकास भी उन मुद्दों में शामिल होता है. लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा. इसका ताजा प्रमाण आपको बिहार विधानसभा चुनाव में देखने को मिल जाएगा. जहां मुद्दे छुप से गए हैं और तरह-तरह की बयानबाजी नेताओं की बदजुबानी बिहार की हवा में घुल सी गयी है.

एक से एक बयान

सत्ता के लिए सिद्धांत से समझौता करने वाली राजनीतिक पार्टियां और उसके नेताओं के लिए बयानबाजी ही चुनाव में वीर बनने का हथियार बन गयी है. वहीं भाषणों में जाति, समुदाय और वर्ग छाए हुए हैं. कहीं भी स्थानीय समस्या या आम लोगों से जुड़ी समस्या मुद्दे में नहीं है.

अब जरा एक नजर डालते हैं बिहार विधानसभा चुनाव के उन बयानवीरों को जिन्हें लगता है आपत्तिजनक और विवादास्पद बयान देकर वो विजय श्री हासिल कर सकते हैं. राजद सुप्रीमो और महागंठबंधन के नेता लालू प्रसाद यादव के बयानों पर नजर डालें तो उसमें सबसे पहले हिंदुओं के बीफ खाने से लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को नरभक्षी कहना तक शामिल है. हालांकि इसे लेकर लालू पर मुजफ्फरपुर, अररिया और पटना में मुकदमें दर्ज हो चुके हैं. फिर भी लालू अभी लगातार अभाषी दुनिया के माध्यम से यानि सोशल मीडिया के जरिए भी बयानबाजी कर रहे हैं. लालू ने एक मौके पर इस चुनाव को महागंठबंधन को देव सेना और बीजेपी एलायंस को राक्षसी सेना कहकर मुकाबले की बात कर दी लालू ने एक सभा में कहा कि यह मेरा वादा है कि महागंठबंधन के जीतने के बाद नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री बनेंगे और फिर गाना भी गाया जब प्यार किया तो डरना क्या.

नेताओं के बदल गए हैं बोल

लालू के इन बयानों के आने के बाद अबतक बंद मुंह को खोल सा दिया और ऐसे बयानों की झड़ी लग गयी. वहीं बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने लालू पर हमला बोलते हुए चारा चोर तक कह डाला. बीजेपी नेता भी अपने आपको अनुशासित पार्टी का प्रतिनिधि मानते हैं लेकिन बक्सर से बीजेपी के सांसद अश्विनी चौबे ने कुछ दिन पहले सोनिया गांधी को जहर की पुड़िया और पूतना राक्षसी तक कह डाला था और राहुल को तोता कह दिया था. उससे पहले गिरिराज सिंह भी सोनिया को लेकर विवादास्पद बयान दे चुके हैं.

कोई किसी से कम नहीं

अभी यह सबकुछ चल ही रहा था तबतक मुलायम की पार्टी के साथ तीसरे मोर्चे का प्रतिनिधित्व कर रहे जन अधिकार मोर्चा के नेता पप्पू यादव ने लालू के गोमांस पर दिए बयान पर हो रही बयानबाजी में एक कड़ी जोड़ी और खुलेआम कह डाला कि बिहार में जितने भी नेता लोग हैं वो आदमी का खून पी पीकर मोटा गए हैं. अब इन लोगों को जानवरों की चिंता होने लगी है बिहार के विकास की बात कोई नहीं कर रहा है. इससे पहले पप्पू यादव बिहार के शिक्षकों के बारे में कहा था कि वो जानवरों को भी नहीं पढ़ा सकते.

वहीं बिहार के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि उनकी विदेश यात्रा बेकार है और आपलोग उनकी इस यात्रा का यहां आचार डालेंगे. बिहार विधानसभा चुनाव में आने वाले दिनों में भी बयानबाजी के ऐसे वीर और आगे आएंगे. मर्यादाएं तार-तार होंगी. बयानों के तीर चलेंगे. एफआईआर भी उसी रफ्तार में दर्ज होंगे. गायब होगा तो चुनाव से मुद्दा वो मुद्दा जिसे सरोकार और समाज से जोड़कर देखा जाता. वो मुद्दे दफन होंगे हवा में तैरेंगे सिर्फ नेताओं के विवादास्पद बयान.

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