सकारात्मकता एक ऐसी कुंजी है, जो आगे बढ़ने के रास्ते में एक चमत्कारी शक्ति की तरह काम करती है. कठिन से कठिन सफर को अंजाम तक पहुंचाने का श्रेय भी इसे ही जाता है. इसलिए जिंदगी में सकारात्मकता का दामन थामना बहुत आवश्यक है..
‘जिस व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक होगा, वह अपने लक्ष्य को हासिल कर ही लेगा और जिसका दृष्टिकोण नकारात्मक होगा, उसकी असफलता को कोई रोक नहीं सकता.’ – थॉमस जेफरसन.
सकारात्मक विचार खुद-ब-खुद नहीं आते और बुरे विचारों को न्यौता नहीं देना पड़ता. हकीकत में तो मनुष्य को निराश होने की जरा-भी कोशिश नहीं करनी पड़ती. ट्रेन छूट गयी, पर्स गुम हो गया, बेटे या बेटी को बुखार आ गया या ऑफिस जाने में देरी हो गयी..ऐसे अनगिनत कारण जिंदगी में आते रहते हैं, जिनसे आसानी से दुखी या निराश हुआ जा सकता है. हमारे आसपास ऐसे कई लोग होते हैं, जो दूसरों का सुख देख कर दुखी होते रहते हैं और अपनी सेहत बिगाड़ लेते हैं. निराशाजनक विचारों से दूर रहने की हमें दिल से और सावधानीपूर्वक कोशिश करनी चाहिए.
पर्सनालिटी ही नहीं, काम भी बिगाड़ती है नकारात्मकता
निराशाजनक और नकारात्मक विचारों का सबसे पहला असर आपके व्यक्तित्व पर पड़ता है. जैसे-जैसे ये आपमें प्रवेश करके हावी होना शुरू करते हैं, वैसे-वैसे आपका व्यक्तित्व नकारात्मकता की ओर कदम बढ़ाने लगता है. बस इतना ही नहीं, इससे आपके काम या उद्योग-धंधे पर भी गहरा असर पड़ता है. ऐसे विचार आपके सपनों को तहस-नहस कर देते हैं. लेकिन यह भी उतना ही सही है कि हमें असफलताओं से ही सीखना होगा. भूलिए मत, सफलता का मार्ग ऐसी तमाम भूलों, गलतियों या असफलताओं में से ही निकलता है.
गीता सार को आत्मसात करें
पहले के जमाने में कुछ भी बुरा या खराब होता था, तो हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते थे- ‘जो हुआ, अच्छे के लिए हुआ’ या तो ‘कुछ अच्छा होना होगा.’ ये छोटे-छोटे वाक्य तब हमें बहुत सांत्वना देते थे. यही भाव गीता सार का भी है. ये वाक्य जख्म पर मरहम का काम करते हैं, लेकिन आज यदि कोई छोटा-सा भी काम हमारे मन मुताबिक न हो, तो हम तुरंत निराश या हताश हो जाते हैं. प्लानिंग और दूर-दृष्टि सफलता के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं. कम समय में या शॉर्टकट से पैसा कमाने के चक्कर में हम गलत रास्ता चुन लेते हैं, लेकिन उसके नतीजे भी बहुत बुरे होते हैं. निराशाजनक स्थिति में नकारात्मकता को साथी बनाने से अच्छा होगा कि आप बड़े बुजुर्गो के उन वाक्यों को अपना हमदर्द बनाएं. ये आपका दर्द तो कम करेंगे ही, साथ ही आपको नकारात्मक होने और गलत रास्ते पर जाने से भी बचायेंगे.
घबराएं नहीं, आगे बढ़ें
छोटी-छोटी भूलों या गलतियों से निराश होने की या घबराने की जरूरत नहीं है. हम सबको दुनिया चलानेवाले ने ‘एक्स फेक्टर’ दिया है, जिसका उपयोग कर हम कोई भी काम कर सकते हैं. आप भी वक्त पड़ने पर उस ‘एक्स फेक्टर’ का इस्तेमाल करें. हर व्यक्ति को चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्रिय होने की जरूरत होती है. याद रखिए कि मंजिल दूर है, रास्ता लंबा और जटिल है. हार कर या हताश होकर बैठ जायेंगे तो कैसे काम चलेगा? आपने सुना होगा कि ‘हिम्मत-ए-मर्दा, मदद-ए-खुदा.’ अब इसे कंठस्थ करने का वक्त आ गया है.