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इस बार शिक्षा को बनाएं चुनावी मुद्दा

गौरव गगन बेंगलुरु से निति नहीं तब तक जब तक, सुख भाग नहीं नर का सम हो. नहीं किसी को बहुत अधिक हो, नहीं किसी को कम हो. किसी लोकतांत्रिक देश में इस प्रकार की व्यवस्था होना बेहद जरूरी है. जब तक देश में एकरूपता या समानता नहीं आयेगी, तब तक देश में स्थिरता कायम […]

गौरव गगन
बेंगलुरु से
निति नहीं तब तक जब तक, सुख भाग नहीं नर का सम हो. नहीं किसी को बहुत अधिक हो, नहीं किसी को कम हो. किसी लोकतांत्रिक देश में इस प्रकार की व्यवस्था होना बेहद जरूरी है. जब तक देश में एकरूपता या समानता नहीं आयेगी, तब तक देश में स्थिरता कायम नहीं हो सकती. इसलिए जो भी सरकार बनती है, उसकी नीतियां ऐसी होनी चाहिए कि इससे देश का हर नागरिक लाभान्वित हो.
राज्य सरकारों का भी यह दायित्व बनता है कि वे केंद्र के साथ बेहतर सामंजस्य स्थापित करके चलें और जनता के हित में काम करें. बिहार में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है और अगले दो महीने में यह फैसला हो जायेगा कि राज्य में सरकार किसकी बन रही है. अब जब चुनाव की घोषणा हो ही चुकी है, तो उन मुद्दों पर बहस करना लाजमी है जो जनता से जुड़े हैं और जिनमें जनता का हित छिपा है.
सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा जिस पर चर्चा होनी जरूरी है, वह है राज्य में शिक्षा की स्थिति. बड़े ही अफसोस के साथ यह कहना पड़ता है कि जो भूमि सदियों से शिक्षा का केंद्र रही है और जहां कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के विश्वविद्यालय रहे हैं, उसी भूमि पर पिछले कई दशकों में शिक्षा की हालत इतनी दयनीय हो गयी कि यह राज्य साक्षरता दर के हिसाब से देश के सबसे पिछड़े राज्य में गिना जाने लगा. शिक्षा के बिना कुछ भी हासिल नहीं हो सकता. राज्य का विकास भी पूरी तरह से शिक्षा पर ही निर्भर करता है.
कोई भी योजना तब तक काम नहीं कर सकती जब तक कि उसका लाभ उठानेवाले भी शिक्षित हों. ऐसे में यह जरूरी है कि शिक्षा इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बने. बहुत हो गयी हड़ताल और बहुत हो गया धरना-प्रदर्शन. इससे बच्चों का बहुत नुकसान हुआ है. अब समय आ गया है कि इस प्रकार की परिस्थिति से निबटने के लिए बननेवाली नयी सरकार के पास कोई ठोस योजना होनी चाहिए.
साथ ही नयी सरकार के पास यह योजना भी होनी चाहिए कि वह किस प्रकार से राज्य में शिक्षा की आधारभूत संरचना को मजबूत करेगी, शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध करायेगी और साथ ही बच्चों के साथ शिक्षकों की भी आवश्यकताओं को कैसे पूरा करेगी, ताकि हड़ताल और विरोध-प्रदर्शन जैसी स्थिति दोबारा पैदा न हो.
इस चुनाव में मतदाताओं को उनसे वोट मांगनेवालों से शिक्षा से जुड़ीं उनकी योजनाओं के बारे में पूछना चाहिए. साथ ही उनसे यह भी सवाल करना चाहिए कि वे महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए क्या करनेवाले हैं? हमारे विश्वविद्यालय जो राजनीति और गुंडागर्दी का अड्डा बन चुके हैं, उससे उन्हें मुक्त कराने के लिए प्रत्याशियों के पास क्या योजनाएं हैं?
मतदाताओं को भी चाहिए कि वे उन्हीं को वोट दें, जिनके पास सच में इन समस्याओं का समाधान हो और जिनकी योजनाओं में दम हो कि वे चुनाव जीतने के बाद इस दिशा में सकारात्मक तरीके से काम कर सकें. बेहतर बिहार के निर्माण की जिम्मेवारी जनता के हाथों में है.

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