13 साल से संगीत के माध्यम से व्याकरण की शिक्षा दे रहे मोहन दूबे
रिंकू झा
फिल्म ‘तारे जमीं पर’ में आपने आमिर खान को ‘बम-बम बोले, मस्ती में डोले..’ गीत गाकर बच्चों को पढ़ाते देखा होगा. गाने की धुन पर आमिर खान ने शिक्षक के रूप में सभी बच्चों का दिल एक ही दिन में जीत लिया था. शिक्षण में यह प्रयोग आमिर खान ने फिल्म के जरिये 2007 में सब के सामने रखा, लेकिन पटना के शिक्षक मोहन दूबे ने यह प्रयोग 2002 से ही शुरू कर दिया था.
13 साल पहले शुरू किये गये इस प्रयोग को शुरुआत में स्कूलों ने स्वीकार नहीं किया. मोहन दूबे को किसी स्कूल ने नौकरी नहीं दी. भले मोहन दूबे को स्कूल में जगह नहीं मिली, लेकिन वो बच्चों के चहेते बनते गये. शुरुआत में मुफ्त शिक्षा देकर उन्होंने स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया. इसके बाद उनकी लोकप्रियता देख कर स्कूल वालों ने गेस्ट फैकल्टी के तौर पर उन्हें पढ़ाने का मौका देना शुरू किया. आज मोहन दूबे छात्रों के बीच डंडा या छड़ी वाले के रूप में नहीं, बल्कि गाने वाले मास्टर जी के रूप में प्रसिद्ध हो चुके हैं.
मोहन दूबे 1996 से शिक्षण कार्य में जुटे हैं. वह बच्चों को हिंदी, अंगरेजी और संस्कृत का व्याकरण पढ़ाते हैं. हमेशा कुछ नया करने की इच्छा उनमें रहती थी. 2001 में उन्हें एक बार रोहतास के सरस्वती विद्या मंदिर जाने का मौका मिला. वहां पर सुबह की प्रार्थना सभा में शामिल हुए. मोहन दूबे बताते हैं कि स्कूल में प्रार्थना सभा के बाद कोई प्रेरक कहानी सुनाने की परंपरा थी.
हर दिन एक ही कहानी सुनने से बच्चे बोर हो रहे थे. वहीं मैंने सोचा कि एक ही कहानी को अगर अलग-अलग तरीके से गाकर सुनाया जाये तो बच्चों की दिलचस्पी बनी रहेगी. फिर मैंने इसे अपने शिक्षण प्रणाली में शामिल कर लिया. 2002 से इसकी शुरु आत हुई. पांचवीं से 10वीं क्लास के छात्रों को पढ़ा रहे मोहन दूबे की पहली कहानी ‘प्यासा कौआ’ थी. इस कहानी को मोहन दूबे ने ‘चांदी जैसा रंग है तेरा..’ गाने पर पिरोया.
मोहन दूबे का यह प्रयोग पंचतंत्र, हितोपदेश की कहानियों के साथ अन्य कहानियों पर शुरू हुआ था.
शुरुआत में मोहन दूबे छोटी-छोटी कहानियों को गाकर बच्चों के बीच ले गये. ये वो कहानियां होती थीं जो नानी-दादी से हम सुना करते थे. उन्होंने हर कहानी को एक संगीत का धुन देकर गाना तैयार किया.
कहानियों पर यह प्रयोग करने के बाद मोहन दूबे इसे कोर्स में लेकर आये. हिंदी और संस्कृत व्याकरण में इस प्रयोग को शामिल किया. शब्द रूप, धातु रूप, वचन, क्रि या, समास आदि के हर टॉपिक को गाने में ढालने लगे. मोहन दूबे बताते हैं कि बालक शब्द रूप को मैंने ‘मन डोले मेरा तन डोले..’ गाने के तर्ज पर बनाया. वहीं कई विषयों को स्थानीय गीत-संगीत में भी बनाया. इससे बच्चों को चीजें जल्दी याद होने लगीं.
शिक्षक मोहन दूबे का संबंध दूर-दूर तक संगीत से नहीं था. लेकिन संगीत को अपने पेशे में शामिल करने के बाद मोहन दूबे ने प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से 2008 में संगीत में शास्त्री की डिग्री ली.
वह यहीं नहीं रुके, इसके बाद उन्होंने 2012 में भाव संगीत की डिग्री ली. इसके बाद मोहन दूबे कई संगीत भावों को भी अपने शिक्षण प्रणाली में इस्तेमाल करने लगे. मोहन दूबे बताते हैं कि वह संगीत के जरिये बच्चों को 2002 से संस्कृत और 2007 से हिंदी व्याकरण शिक्षा दे रहे हैं. इंगलिश ग्रामर में मोहन दूबे ने इसकी शुरुआत हाल में की है.
शिक्षक मोहन दूबे भाषा के शिक्षक हैं. राजेंद्र नगर स्थित रोज पब्लिक स्कूल में पढ़ा रहे मोहन दूबे ने हिंदी और संस्कृत व्याकरण और इंगलिश ग्रामर को संगीत की धुन में पिरो दिया है.
उन्होंने व्याकरण को इतना आसान बना दिया है कि अब उबाऊ और रटने का विषय नही रह गया है. बच्चों में उनका प्रभाव कैसा है, यह इसी बात से जाहिर होता है कि दूबे मास्टर जी की क्लास करने के लिए बेंच और डेस्क कम पड़ जाते हैं.
मोहन दूबे अपनी इस कला का गांव-गांव जाकर इसका प्रचार-प्रसार करना चाहते हैं. इसके लिए अब वे पटना के आस-पास के इलाकों में जाने की योजना बना रहे हैं.
इसके लिए वह गांव के स्कूलों से संपर्क कर रहे हैं. बहरहाल, मोहन दूबे अपनी पढ़ाई में हर टॉपिक के लिए अपनी अलग धुन बनाते हैं. बच्चों के लिए कोई भी धुन उबाऊ ना हो जाये, इसके लिए वह मौजूदा धुन में भी प्रयोग करते रहते हैं.
मोहन दूबे ने हिंदी में जहां कर्ता और क्रि या का एक चक्र बना कर उसमें एक संगीत का धुन डाल दिया है, वहीं इस चक्र में स्त्रीलिंग, पुलिंग, एक वचन, बहुवचन से लेकर कर्ता और क्रि या संबंधित हर टॉपिक को उन्होंने बड़े सरल तरीके से रखा है. एक बार इस चक्र के साथ धुन डालने पर इसे याद करना बहुत आसान हो जाता है.
वहीं वर्ण, वाक्य, समास, संधि को भी अलग-अलग धुनों में मोहन दूबे ने पिरोया है. बच्चों को बस इस धुन को पकड़वाना होता है. मोहन दूबे अपने इस टैलेंट के कारण कई रियलिटी शो में भी पहुंच चुके हैं. इंडियाज गॉट टैलेंट सीजन-3 में मोहन दूबे को अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिला था. वहीं, सोनी टीवी पर आने वाले रियलिटी शो ‘एंटरटेनमेंट के लिए कुछ भी करेगा’ में अपनी धमक सबको दिखा चुके हैं.
आगामी 31 जुलाई को पड़नेवाली गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में चल रही इस विशेष श्रृंखला ‘तस्मै श्री गुरवे नम:’ की तीसरी कड़ी में आज पढ़ें पटना के शिक्षक मोहन दुबे के अनूठे प्रयास के बारे में, जो बच्चों को पिछले 13 वर्षो से संस्कृत, हिंदी और अंगरेजी व्याकरण की शिक्षा दे रहे हैं.