वर्ल्ड टेक्नोलॉजी डे आज
तकनीक वो शब्द है, जिसने लोगों की जिंदगी आसान कर दी है और काम की रफ्तार बहुत तेजी. आज हम टेक्नोलॉजी से इतने ज्यादा जुड़ चुके हैं कि हमारे लगभग हर काम के लिए हम टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गये हैं. आजादी के इतने सालों बाद तकनीकी क्षेत्र में देश काफी ज्यादा आगे बढ़ चुका है और निजी जिंदगी में भी लोगों ने तकनीक और तकनीकी चीजों को पूरी तरह से अपना लिया है.
आज गांवों के लोगों के पास भी मोबाइल और टीवी है. आज हम दूसरे शहर में रह रहे अपने बच्चों तक एक एसएमएस से रुपये पहुंचा सकते हैं, उसका फोन रिचार्ज कर सकते हैं. दूर विदेशों में रह रहे अपनों से बिना विडियो कॉलिंग के जरिये घंटों बात कर रहे हैं. ऑफिस के काम को कंप्यूटर की मदद से तेजी से कर पा रहे हैं.
इतना ही नहीं, अब तो चार साल का बच्च भी आपके टच स्क्रीन फोन पर गेम खेल रहा है, वो भी बिना सिखाये.
टेक्नोलॉजी तब और अब
तब
* पहले एक जगह से दूसरे जगह पर रुपये भेजने के लिए मनी ऑर्डर भेजना पड़ता था, जिसको पहुंचने में महीने लग जाते थे.
* चिट्ठी भेजना पड़ता था, जिसको पहुंचने में 15 दिन लग जाते थे.
* टेलीफोन करने के लिए पीसीओ में लंबी लाइन लगानी पड़ती थी और बातें महंगी होती थी.
* शॉपिंग करने के लिए जेब भर कर रुपये ले जाना पड़ता था या दुकानों में टहलना पड़ता था.
* ट्रेन की टिकट कटाने के लिए लंबी लाइनों से गुजरना पड़ता था.
* ठंडे पानी के लिए घड़े का इस्तेमाल होता था.
* कंप्यूटर शायद किसी ने सुना होगा और किसी के पास होगा.
अब
* रुपये भेजने के लिए अब एटीएम है, जिसके जरिये कही भी पैसा निकाला जा सकता है और मनी ट्रांसफर किया जा सकता है.
* सिर्फ कुछ सेकेंड लगते हैं, मोबाइल से एसएमएस भेजने और इ-मेल में
* अब मोबाइल से सस्ते कॉल्स में लंबी बात होती है.
* शॉपिंग करने के लिए क्रेडिट कार्ड है और ऑनलाइन शॉपिंग जिसके जरिये घर बैठे ही शॉपिंग होती है.
* ट्रेन या प्लेन की टिकट कटाने के लिए ऑनलाइन रिजरवेशन कराते हैं.
* अब घरों में पानी ठंडा रखने के लिए फ्रिज का इस्तेमाल किया जाता है.
* अब कंप्यूटर भी पुराना हो चुका है, सब के पास सिर्फ लैपटॉप और टैब होता है
बेटी को देख चिंता हो जाती है दूर
शास्त्री नगर में रहने वाली सुनीता चौधरी बताती है कि जब मैं शादी के बाद अपने घर आयी तो, मां को फोन करने एसटीडी पीसीओ जाना पड़ता था. वहां आसपास लोग होते थे, तो ठीक से बात नहीं कर पाती थी इसलिए उन्हें खत लिख देती थी. जिसका जवाब 15-20 दिन बाद आता था, लेकिन अब मेरी बेटी चेन्नई में पढ़ाई करती है और मेरा बेटा रोज वीडियो कॉल से मेरी उससे बात करवाता है. अब मेरी चिंता दूर हो जाती है, जब मैं उसे देख लेती हूं.
एटीएम कार्ड है, तो रुपये लेकर घूमने की जरूरत नहीं
बिजनेसमैन सुधीर कुमार ने बताया मेरे पिताजी अपना एक किस्सा बताते हैं कि जब वे गांव में थे और उन्हें ट्रैक्टर खरीदने शहर जाना था, तो ढेर सारे रुपये वे अपने साथ बैग में भर कर ले गये, रुपये चोरी हो गये. फिर रोना-धोना शुरू हो गया. हालांकि बाद में वो रुपये मिल गये, लेकिन यह किस्सा यादगार हो गया. अब तो एटीएम कार्ड की सुविधा है. चोरी का खतरा खत्म. पिताजी अब आश्चर्य करते हुए कहते हैं कि टेक्नोलॉजी ने जिंदगी बदल दी.
अब टिकट के लिए लाइन में नहीं लगना पड़ता
बोरिंग रोड में रहनेवाले जय प्रकाश प्रसाद कहते हैं एक वक्त था जब हम ट्रेन की टिकट कटाने के लिए लाइन में घंटों लगते थे. अब तो हमारा बेटा ऑनलाइन टिकट बुक कर देता है. फोन पर मैसेज भी आ जाता है और जब हम ट्रेन पर होते हैं, तो टिकट दिखाने की जरूरत नहीं होती, सिर्फ मोबाइल का मैसेज और आइडी कार्ड दिखा देते हैं. इनसान का जीवन टेक्नोलॉजी ने इतना आसान कर दिया है कि पूछो मत.