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वियतनाम और भारत जैसे देश अमेरिकी नेतृत्व से हताश : बॉबी जिन्दल

वाशिंगटन : ओबामा प्रशासन की विदेश नीति की आलोचना करते हुए राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन आकांक्षी बॉबी जिन्दल ने मांग की है कि अमेरिका को वैश्विक नेतृत्व की कमान संभालने के लिए कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत और वियतनाम जैसे गुटनिरपेक्ष देश भी हताश हैं और वे अमेरिकी नेतृत्व के लिए लालायित हैं. […]

वाशिंगटन : ओबामा प्रशासन की विदेश नीति की आलोचना करते हुए राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन आकांक्षी बॉबी जिन्दल ने मांग की है कि अमेरिका को वैश्विक नेतृत्व की कमान संभालने के लिए कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत और वियतनाम जैसे गुटनिरपेक्ष देश भी हताश हैं और वे अमेरिकी नेतृत्व के लिए लालायित हैं. जिन्दल (44) ने फॉक्स न्यूज से कहा, ‘हम न सिर्फ जापान और दक्षिण कोरिया तथा ताइवान जैसे अपने सहयोगियों के साथ काम करेंगे, बल्कि भारत और वियतनाम जैसे गुट निरपेक्ष देशों के साथ भी काम करेंगे जो हताश हैं और अमेरिकी नेतृत्व के लिए लालायित हैं.’

वर्ष 2016 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए पिछले महीने अपनी दावेदारी की घोषणा करने वाले जिन्दल पश्चिम एशिया में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की ओर से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने से संबंधित सवालों का जवाब दे रहे थे. जिन्दल ने आरोप लगाया, ‘आपको एक ऐसा राष्ट्रपति मिला. जो दुश्मन का नाम तक नहीं लेते. आपको पश्चिम एशिया में ऐसे नेता मिले हैं जो चरमपंथी इस्लामी आतंकवाद के खतरे को समझते हैं. हमें एक ऐसे राष्ट्रपति मिले हैं जो यहां तक कि उन शब्दों को कहते तक नहीं हैं. इसकी बजाय वह अमेरिका की आलोचना करेंगे. इसकी बजाय वह ट्रांस फैट्स और जंक फूड के खिलाफ जंग की घोषणा करेंगे. इसकी बजाय वह धर्मयुद्ध और मध्ययुगीन ईसाइयों पर युद्ध की घोषणा करेंगे.’

जिन्दल ने कहा कि ओबामा को धर्मगुरुओं और इस्लामी नेताओं को यह बताने की जरुरत है कि उन्हें अन्य धर्मों के लोगों के धार्मिक अधिकारों को स्पष्टता के साथ मान्यता देने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, ‘फिर से विदेश नीति के बारे में बात करें तो हम इस्राइल के साथ खडे हैं. मैं ईरान को स्पष्ट करुंगा, मैं इसकी कोई परवाह नहीं करता कि इस राष्ट्रपति ने कौन सा समझौता हस्ताक्षरित किया है. मैं तब तक किसी समझौते को नहीं मानूंगा जब तक कि यह वास्तव में अपनी संवर्द्धन क्षमता से मुक्ति नहीं पा लेता.’

जिन्दल ने कहा, ‘यह राष्ट्रपति पीछे से नेतृत्व करते हैं. जब वह अमेरिका की आलोचना करते हैं तो वह अमेरिका की विशिष्टता को उस तरह से अंगीकार नहीं करते, जैसे हम और आप करते हैं. हम इस बात को समझते हैं कि अमेरिका भिन्न है, अमेरिका विशेष है. हम अद्वितीय हैं, और हम ऐसा कहने के लिए अडिग हैं. यह कहना कोई घमंड भरी बात नहीं है कि अमेरिका एक विशेष देश है और हम अपने हितों तथा सहयोगियों की रक्षा करेंगे.’ एक सवाल के जवाब में जिन्दल ने माना कि एक अमेरिकी दैनिक द्वारा उनके बारे में हाल में लिखी गई एक रिपोर्ट नस्लीय है.

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