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हिंदी में है दम

आज है हिंदी दिवस. अपनी मातृभाषा को सम्मान देने का दिन. आज ही के दिन 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया. हिंदी को उसका सर्वोच्च स्थान दिलाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर महात्मा गांधी, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि अनेक महापुरुषों ने अहम भूमिका निभायी. विगत वर्षो में तकनीक […]

आज है हिंदी दिवस. अपनी मातृभाषा को सम्मान देने का दिन. आज ही के दिन 1949 में हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया. हिंदी को उसका सर्वोच्च स्थान दिलाने में भारतेंदु हरिश्चंद्र से लेकर महात्मा गांधी, पुरुषोत्तम दास टंडन आदि अनेक महापुरुषों ने अहम भूमिका निभायी. विगत वर्षो में तकनीक का साथी बन यह बाजार की भाषा भी बन गयी है. आज जिस तरह जहां फिजी, मॉरीशस, सूरीनाम सहित ब्रिटेन व अमेरिका जैसे देशों में हिंदी भाषा का विस्तार हो रहा है, हम भारतीयों को इस पर अभिमान होना चाहिए. हम गर्व से कहें कि हम हिंदीभाषी हैं.

विदेशी धरती पर हिंदी स्कूल

बेलारूस में : भारत से हजारों किलोमीटर दूर बेलारूस में हिंदी सिखाने के लिए स्कूल संचालित है. हिंदी के स्कूल की वेबसाइट http://uroki.hindischool.info/ पर हिंदी सीखने के लिए ढेरों सामग्री दी गयी है. मिखाइल इस संस्थान के प्रमुख आचार्य हैं. वेबसाइट पर उन्होंने हिंदी के कई वैश्विक संस्थानों को जोड़ा है.

तुर्की में : यूरोप और एशिया के बीच प्राकृतिक पुल के रूप में प्रसिद्ध तुर्की से हिंदी का रिश्ता बहुत ही पुराना है. यहां के अंकारा विश्वविद्यालय में कई दशकों से हिंदी पढ़ाई जा रही है. अंकारा विश्वविद्यालय के भाषा और इतिहास-भूगोल संकाय में भारतीय विद्या विभाग की स्थापना जर्मन-भारतीय वैज्ञानिक वाल्टर रूबेन द्वारा 1936 में हुआ था. हिंदी के साथ पहले कक्षाओं से संस्कृत भी पढ़ाया जाता है. हाल ही में ओरहान पामुक नामक एक नोबल विजेता तुर्की लेखक की किताब स्नो को भारत में हिंदी अनुवाद के साथ रिलीज किया गया. वहां के लोगों को हिंदी फिल्में देखना, हिंदी गाने सुनना, भारतीय खान-पान, वेशभूषा बहुत अच्छे लगते हैं.

फ्रांस में : फैशन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर फ्रांस का एक विश्व विख्यात संस्थान इनालाको हिंदी सिखाता है. यह संस्थान फ्रांस में हिंदी की प्रारंभिक शिक्षा भी देता है और पूरे विश्व में हिंदी पढ़ाने का प्रशिक्षण भी. संस्थान की स्थापना फ्रांस के उच्च शिक्षा और शोध मंत्रलय ने की थी. संभवत: यह विश्व का सबसे बड़ा भाषायी शिक्षण-प्रशिक्षण केंद्र है. यहां विश्व की 90 से भी ज्यादा भाषाओं की शिक्षा दी जाती है. इनमें हिंदी भी एक है.

ऑनलाइन खेलो शब्द खेल

दिल्ली के औशिम घोष और विनोद सैनी ने अपने साथियों के साथ मिलकर हिंदी जगत को एक ऑनलाइन डिजिटल शब्द खेल की सौगात दी है. शब्द कोशिश (http://www.hindi.shabdkoshish. com/) नाम से इस साइट पर हिंदी में अन्य कई जानकारीपरक सामग्रियां व लिंक्स भी हैं.

आज हिंदी में बोलते हैं कई विदेशी रेडियो

अब संयुक्त राष्ट्र ने भी हिंदी में बोलना शुरू कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र रोज तो नहीं, मगर हर सप्ताह हिंदी में बात करने लगा है. बात कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र के रेडियो की, जो न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय और दुनिया भर में बने कार्यालयों की सूचनाएं, समाचार वेबसाइट के माध्यम से हिंदी सेवा पूरे विश्व में प्रसारित करता है. संयुक्त राष्ट्र रेडियो की हिंदी सेवा साप्ताहिक है. इन समाचारों को संयुक्त राष्ट्र हिंदी रेडियो की इस वेबसाइट http://www.unmultimedia. org/radio/hindi/ पर सुना और पढ़ा जा सकता है. इसी तरह रूस का रेडियो भी http://hindi.ruvr.ru/ पर सुना जा सकता है. यहां शुद्ध हिंदी में समाचार व मनोरंजक कार्यक्रम प्रस्तुत किये गये हैं. ईरान की समाचार सेवा रेडियो तेहरान भी इनमें से एक है. उसकी वेबसाइट http://hindi.irib.ir/ पर हिंदी में खबरें पढ़ी जा सकती हैं. रेडियो तेहरान ने हिंदी सेवा 1998 में की शुरू की थी. यह प्रतिदिन सुबह साढ़े सात से आठ बजे व शाम को आठ से नौ बजे तक कार्यक्र म सुने जा सकते हैं.

मिलिए एक जापानी हिंदीप्रेमी से

‘‘जापान की राजधानी तोक्यो के किनारे, छोटे उपनगर में रहनेवाला एक मामूली-सा पक्का जापानी. अरमान है मेरा, हिंदी की क्षमता सुधारने के लिए सहायता, फिर तो और कुछ भी हो जाये!!’’ जापान में रहनेवाले मात्सु के मन में हिंदी के प्रति गहरी आत्मीयता है. उनका यही प्रेम उनके हिंदी ब्लॉग http://namaste20matsu.blogspot. in/ पर दिखता है. मात्सु 2004 से ब्लॉग के जरिये लगातार भारत को जापान से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं.

प्रथम हिंदी-अंगरेजी शब्दकोश के निर्माता प्रो रोनाल्ड स्टुअर्ट

प्रथम हिंदी-अंगरेजी शब्दकोश के निर्माता तथा हिंदी भाषा व साहित्य के अध्ययन के क्षेत्र में ऐतिहासिक योगदान करनेवाले व्यक्ति थे प्रो. रोनाल्ड स्टुअर्ट मेकग्रेगर. न्यूजीलैंड में जन्मे व स्कॉटिश माता-पिता की संतान प्रो. मेकग्रेगर को बालपन में फिजी से प्रकाशित हिंदी के एक व्याकरण की प्रति किसी ने दी थी, जिसने उनके जीवन का रु ख हिंदी की ओर मोड़ दिया. 1959-60 में वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिंदी की पढ़ाई करने भारत आये थे. 1964 से 1997 तक वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाते रहे. इसी वर्ष 19 अगस्त को उनका निधन हो गया.

हिंदी बनी तकनीक की साथी

विगत वर्षो में हिंदी तकनीक की भाषा बन कर उभरी है. आज इंटरनेट, सोशल मीडिया से लेकर स्मार्टफोन पर हम अपनी भाषा का प्रयोग कर पा रहे हैं. गूगल ट्रांसलेशन, हिंदी वेबसाइट-ब्लॉग, डोमेन, सॉफ्टवेयर-टूल, हिंदी टाइपिंग आदि सब संभव हुआ. इसमें यूनिकोड की अहम भूमिका है. हिंदी के बढ़ते बाजार को देख तमाम न्यूज पोर्टल, विज्ञापन से लेकर दक्षिण भारतीय फिल्में भी हिंदी में आने को मजबूर हुए.

हिंदी से जुड़े कुछ तथ्य

*आपको यह जान कर भी आश्चर्य होगा कि हिंदी भाषा के इतिहास पर पहले साहित्य की रचना ग्रासिन द तैसी, एक फ्रांसीसी लेखक ने की थी.

* हिंदी और दूसरी भाषाओं पर पहला विस्तृत सर्वेक्षण सर जॉर्ज अब्राहम ग्रीयर्सन (एक अंगरेज) ने किया.

* हिंदी भाषा पर पहला शोध कार्य ‘द थिओलॉजी ऑफ तुलसीदास’ को लंदन विश्वविद्यालय में पहली बार अंगरेज विद्वान जेआर कार्पेटर ने प्रस्तुत किया था.

* 1977 में श्री अटल बिहारी वाजपेयी, तत्कालीन विदेश मंत्री ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र की आम सभा को हिंदी में संबोधित किया.

* 1918 में मराठी भाषी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से घोषित किया कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी.

* सर्वप्रथम भारतीय रिजर्व बैंक ने देवनागरी में इ-मेल भेजने की शुरुआत की. आज सभी केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों, वित्तीय संस्थाओं में इ-मेल, वेबसाइट, इंटरनेट, वीसेट आदि सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यमों में हिंदी का प्रयोग हो रहा है.

*चीनी के बाद हिंदी भाषा विश्व में सबसे अधिक बोली जानेवाली भाषा है.

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