दक्षा वैदकर
12वीं पढ़नेवाली एक बच्ची निकिता (परिवर्तित नाम) ने फेसबुक पर मैसेज किया है. वह कहती है, ‘मैं कुछ दिनों से उदास हूं. दरअसल मेरी सहेलियों ने मुझसे बात करना बंद कर दिया है. सभी मुङो इग्नोर कर रही हैं.
उस ग्रुप में मेरी बेस्ट फ्रेंड भी है, जो सभी से कह रही है कि मैं मतलबी लड़की हूं. मैं इस बात से बहुत डिस्टर्ब हूं. पढ़ भी नहीं पा रही. मैंने उन लोगों से बात करने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो बात नहीं कर रहे. मैं क्या करूं?’
निकिता.. पता है, मेरे साथ भी ऐसा हो चुका है. कभी-कभी हमारे दोस्त हमारे बारे में कुछ गलत राय बना लेते हैं और खुद ही हमसे बात करना बंद कर देते हैं. हमें दुख पहुंचता है कि हमारे इतने अच्छे दोस्तों को क्या हो गया? क्या वो सभी अच्छे पल भूल गये, जो हम लोगों ने साथ बिताये हैं?
हम उन्हें मनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे हैं कि मानते ही नहीं. मैंने भी अपने एक दोस्त के रुठने पर एक-दो बार यह ट्राय किया. लेकिन जब बाद में महसूस हुआ कि मैं उसे मना नहीं रही, बल्कि दोस्ती की भीख मांग रही हूं, तो मैंने खुद को संभाला. यह भी सोचा कि जब मेरी तरफ से कोई गलती हुई ही नहीं है, तो भला मैं क्यों मना रही हूं?
हो सकता है कि अनजाने में कोई गलती हुई हो, लेकिन उसके लिए भी मैं दो बार बात करने की कोशिश कर चुकी हूं और मेरे मुताबिक सामनेवाले का इतना फर्ज तो बनता है कि रुठने की वजह बताये.
अगर कोई बिना वजह बताये बात करना बंद कर देता है और रिश्ता सुधारने का मौका ही नहीं देता है, तो यह मान लेना चाहिए कि सामनेवाले को हमसे दोस्ती नहीं रखनी. और इस बात का बुरा मानने की भी जरूरत नहीं.
यह जरूरी नहीं कि दुनिया का हर व्यक्ति हमें पसंद करे, हमसे बात करे और हमारा दोस्त बने. किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि दोस्तों के मुंह पर दरवाजा बंद करनेवाले भूल जाते हैं कि दरवाजे की छिटकनी हमारी तरफ से भी लग सकती है.
अगर तुम अपने दोस्तों को मनाने के लिए एक-दो बार प्रयास कर चुकी हूं और वो फिर भी नहीं मान रहे, तो बेहतर है कि ऐसे दोस्तों को भूल जाओ. वो सच में दोस्त बनने के काबिल नहीं.
बात पते की..
– जो लोग आपको जान-बूझ कर तकलीफ पहुंचाते हैं, उन लोगों को जितना जल्दी हो सके, अपनी जिंदगी से निकाल कर दूर कर दो.
– कुछ लोगों की आदत होती है, बेवजह रूठने की. उन्हें लगता है कि सामने वाला बार-बार उन्हें मनाये. ऐसे लोगों को अकेला छोड़ दो, तो बेहतर है.