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‘करो’ कैटेगरी का इनसान बनें और सफलता पायें

।। दक्षा वैदकर ।। लेखक हिमेश के अनुसार, दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले, ‘करो’ कैटेगरी के और दूसरे, ‘छोड़ो’ कैटेगरी के. करो कैटेगरी के लोग जब किसी कार्यक्रम में किसी अनजान के पास बैठते हैं, तो वे उनसे बातचीत कर दोस्ती बढ़ाते हैं. वहीं छोड़ो कैटेगरी के लोग उस व्यक्ति से […]

।। दक्षा वैदकर ।।

लेखक हिमेश के अनुसार, दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं. पहले, करोकैटेगरी के और दूसरे, छोड़ोकैटेगरी के. करो कैटेगरी के लोग जब किसी कार्यक्रम में किसी अनजान के पास बैठते हैं, तो वे उनसे बातचीत कर दोस्ती बढ़ाते हैं.

वहीं छोड़ो कैटेगरी के लोग उस व्यक्ति से प्रभावित तो होते हैं, लेकिन यह सोचते रह जाते हैं कि बात करूं या करूं. करो कैटेगरी के लोग अगर तय करते हैं कि सुबह टहलने जाना है, तो वे सुबह विचार आते ही बिस्तर से उठते हैं और टहलने चले जाते हैं. छोड़ो कैटेगरी के लोग बिस्तर पर लेटेलेटे सोचते हैं कि थोड़ी देर और सो लूं, या कल से पक्का जाऊंगा.

करो कैटेगरी के लोगों को अगर किसी साथी कर्मचारी की कोई चीज अच्छी लगती है, तो वे तुरंत उस व्यक्ति के पास जा कर उसकी तारीफ करते हैं जबकि छोड़ो कैटेगरी के लोग इंतजार करते हैं कि जब वह व्यक्ति किसी काम से मेरे पास आयेगा, तब उसकी तारीफ कर दूंगा. अभी उठ कर कौन जाये?

आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इन दोनों कैटेगरी में से सफल इनसान कौन होगा. करो कैटेगरी के लोग ही सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जायेंगे और छोड़ो कैटेगरी के लोग उन्हें आगे बढ़ते हुए देखते रह जायेंगे. हमें यह समझना होगा कि आज दुनिया में जितने भी आविष्कार हुए हैं, जितने भी प्रोडक्ट हम इस्तेमाल कर रहे हैं, वह करो कैटेगरी के लोगों ने बनाये हैं.

उनके दिमाग में एक आइडिया आया और उन्होंने उस पर तुरंत काम शुरू किया. इसलिए वह चीज साकार हो पायी.

कई लोगों के छोड़ो कैटेगरी में शामिल होने की वजह यह होती है कि वे सही समय आने का इंतजार करते रहते हैं. वे सोचते हैं कि जब फलां चीज ठीक हो जायेगी, तब मैं यह काम करूंगा. जब सड़क पर भीड़ नहीं होगी, तब मैं गाड़ी निकालूंगा. जब बारिश बंद हो जायेगी, तब मैं वह काम करने जाऊंगा.

इस तरह के विचार रख कर हम केवल समय बरबाद करते हैं, क्योंकि वह सही समय कभी नहीं आता. बेहतर यही होगा कि हम ट्रैफिक हटने की चिंता करें, बल्कि खुद सही ढंग से गाड़ी चलाना सीखें. मंजिल मिल ही जायेगी, देर से ही सही/गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं.

बात पते की

– जब भी कोई अच्छा आइडिया दिमाग में आये, उस पर तुरंत काम शुरू कर दें. यदि आप चीजों को टालेंगे, तो वे कभी साकार रूप नहीं ले पायेंगी.

– अपने अंदर का डर निकालें कि लोग क्या कहेंगे या सामनेवाला मुझसे बात करेगा या नहीं. यदि आप गिरने से डरेंगे, तो दौड़ेंगे कैसे?

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