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छोटी उम्र में मिली बड़ी सफलता

रत्नेश तिवारी कोलकाता : प्रतिभा किसी भी उम्र की गुलाम नहीं होती. यदि आप में कोई प्रतिभा हो तो उसे दूसरड़ों के सम्मुख आने में कोई बाधा नहीं होती. प्रतिभा के साथ सफलता उस व्यक्ति के कदम को चूमती है. ऐसी ही एक बच्ची है कोलकाता में 11 वर्षीय अग्निहोत्री मुखर्जी. प्यार से सभी उसे […]

रत्नेश तिवारी

कोलकाता : प्रतिभा किसी भी उम्र की गुलाम नहीं होती. यदि आप में कोई प्रतिभा हो तो उसे दूसरड़ों के सम्मुख आने में कोई बाधा नहीं होती. प्रतिभा के साथ सफलता उस व्यक्ति के कदम को चूमती है. ऐसी ही एक बच्ची है कोलकाता में 11 वर्षीय अग्निहोत्री मुखर्जी. प्यार से सभी उसे मोहर के नाम से पुकारते हैं. पिता अभिज्ञान मुखर्जी कोलकाता पुलिस में सर्जेट हैं, जबकि माता रूपा मुखर्जी एक सफल नृत्यांगना एवं अभिनय में रुचि रखने के साथ एक सफल गृहिणी भी हैं.

दो साल की उम्र से डांस का क्रेज

घरवाले बताते हैं कि 22 जनवरी 2002 को जन्मी मोहर जब दो साल की थी, तभी से उसकी रुचि नृत्य के प्रति देखने को मिलती थी. टीवी में किसी भी गाने को देखते बिस्तर पर ही मोहर के सिर के साथ पैर थिरकने लगते थे. मोहर की यह गतिविधि उसके माता-पिता के नजर में आयी. मां रूपा खुद नृत्यांगना हैं. इसलिए उन्होंने अपनी बेटी को पहले घर में भी थिरकना सिखाना शुरू कर दिया. तीन साल की उम्र में स्कूल में दाखिले के साथ मोहर को गणोश आचार्य डांस अकादमी में दाखिला करवाया गया. तब से लेकर आज तक मोहर इस अकादमी में नृत्य सीख रही है.

सौ से अधिक प्रतियोगिताओं में हिस्सा

पारंपरिक लोकनृत्य के साथ मोहर आज के आधुनिक नृत्य शैली में भी माहिर है. जय हो नृत्य प्रतियोगिता में मोहर को बेस्ट डांसर के रूप में सम्मानित किया गया. अब तक प्रदेश स्तर के दर्जनों नृत्य प्रतियोगिताओं में मोहर अव्वल रही है. कोलकाता पुलिस के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मोहर के नृत्य खूब तालियां बटोरते हैं. मोहर के आदर्श डांसर प्रभु देवा एवं रेमो डिसूजा हैं, जबकि पसंदीदा बेस्ट कोरियोग्राफर गणोश आचार्य हैं. 11 साल की उम्र में कक्षा छह की छात्र मोहर ने 100 से अधिक विभिन्न नृत्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर अपनी प्रतिभा को लोगों के सम्मुख रखा.

कहती है मोहर

मोहर के लिए वह दिन सबसे महत्वपूर्ण था, जब 2011 में हिंदी फिल्म सिंघम के सेट पर फिल्म के टाइटल सांग में अभिनेता अजय देवगन एवं अन्य साथी कलाकारों के साथ नृत्य करने का मौका मिला. तब मोहर नौ साल की थी. मोहर कहती है कि भारतीय नृत्य एवं बंगाल की संस्कृति को सिर्फ भारत के लोगों तक नहीं बल्कि विश्व के सामने रखना ही उसके जीवन का लक्ष्य है.

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