कृभको भारत सरकार की एक अग्रणी उर्वरक कंपनी है. यह कंपनी सहकारिता के सिद्धांत के आधार पर गठित की गयी. कंपनी के उत्पादित उर्वरक पर देश की किसानों की निर्भरता है. यह कंपनी मुख्य रूप से यूरिया का उत्पादन करती है, जो हमारे किसानों को रियायती दरों पर लैंपस-पैक्स व अन्य माध्यमों से उपलब्ध कराया जाता है. भारत में जितने यूरिया की खपत है, उसका लगभग आधा हिस्सा इस कंपनी की सहयोगी इकाइयों के द्वारा उत्पादित कर लिया गया. कंपनी हाइब्रीड बीज की मार्केटिंग का भी कार्य करती है.
भारत दुनिया के वैसे देशों में शामिल हैं, जहां हाइब्रीड बीज का ग्लोबल बाजार पांच प्रतिशत सालाना की रफ्तार से बढ़ रहा है, वहीं भारत में यह दस प्रतिशत सालाना की रफ्तार से बढ़ रहा है. हालांकि इस क्षेत्र में अभी इसके प्रवेश किये कम ही समय हुआ है, लेकिन कंपनी तेजी से हाइब्रीड बीज के बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही है. कृभको अमोनिया गैस, बायोखाद, जैविक खाद आदि के उत्पादन व व्यवसाय से भी जुड़ी हुई है. बिहार के आरा में कंपनी का एक सीड प्लांट है. कृभको कृषि के साथ ही ग्रामीण विकास व कोऑपरेटिव के विकास के लिए भी काम करती है.
कृषक भारत सेवा केंद्र कृभको के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में बनायी गयी ऐसी इकाई हैं, जहां एक ही छत के नीचे किसानों को हर तरह की सहायता उपलब्ध कराने की कोशिश की जाती है. जैसे कृषि के लिए आवश्यक तकनीकी जानकारी, कृषि से संबंधित पत्रिकाएं, छोटे कृषि उपकरण की मुफ्त उपलब्धता, किसान हेल्पलाइन की सुविधा, मुफ्त जांच के लिए मिट्टी का संग्रहण व उसकी जांच, कृषि कर्ज के बाद सलाह, फसल का बीमा, सिंचाई व अन्य सुविधाएं कंपनी के द्वारा उपलब्ध करायी जाती हैं. केंद्र से किसानों को अपने कृषि उत्पाद का समय पर व अच्छा मूल्य हासिल करने में भी मदद मिलती है. केंद्र गरीब किसानों को विशेष रूप से सहायता उपलब्ध कराने की कोशिश करती है. उन्हें स्प्रेयर, बीजोपचार करने के लिए ड्रम, ड्रिल आदि बिना शुल्क के उपलब्ध कराया जाता है.
सहकारिता के सिद्धांत का विस्तार
कृभको कृषि के साथ सहकारिता व ग्रामीण विकास के लिए भी काम करती है. ग्रामीण इलाकों में सहकारिता आंदोलन से लोगों को जोड़ने के लिए सेमिनार आदि का भी आयोजन किया जाता है. कृभकों में शेयर होल्डर का भी पैसा बड़ी संख्या में लगा है. इसके शेयरधारकों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है.
सीएसआर के तहत कंपनी का काम
यह कंपनी इसके अलावा अपनी सामुदायिक जिम्मेवारी (सीएसआर) के तहत कई तरह का कार्य करती हैं. मसलन, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, पौधारोपण, आधारभूत संरचना का निर्माण आदि. जिन इलाकों में कंपनी का प्लांट है, वहां के आसपास के ग्रामीणों के लिए पेयजल का प्रबंधन कंपनी की ओर से किया गया है. यहां तक की कुछ जगहों पर कंपनी चेकडैम का निर्माण भी करवाया. कंपनी अपने कार्यक्षेत्र में स्वास्थ्य कैंप लगवाती हैं और लोगों की स्वास्थ्य जांच कर उन्हें उचित चिकित्सीय सलाह भी दी जाती है. कई इलाकों में आदिवासी किसानों के लिए आंख जांच शिविर भी लगाया गया. ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्र में कंपनी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य करती है. जैसे – क्लासरूम बनवा देना, शौचालय बनवाना या फिर फर्नीचर, किताब आदि उपलब्ध करवाने का कार्य. कंपनी पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी कार्य करती है.
आप भी ले सकते हैं एजेंसी
कोई व्यक्ति जो कृभको की एजेंसी लेना चाहता है, वह कृभको कार्यालय में संपर्क कर सकता है. एक प्रक्रिया पूरी करने के बाद उसे एजेंसी दी जा सकती है. इस तरह कृभको लोगों के लिए रोजगार भी उपलब्ध कराता है. लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का यह एक अच्छा माध्यम है. कंपनी समय-समय पर युवाओं को नौकरी का भी अवसर उपलब्ध कराता है.
ग्राम्य विकास के समर्पित है जीवीटी
कृभको का अनुषांगिक संगठन है ग्रामीण विकास ट्रस्ट (जीवीटी) ग्रामीण विकास के लिए विभिन्न स्तरों पर काम करता है. इसकी कोशिश है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधनों का विकास हो. इसके लिए यह संगठन कृषि, बागवानी, जलछाजन, पशुपालन, पाल्ट्री, हस्तकरघा, कुटीर उद्योग सहित वैसे तमाम क्षेत्रों के लिए काम करती है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के साधनों के विकास में मददगार हो सकते हैं. बिहार व झारखंड में इसका अच्छा-खासा कामकाज है. आजीविका के साधनों के विकास के साथ स्वास्थ्य एवं स्वच्छता, शिक्षा, प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन के लिए भी यह संगठन काम करता है. झारखंड के दस व बिहार के आठ जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में जीवीटी काम कर रहा है. झारखंड के रांची, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, गोड्डा, लातेहार, पाकुड़, सरायकेला, साहिबगंज, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम जिले में जीवीटी का काम चल रहा है. जबकि बिहार के अरवल, औरंगाबाद, जहानाबाद, गया, मुजफ्फरपुर, नवादा, पूर्णिया व कटिहार जिले में जीवीटी का काम चल रहा है.
भूमि व जल संरक्षण के लिए भी यह किसानों को जागरूक करता है और उन्हें इसकी विधि बताता है. जीवीटी स्वयं सहायता समूहों के द्वारा बनाये गये उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाने में भी मदद करता है. जीवीटी के जलछाजन कार्यक्रम से 2011 तक देश के 17 लाख लोग लाभान्वित हुए थे व 73, 164 हेक्टेयर भूमि पर जलछाजन कार्यक्रम चलाये जा चुके थे. जीवीटी किसानों को अपने कृषि उत्पाद में विविधता लाने के लिए भी बताता है, ताकि खेती उनके लिए अधिक से अधिक लाभकारी पेशा बन सके. यह ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार वालों को अपने बच्चों को स्कूलों में भेजने के लिए भी प्रोत्साहित करता है. इसकी कोशिशों से हजारों बच्चों का स्कूलों में दाखिला कराया गया. संगठन क्षमता निर्माण के लिए भी प्रयासरत है.