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मोदी के श्रीलंका दौरे से काफी उम्मीदें

कोलंबो : श्रीलंका के शीर्ष राजनीतिक नेताओं का कहना है कि उनके देश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा से काफी उम्मीदें हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय यात्रा की लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी. श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के नेता आर […]

कोलंबो : श्रीलंका के शीर्ष राजनीतिक नेताओं का कहना है कि उनके देश को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यात्रा से काफी उम्मीदें हैं, साथ ही उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री की द्विपक्षीय यात्रा की लम्बे समय से प्रतीक्षा की जा रही थी. श्रीलंका की मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के नेता आर संपथन ने 13 मार्च से शुरू हो रही प्रधानमंत्री मोदी की दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा के बारे में कहा, ‘मोदी की यात्रा से काफी उम्मीदें हैं.’

यात्रा से उम्मीदों के बारे में पूछे जाने पर उदारवादी तमिल नेता ने कहा कि वह इस यात्रा को आशा के साथ देख रहे हैं. अपनी मांगों के बारे में बताने से इंकार करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारे राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की यात्रा काफी अच्छी रही. अब हम मोदी की यात्रा को आशा के साथ देख रहे हैं.’ लिट्टे के साथ युद्ध के बाद राजनीतिक मेलमिलाप की प्रक्रिया तमिल दलों के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है.

श्रीलंका की नयी सरकार ने भारतीय नेतृत्व से वादा किया है कि वह बिना किसी तरह के भेदभाव के सभी को साथ लेकर मेलमिलाप के मुद्दे पर आगे बढेगी. श्रीलंका के पूर्व सेनाप्रमुख और लिट्टे के खिलाफ सफलतापूर्वक युद्ध का नेतृत्व करने वाले जनरल सरत फोंसेका ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा काफी पहले होनी चाहिए थी. उन्होंने श्रीलंका का लगातार समर्थन करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया और कहा कि दोनों देशों का गुटनिरपेक्ष रुख बरकरार रहना चाहिए.

मोदी की यात्रा के बारे में बातचीत करते हुए फोंसेका ने कहा, ‘इसे कुछ वर्ष पहले होना चाहिए था. 28 वर्ष बहुत लम्बा समय होता है लेकिन हमें खुशी है कि यह हो रहा है.’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13-14 मार्च को श्रीलंका की द्विपक्षीय यात्रा पर जा रहे हैं जो 1987 में भारत श्रीलंका संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए हुई भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की यात्रा के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा है.

फोंसेका ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के कार्यकाल के दौरान भारत-श्रीलंका संबंध को समस्याओं का सामना करना पडा था. उन्होंने कहा, ‘विभिन्न नियमों को तोडमरोड कर चीन की सरकार के साथ काफी समझौते किये गये. अब इंतजार करना और देखना है कि क्या ये सौदे हमारे देश के लिए अच्छे थे?’

श्रीलंका में चीन की गतिविधियों विशेष तौर पर वहां के बंदरगाहों पर चीनी पनडुब्बी के ठहरने की घटना पर भारत में काफी चिंता रही है. यह पूछे जाने पर क्या वह इस बात को लेकर निराश है कि लिट्टे के साथ युद्ध के दौरान भारत सैन्य रूप से मदद नहीं कर सका, फोंसेका ने कहा कि ऐसी बात नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘भारत ने हमें नैतिक और मनोवैज्ञानिक समर्थन दिया. यह हमारे लिए काफी अधिक है. हम तमिलनाडु में संवेदनाओं के संबंध में भारत सरकार के समक्ष पेश आ रही समस्याओं को समझते हैं.’

बहरहाल, श्रीलंका के अधिकारियों ने कहा कि मोदी की यात्रा से संबंधों में नरमी आने की उम्मीद है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘युद्ध समाप्त हो गया है और अब ध्यान विकास पर है. भारत लम्बे समय से हमारा सहयोगी रहा है और हम इसे मजबूत बनाना चाहते हैं. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और समन्वय बनाने की जरुरत है.’

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