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भारत, श्रीलंका के साथ त्रिपक्षीय सहयोग पर चीन कर रहा विचार

बीजिंग : चीन ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत और श्रीलंका की भागीदारी वाले त्रिपक्षीय सहयोग का प्रस्ताव किया है. वहीं, कोलंबो में बनी नई सरकार ने बीजिंग के साथ अपने संबंधों को फिर से संतुलित करना चाहा है जिसके लिए एक गुट निरपेक्ष नीति के पालन को वरीयता दी जाएगी.चीनी विदेश मंत्री वांग यी […]

बीजिंग : चीन ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भारत और श्रीलंका की भागीदारी वाले त्रिपक्षीय सहयोग का प्रस्ताव किया है. वहीं, कोलंबो में बनी नई सरकार ने बीजिंग के साथ अपने संबंधों को फिर से संतुलित करना चाहा है जिसके लिए एक गुट निरपेक्ष नीति के पालन को वरीयता दी जाएगी.चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने श्रीलंकाई समकक्ष मंगला समरवीरा के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा,’ चीन, भारत और श्रीलंका के बीच एक त्रिपक्षीय सहयोग के लिए बीजिंग अपनी सोच खुली रखता है.’ वांग ने कहा,’ मैं कहना चाहता हूं कि भारत और श्रीलंका दक्षिण एशिया में चीन के सहकारी साझेदार हैं.’

जनवरी में हुए चुनाव में राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे की हार होने के बाद से बीजिंग की यात्रा करने वाले समरवीरा प्रथम श्रीलंकाई अधिकारी हैं. चीन ने राजपक्षे के शासन काल के दौरान श्रीलंका में काफी निवेश किया था जिससे भारत में चिंताएं बढी थी. समरवीरा की चीन यात्रा के बाद श्रीलंका के नये राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना अगले महीने यात्रा करेंगे.

दोनों मंत्रियों की लंबी वार्ता हुई जिसके केंद्र में श्रीलंका का नया राजनीतिक माहौल था. हालांकि, समरवीरा ने चीन के त्रिपक्षीय प्रस्ताव पर टिप्पणी नहीं की. वांग ने बताया कि चीन तीनों देशों के साथ संबंध में प्रगति चाहता है जिनमें नई दिल्ली और कोलंबो के बीच संबंध शामिल है. उन्‍होंने कहा, ‘ हमारा मानना है कि चीन और भारत श्रीलंका के सामाजिक विकास को आगे बढाने में मदद करने में एक सकारात्मक भूमिका निभा सकते हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि चीन और भारत काफी संख्या में क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर संपर्क में रहेंगे. वांग ने कहा, ‘भविष्य में त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढाने के सिलसिले में हम भारत के साथ विचार विमर्श निश्चित रुप से करना चाहेंगे.’ भारत को एक पडोसी और संबंधी तथा चीन को करीबी मित्र बताते हुए समरवीरा ने कहा कि उनकी सरकार श्रीलंकाई लोगों के हित में सभी देशों के साथ अच्छे संबंध के जरिए गुट निरपेक्षता की नीति का पालन करेगी.

वांग ने कहा कि समुद्री रेशम मार्ग (एमएसआर) ने चीन और श्रीलंका को सैकड़ो साल पहले करीब लाया था और दोनों देशों के लोगों के जोडने के लिए यह एक अहम चीज है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश एमएसआर में नई जान फूंकने की है ताकि शांति के रेशम मार्ग की भावना, दोस्ताना और सहयोग को आगे ले जाया जा सके तथा साझा विकास को आगे बढाने के लिए सभी संबद्ध देशों के साथ काम किया जा सके.

उन्‍होंने स्वीकार किया कि श्रीलंका पहला देश है जिसने एमएसआर का समर्थन किया था. चीन की रेशम मार्ग परियोजनाओं में एशिया, यूरोप और अफ्रीका को जोडने वाली सडकें और बंदरगाह शामिल हैं. चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने परियोजनाओं को आगे बढाने के लिए 40 अरब डॉलर के कोष की घोषणा की थी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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