काठमांडो : भारत सहित 13 देशों के अधिकारी और विशेषज्ञ इस सप्ताह से शुरू हुए क्षेत्रीय संगोष्ठी में शिकार को पूर्ण रूप से रोकने के तौर तरीकों पर विचार कर रहे हैं. वन्यजीवों के अवैध शिकार का काला बाजार अरबों डॉलर का है. ‘टूवार्डस जीरो पोचिंग इन एशिया’ शीर्षक के पांच दिवसीय संगोष्ठी का लक्ष्य पूरे एशिया में लुप्तप्राय जीवों, विशेष रूप से बाघ, गैंडे और हाथी के शिकार को पूर्ण रूप से रोकने के लिए सहयोग बढाना है.
नेपाल के वन मंत्री महेश आचार्य द्वारा सोमवार को इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया गया. इसमें भूटान, बांग्लादेश, भारत, म्यामां, नेपाल, रुस और वियतनाम सहित 13 देशों के विशेषज्ञ, सरकारी अधिकारी तथा संरक्षण कार्य में जुटे कार्यकर्ता शिकार को पूर्ण रूप से रोकने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं.
सेमीनार के दौरान विशेषज्ञ शिकार रोकने के सर्वोत्तम तरीकों, उपकरणों, तकनीक आदि पर विचार करेंगे ताकि एशिया में वन्यजीवों का शिकार पूर्ण रूप से रोका जा सके. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ नेपाल के वरिष्ठ वन्यजीव विशेषज्ञ दिवाकर चापागेन ने बताया कि नेपाल एकमात्र ऐसा देश है जिसने संरक्षण के क्षेत्र में सामुदायिक सहयोग से शिकार को पूरी तरह रोक दिया है.
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ टाइगर्स अलाइव इनिसिएटिव के माइक बाल्तजार ने कहा, क्षेत्र में भारत और नेपाल सबसे ज्यादा बाघों की संख्या वाले राष्ट्र हैं. भारत बाघों की संख्या बढाने में जबकि नेपाल शिकार को पूरी तरह रोकने में सफल रहा है. भारत में 2010 से अभी तक बाघों की संख्या में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.