दक्षा वैदकर
सच बोलना अच्छी बात है, लेकिन कभी कुछ मौकों पर अगर हम झूठ बोल देंगे, तो इससे कुछ नुकसान नहीं होगा. बस सामनेवाला खुश हो जायेगा. मेरी एक दोस्त है, जो लोगों को उनके मुंह पर उनकी कमियां गिना देती है. अगर कोई पूछे कि मैं मोटी हो गयी हूं न? तो वह कहती, ‘हां, बिल्कुल भैंस लग रही हो.’ जब उससे कोई कहता है कि तुम थोड़ी झूठ बोल देती, तो क्या चला जाता तुम्हारा. वह पलट कर जवाब देती है, ‘मैं झूठ नहीं बोल सकती. किसी को बुरा लगना है, तो लगे. मैं तो ऐसी ही हूं.’
अगर आपका भी स्वभाव कुछ ऐसा ही है, तो इसे बदलें. दूसरों की खुशी के लिए, रिश्तों में गर्माहट बनी रहे, इसलिए थोड़ा झूठ बोलना भी सीख लें. उदाहरण के तौर पर आपका किसी से झगड़ा हो गया. आप सामने वाले की बात से सहमत नहीं हैं. ऐसी स्थिति में अगर आप उसके विरोध में कहेंगे, तो झगड़ा और बढ़ सकता है. ऐसे मौकों पर यह कह दें कि मैं भी आपसे सहमत हूं. इस तरह झगड़ा तुरंत खत्म हो जायेगा. हो सके तो बाद में मौका देख कर आराम से अपनी बात घुमा कर समझा दें. दूसरा उदाहरण, आपकी पत्नी ने नयी ड्रेस पहनी है और पूछ रही है कि मैं मोटी तो नहीं लग रही? आप कह दें कि नहीं, तुम बहुत अच्छी लग रही हो. अक्सर महिलाएं ऐसे सवालों के जवाब में बुराई नहीं सुनना चाहतीं. उनका दिल टूट जाता है और आत्मविश्वास खो जाता है. उस वक्त तारीफ कर दें. भले ही बाद में उन्हें प्यार से कह दें कि थोड़ी एक्सरसाइज से तुम और ज्यादा सुंदर दिखोगी.
कई बार हम किसी मुसीबत में फंस जाते हैं और हमें पता होता है कि हम इस परिस्थिति से बाहर निकल सकते हैं. ऐसे में जब हमारा कोई करीबी हमें तनाव में देखता है और वजह जानना चाहता है, तो हम झट से उसे सब कुछ बता देते हैं. यह जानते हुए भी कि वह इस परिस्थिति में कोई मदद नहीं कर पायेगा. ऐसी स्थिति में हम उन्हें ‘कोई खास बात नहीं’ का झूठ बोल कर शांत कर सकते हैं. सोचने वाली बात है कि अगर हम सच बता देंगे, तो वह कुछ कर तो नहीं सकता, उल्टा तनाव में आ जायेगा.
बात पते की..
– ऐसे झूठ बोल देने चाहिए, जिससे किसी का नुकसान नहीं हो रहा है और कोई इंसान खुश हो रहा है. यह भी एक अच्छी आदत है.
– सच बोलने के पहले कुछ देर सोचें कि ऐसा बोलने से क्या-क्या नुकसान हो सकता है. इस तरह आप परिस्थितियों को आसानी से हैंडल कर लेंगे.