Advertisement
अपने पहले बॉस की बुराई कभी न करें
दक्षा वैदकर जब हम कॉलेज से पढ़ कर निकलते हैं, तो कई कंपनियों में अपना बायोडाटा भेजते हैं. कई कंपनियों के अधिकारी हमें बार-बार चक्कर लगवाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे पास अनुभव नहीं होता. कोई भी बड़ी कंपनी युवाओं को रखने से हिचकिचाती है, क्योंकि उन्हें प्रोफेशनल लाइफ का अंदाजा नहीं होता. उन्हें जीरो […]
दक्षा वैदकर
जब हम कॉलेज से पढ़ कर निकलते हैं, तो कई कंपनियों में अपना बायोडाटा भेजते हैं. कई कंपनियों के अधिकारी हमें बार-बार चक्कर लगवाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे पास अनुभव नहीं होता. कोई भी बड़ी कंपनी युवाओं को रखने से हिचकिचाती है, क्योंकि उन्हें प्रोफेशनल लाइफ का अंदाजा नहीं होता. उन्हें जीरो से सिखाना पड़ता है, उन्हें नहीं पता होता कि जिम्मेवारी क्या होती है.
ऐसी स्थिति में जब कोई कंपनी का बॉस हम पर भरोसा कर के हमें पहला मौका देता है, तो हम खुशी से फूले नहीं समाते. हम उसके खूब गुणगान गाते हैं. वह हमें अतिरिक्त समय दे कर काम सिखाता है. हमारी गलतियों को नजरअंदाज करता है. पास बैठा कर हमें समझाता है. इस तरह हम काम करना सीख जाते हैं. कुछ सालों बाद जब हम काम में माहिर हो जाते हैं, तब जाकर दूसरी कंपनियां हमें खुद जॉब ऑफर करती हैं. हम भी अच्छी सैलरी देख कर जॉब शिफ्ट कर लेते हैं. इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
बस गलती हम तब करते हैं, जब पुरानी कंपनी के बॉस की बुराई करने लगते हैं, जिसने हमें इतना कुछ सिखाया. उसे देखते ही हम छिपने लगते हैं. अगर उसने कभी हमसे कोई पर्सनल काम करवा लिया हो, तो हम उस किस्से को बार-बार सभी को बताते हैं. आज यह बात इसलिए क्योंकि पिछले दिनों मैंने एक ऐसे ही युवा को देखा. वह अपने सबसे पहले बॉस की बुराई कर रहा था. सभी को कह रहा था, ‘भले ही उन्होंने मुङो नौकरी पर रखा, लेकिन मैंने भी उनके बहुत सारे काम किये हैं. उन्होंने कई बार मुङो जोर से डांटा भी है और सभी के सामने इनसल्ट भी की है.’
युवक के इस व्यवहार को देख मुङो अनुपम खेर का शो याद आ गया, जिसमें महेश भट्ट गेस्ट थे. इस शो में अनुपम खेर बताते हैं कि जब वे इस इंडस्ट्री में आने का प्रयास कर रहे थे, तब भट्ट साहब ने उन पर भरोसा कर उन्हें ‘सारांश’ फिल्म दी. इसी वजह से आज वे इस मुकाम पर हैं और यही वजह है कि वे आज भी महेश भट्ट को जितनी बार मिलते हैं, सम्मान स्वरूप कुछ रुपये उन्हें भेंट करते हैं. यह सिर्फ संकेत भर हैं, यह जताने का कि मुङो आपका अहसान जिंदगीभर याद रहेगा.
बात पते की..
बॉस ने भले ही आपको डांटा हो, कोई पर्सनल काम करवाया हो, लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप उनका एहसान भूल जायें.
आज आप जो कुछ भी हैं, उसमें उस इनसान का योगदान जरूर है, जिसने आपको पहला मौका दिया. इस बात को हमेशा याद रखें. उसे सम्मान दें.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement