दक्षा वैदकर
बातचीत में एक दोस्त ने अपनी लाइफ का इमबैरेसिंग मोमेंट (शर्मनाक पल) बताया. उसने बताया कि जब वह क्लास 6-7 में थी, तो उसके बाल काफी लंबे और घने थे. क्लास के सबसे प्यारे और सुंदर लड़के ने एक दिन उसे दोस्ती का प्रस्ताव दिया और वह ‘हां’ बोल कर शर्मा कर भाग गयी. वह बहुत खुश थी कि उसे इतना प्यारा लड़का पसंद करता है. दूसरे दिन क्लास में उस लड़के ने उसके बालों की तारीफ की. वह घर आने के बाद अपने बाल निहारती रही और बनाती रही.
इस पर उसकी मम्मी का ध्यान गया. बाल बांधने के लिए वे करीब आयीं, तो सिर में ढेर सारी जूं देख कर चिल्लाने लगीं. उन्होंने कहा कि आज ही तुम्हें गंजा कर देती हूं. वह खूब रोयी, लेकिन मम्मी ने एक न सुनी. उसी शाम नाई के पास जाकर उसका पूरा सिर मुंडा दिया. तीन-चार दिन वह शर्म से स्कूल नहीं गयी. लेकिन आखिरकार उसे स्कूल जाना ही पड़ा. सिर पर रूमाल बांध कर वह गयी. क्लास के सभी बच्चों ने उसका मजाक उड़ाया, सिवाय उस लड़के के. हालांकि बाद में वह किसी दूसरे शहर शिफ्ट हो गया और अभी कोई संपर्क भी नहीं है, लेकिन अभी भी वह घटना उसकी लाइफ की सबसे शर्मनाक घटना है.
इस किस्से को सुन मैं हंस भी रही थी और सोच रही थी कि जब यह घटना हुई होगी, तो उस बच्ची के दिल पर क्या गुजरी होगी. आज तो वह खूब हंस रही है और यह किस्सा सुना रही है. लेकिन क्या उस वक्त उसने सोचा होगा कि यह बहुत छोटी बात है और बाद में मैं इस पर हंसनेवाली हूं? नहीं. उस वक्त तो उसका दिल करता होगा कि धरती फट जाये और वह उसमें समा जाये. कोई उसे देख न सके. काश, कोई उसे उसी वक्त बता देता कि कुछ समय बाद तुम इस घटना पर हंसोगी, तब शायद वह इतना न रोयी होती.
दोस्तों, हम भी यही गलती करते हैं. जब भी कोई घटना होती है, तो बहुत सीरियस हो जाते हैं. हमें यह याद रखना होगा कि समय हर घाव को भर सकता है. कुछ सालों बाद हम भी इस घटना पर हंसेंगे, जिस पर अभी रो रहे हैं.
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