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गलती स्वीकारने से हम बनते हैं साहसी

दक्षा वैदकर पिछले दिनों मैं एक साउथ की मूवी देख रही थी. इसमें हीरोइन घर से भाग जाती है. हीरो उसे सुरक्षित रखने के लिए किसी बहाने से अपने घर में रखवा देता है. वह धीरे-धीरे सभी का दिल भी जीत लेती है. उस घर के मुखिया की एक प्रिय वस्तु हॉल में हमेशा रखी […]

दक्षा वैदकर

पिछले दिनों मैं एक साउथ की मूवी देख रही थी. इसमें हीरोइन घर से भाग जाती है. हीरो उसे सुरक्षित रखने के लिए किसी बहाने से अपने घर में रखवा देता है. वह धीरे-धीरे सभी का दिल भी जीत लेती है. उस घर के मुखिया की एक प्रिय वस्तु हॉल में हमेशा रखी रहती थी. वह जब भी घर से बाहर निकलता, तो उस वस्तु को एक बार जरूर देखता. एक बार घर की बहुओं के हाथों से साफ-सफाई के दौरान वह वस्तु टूट जाती है. सभी घबरा जाते हैं कि अब क्या होगा. मुखिया आते हैं और उस वस्तु को टूटा हुआ देखते हैं. वे गुस्से से तिलमिलाते हुए पूछते हैं ‘इसे किसने तोड़ा?’ कोई जवाब नहीं देता. तब हीरोइन आगे आ कर सारा इल्जाम अपने ऊपर ले लेती है. मुखिया उसे खूब खरी-खोटी सुनाते हैं.

उसे कहते हैं कि तुम मेहमान हो, इसलिए मैं कुछ सजा नहीं दे सकता. लेकिन अपनी हद में रहो. हीरोइन कमरे में जाकर खूब रोती हूं. जिन बहुओं से यह गलती हुई थी, उन्हें बहुत बुरा लगता है कि उनकी गलती की सजा हीरोइन को मिली. वह मुखिया के सामने जा कर अपनी गलती मान लेती हैं.

मुखिया उन्हें तो माफ कर ही देते हैं, साथ ही हीरोइन के पास जा कर उससे भी माफी मांगते हैं. वे उससे पूछते हैं कि तुमने इल्जाम अपने ऊपर क्यों ले लिया? हीरोइन कहती है, अगर आपको पता चलता कि वह चीज भाभियों के हाथ से टूटी है, तो आप उन्हें भला-बुरा कहते. हो सकता है आप गुस्से में कुछ ऐसा कह देते, जो आपको नहीं कहना चाहिए. भाभियों के दिल में वह बात घर कर जाती और इससे आप लोगों के रिश्ते में दरार आ जाती. घर का माहौल खराब हो जाता. मैं तो इस घर की सदस्य नहीं हूं. अगर मुङो कुछ कह भी दिया, तो कोई फर्क नहीं पड़ता. मुखिया अपने व्यवहार पर बेहद शर्मीदा होते हैं.

इस भावुक सीन ने मुङो सीख दी कि अगर हम अपनी गलती मान लें या अपनी गलती नहीं है, फिर भी सॉरी कह दें, तो कितने रिश्ते टूटने से बच सकते हैं. कई बार हम अपनी गलती मानने की बजाय अपनी ऊर्जा उसे छिपाने में लगा देते हैं. इस तरह हम अपने विकास को खुद रोकते हैं.

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

जब आप अपनी गलती को लेकर पछताते हैं और दिल से उसके लिए माफी मांगते हैं, तो सामनेवाला भी आपसे ज्यादा देर तक नाराज नहीं रह पाता.

गलतियों को स्वीकारना साबित करता है कि हम साहसी हैं और जिम्मेवारी लेना जानते हैं. जबकि माफी मांगने से बचना कमजोरी दर्शाता है.

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