इन दिनों बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के एक सेरोगेट बच्चे के पिता बनने की खबर मीडिया की सुर्खियों में रही है. सेरोगेसी एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें एक महिला किसी अन्य युगल के बच्चे को अपने पेट में पालती है और उसे जन्म देती है. सेरोगेट मां उस बच्चे की आनुवंशिक मां कही जा सकती है.
परंपरागत सेरोगेसी में, शुक्राणु का इस्तेमाल करते हुए कृत्रिम गर्भाधान आरोपित किया जाता है या किसी हेल्थ क्लिनिक में इंट्रासर्वाइकल इंसेमिनेशन द्वारा ऐसा किया जाता है. सेरोगेट मां बनने के लिए पहले से तैयार भ्रूण को हस्तांरित करने की जरूरत होती है, इसलिए इस प्रक्रिया को विशेषज्ञ और डॉक्टरों की देखरेख में क्लिनिक में ही किया जाता है.
किसी महिला के बांझ होने, उसके प्रसव में जोखिम होने या अन्य शारीरिक परेशानी की वजह से कई बार गर्भधारण करने पर उसके जीवन पर संकट मंडराने की आशंका जतायी जाती है. ऐसी स्थिति में सेरोगेट गर्भावस्था का इंतजाम किया जाता है. इसमें बच्चा चाहनेवाले इच्छित पति-पत्नी के शुक्राणुओं और अंडाणुओं का इस्तेमाल किया जाता है.
कई बार इनमें से कोई एक चीज निष्क्रिय होने से इसे दूसरों से भी हासिल किया जाता है. बताया जाता है कि चीन में लड़के की चाहत रखनेवाले ज्यादातर लोग इस प्रक्रिया को अपनाने लगे थे, जिसे बाद में प्रतिबंधित कर दिया गया.
मुख्य रूप से यह छह प्रकार का होता है. भारत में बढ़ रहे मेडिकल बाजार और मेडिकल टूरिज्म इंडस्ट्री में इसका आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. हालांकि, इस संबंध में कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है लेकिन माना जाता है कि भारत में इसका सालाना दो हजार करोड़ रुपयों का कारोबार होता है.