दक्षा वैदकर
ध्रुव एक बैंक में काम करता है. ऑफिस के लोग ही उसके दोस्त हैं. उन्हीं के साथ रह कर वह काम करता है और उन्हीं से पर्सनल बातें भी शेयर किया करता है. कभी सब दोस्त मिल कर बॉस की बुराई करते हैं, तो कभी अपने ही साथी कर्मचारियों की खिल्ली उड़ाते हैं. आमने-सामने आने पर तो गॉसिप का दौर जारी ही रहता है, व्हॉट्स एप्प, मैसेज और फोन कॉल्स पर भी चर्चाएं होती रहती हैं. एक दिन ध्रुव के दोस्त नितेश ने उसे फोन लगाया.
दरअसल वह छुट्टी पर था और ऑफिस का हालचाल पूछने के लिए उसने ध्रुव को फोन लगाया था. व्यस्त होने की वजह से ध्रुव ने फोन नहीं उठाया. बाद में रात को व्हॉट्स एप्प पर उसने नितेश को कहा, जब तुम्हारा फोन आया, मैं बॉस के केबिन में था. वह अपने फालतू किस्से-कहानियों से मुङो पका रहा था, लेकिन क्या करें यार.. सब सुनना पड़ता है. उसे तो कोई काम है नहीं, बस बुला कर बैठा लेता है और किस्से सुनाने लग जाता है. जैसे पूरी दुनिया में उसी के साथ सारी रोचक घटनाएं हुई हैं. मेरा तो दिल कर रहा था कि उसके मुंह पर सैलोटेप लगा कर बंद कर दूं. लेकिन केबिन में नकली इस्माइल दे-देकर मैं भी उसे पटा रहा था. यार प्रोमोशन का दौर जो आने वाला है. नितेश भी उसके चैट का जवाब ‘हां.. हमम.. अच्छा..और क्या हुआ’ में देता रहा.
दो-तीन दिन बाद ध्रुव ने गौर किया कि बॉस का व्यवहार कुछ बदला-बदला-सा है. पहले तो उसने सोचा कि उनका मूड खराब होगा, लेकिन जब यह समझ आया कि वे खासतौर पर उसे ही इग्नोर कर रहे हैं, तो वह उनके केबिन में पहुंच गया. उसने पूछा, ‘सर, क्या आप मेरी किसी बात से नाराज हैं? मुझसे आखिर ऐसी क्या गलती हो गयी है? प्लीज मुङो बताएं.’ बॉस ने बिना उसकी तरफ देखे फाइलों पर नजर घुमाते हुए कहा, ‘तुम्हें तो मेरे किस्से-कहानी बेकार लगते हैं न.. मैं तो बेकार हूं. कामधाम तो मुङो है नहीं. सब को बुला कर बैठा लेता हूं और जबरदस्ती किस्से सुनाता हूं मैं.’ ध्रुव को सारी बात समझ में आ गयी. उसने बॉस को समझाने की बहुत कोशिश की, माफी मांगी, लेकिन बॉस नहीं पिघले.
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बात पते की..
कभी भी किसी की बुराई उसकी पीठ पीछे न करें. हो सकता है कि कोई आपकी बात रिकॉर्ड कर ले, चैट सेव कर के तीसरे पक्ष को दिखा दे.
दूसरे आपको कई बातें बड़े विश्वास के साथ बताते हैं. जब आप उनकी बातों को सार्वजनिक कर देते हैं, तो आपकी इमेज भी खराब होती है.