इनसान भले ही अपनी गलतियों को सुधारते हुए पृथ्वी के अस्तित्व को बचाने की कोशिश करे, लेकिन एक अरब वर्ष के बाद इसका विनाश होना तय माना जा रहा है. एक नये अध्ययन में बताया गया है कि अगले एक अरब वर्षो में इस धरती से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों का नामोनिशान मिट जायेगा.
‘डेली मेल’ की एक खबर के मुताबिक, पर्यावरण में बढ़ रही कार्बन डाइऑक्साइड की मात्र को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. वर्तमान में विशेषज्ञ इस प्रयास में लगे हुए हैं कि ग्रीनहाऊस गैसों के उत्सजर्न का स्तर कम करते हुए ग्लोबल वार्मिग के खतरे से बचा जाये. लेकिन दिक्कत यह है कि समय बीतने के साथ यह गर्म होती जा रही है.
इस शोध में बताया गया है कि वाष्पीकरण और रासायनिक प्रतिक्रियाओं के बढ़ने से बारिश के पानी के साथ कार्बन डाइऑक्साइड की मात्र बढ़ती जायेगी. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसी वजह से तकरीबन एक अरब वर्ष के आसपास पेड़-पौधों की फोटोसिंथेसिस की प्रक्रिया गड़बड़ा जायेगी.
ऐसा होने से धरती पर जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ जायेगा और तमाम शाकाहारी जीव खत्म हो जायेंगे. धीरे-धीरे मांसाहारी जीव भी खत्म होते जायेंगे. स्कॉटलैंड की सेंट एंड्रज यूनिवर्सिटी के संबंधित विशेषज्ञ जैक ओ मिले जेम्स का मानना है कि इन तमाम चीजों को देखते हुए भविष्य में धरती पर जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है. इस बारे में वे चिंता जताते हुए वे कहते हैं कि पर्यावरण में अत्यधिक तापमान होने से पूरी प्राकृतिक व्यवस्था गड़बड़ा सकती है.