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तंगहाल जिंदगी जी रहे ग्रामीण

दुजर्य पासवान गुमला : बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1977 में बना था. यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है. बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बिशुनपुर, घाघरा, सेन्हा व गुमला प्रखंड के मिले-जुले हिस्से आते हैं. शुरुआती वर्षो में इस सीट पर कांग्रेस का एक छत्र राज था. वर्ष 1977, 1980 व 1985 के […]

दुजर्य पासवान
गुमला : बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1977 में बना था. यह सीट अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित है. बिशुनपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत बिशुनपुर, घाघरा, सेन्हा व गुमला प्रखंड के मिले-जुले हिस्से आते हैं.
शुरुआती वर्षो में इस सीट पर कांग्रेस का एक छत्र राज था. वर्ष 1977, 1980 व 1985 के चुनावों में लगातार तीन बार कांग्रेस ने इस सीट से जीत दर्ज कर हैट्रिक बनायी थी. परंतु इसके बाद से इस क्षेत्र से कांग्रेस का जनाधार घटता गया. धीरे-धीरे भाजपा मजबूत होती गयी. फिर भी विकास कार्यो के क्रियान्वयन सहित विभिन्न कारणों से इस सीट का किसी पार्टी की स्थायी सीट रहना मुश्किल हो गया है.
बिशुनपुर की भौगोलिक बनावट ही यहां के विकास में सबसे बड़ी बाधा है. यहां महत्वपूर्ण खनिज बॉक्साइट की उपलब्धता के बावजूद इलाके के लोग गरीब और बदहाली की जिंदगी जीने को विवश हैं.
यहां आज भी ऐसे कई गांव हैं, जहां पहुंचने के लिए सड़क नहीं है. नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र की जनता को किसी सच्चे विकास पुरुष का इंतजार है, जो इस क्षेत्र व यहां की जनता की तसवीर व तकदीर बदल सके.
समाज से जुड़ा रहा हूं : चमरा
बिशुनपुर के विधायक चमरा लिंडा ने कहा है कि मैंने अपने पांच साल के कार्यकाल में विकास के कई काम किये हैं. सामाजिक संगठन से जुड़ा रहा हूं. सामाजिक काम ज्यादा किया हूं. दो सौ से अधिक सरना स्थल की घेराबंदी करायी है. आवासीय स्कूल भवन बनवाया है. सदन में क्षेत्र की समस्याओं को लेकर आवाज उठाता रहा हूं.
जनता ठगी गयी है : शिव कुमार
कांग्रेस के शिव कुमार भगत टुनटुन ने कहा कि यदि चमरा कहते हैं कि उन्होंने विकास किया है, तो यह जनता को भ्रमित करनेवाली बात है. विधानसभा सत्र के दौरान उन्होंने कभी जनता के लिए आवाज नहीं उठायी. परंतु हाउस के बाहर वे सिपाही से लड़ते जरूर नजर आये. चमरा सिर्फ जाति की राजनीति करते हैं. उनके कार्यकाल में दलाल व बिचौलियों का विकास हुआ है. वह जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं हैं.
बिशुनपुर के जितने भी विधायक बने हैं. सभी ने जनता को ठगा है. चमरा लिंडा सिर्फ जाति विशेष की राजनीति करते हैं. क्षेत्र खास कर घाघरा में कोई काम नहीं हुआ है.
मनीलाल साहू, व्यवसायी
चुनाव जीतने के बाद चमरा के दर्शन दुर्लभ हो गये हैं. यहां उद्योग के नाम पर कुछ नहीं हुआ है. खेती के लिए सिंचाई की सुविधा नहीं है.
सोमा उरांव, किसान
घाघरा, बिशुनपुर में एक भी अच्छा कॉलेज नहीं है. जिससे हम उच्च डिग्री प्राप्त कर बेहतर भविष्य बना सकें. किसी भी विधायक ने शिक्षा को बढ़ावा के लिए काम नहीं किया है.
चंदन गोप, विद्यार्थी
इस क्षेत्र में अपराध बढ़ गया है. पुलिस तो नाकाम है ही. यहां के विधायक भी कभी आवाज नहीं उठाते हैं. धूलकण से घाघरावासी परेशान हैं.
उमेश साहू, व्यवसायी
कब कब कौन-कौन जीते
वर्ष विजेता पार्टी
1977 कार्तिक उरांव कांग्रेस
1980 भुखला भगत कांग्रेस
1985 भुखला भगत कांग्रेस
1990 रमेश उरांव भाजपा
वर्ष विजेता पार्टी
1995 भुखला भगत कांग्रेस
2000 चंद्रेश उरांव भाजपा
2005 चंद्रेश उरांव भाजपा
2009 चमरा लिंडा निर्दलीय
पझरा पानी पीते हैं ग्रामीण
गुमला : बिशुनपुर प्रखंड का पोलपोल पाट गांव चारों ओर जंगल व पहाड़ से घिरा है. पहाड़ पर स्थित यह गांव आदिम जनजाति बहुल है. यहां विलुप्तप्राय असुर जनजाति के लोग रहते हैं. सरकार ने इस गांव को मॉडल विलेज के रूप में चिह्न्ति किया है, पर यहां विकास अभी दूर की कौरी है.
आज भी इस गांव तक जाने के लिए बेहतर सड़क नहीं है. लोग पथरीली सड़कों से होकर गांव पहुंचते हैं. पेयजल की सुविधा भी यहां नहीं है. हिंडालको कंपनी ने इस गांव के लिए सिनटेक्स पानी टंकी उपलब्ध करायी थी, जो बेकार पड़ी है. आज भी यहां के लोग पझरा पानी पीते हैं. सबसे ज्यादा परेशानी गरमी के दिनों में होती है. नदी व कुएं सूख जाते हैं. उन दिनों असुर जाति के लोग नदी के किनारे गड्ढा खोद कर या फिर मिट्टी के टीले से गिरनेवाला पानी इकट्ठा करते हैं.
उनके वर्तमान विधायक कौन है, यहां के लोग यह भी नहीं जानते. गरीबी से जूझते यहां के कुछ लोग बॉक्साइट कंपनी में मजदूरी कर अपनी जीविका चला रहे हैं. गांव के विमलचंद्र असुर ने कहा कि सिर्फ चुनावों में ही नेताओं के दीदार होते हैं. उन्होंने कहा कि इस बार हमारा निर्णय है कि वोट उसे ही देंगे, जो गांव के विकास का वादा करेगा.

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