चार दिन पहले ही केंद्र सरकार ने ये फ़ैसला लिया था कि अब वो राजधानी दिल्ली में राजनेताओं के स्मारकों के लिए सरकारी बंगले नहीं देगी.
और न ही किसी नेता का जन्मदिन या फिर उसकी पुण्यतिथि मनाई जाएगी.
सरकार के मुताबिक सिर्फ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती एवं पुण्यतिथि सरकार मनाती है बाक़ी अन्य नेताओं की जयंती एवं पुण्यतिथि उनके परिवार एवं राजनीतिक दलों के स्तर पर मनाए जाएं.
लेकिन इस बारे में पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के बेटे और कांग्रेस नेता अनिल शास्त्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि शास्त्री जी से जुड़े समारोह मनाने वाले ट्रस्ट के पास अब पैसा ही नहीं बचा है जिससे कि वो ऐसे आयोजन कर सके.
पद पर रहते मृत्यु
उन्होंने सरकार से इस फ़ैसले पर पुनर्विचार करने की भी अपील की है.
अनिल शास्त्री ने बीबीसी हिन्दी से कहा, "मैंने सरकार को लिखा है कि ये फैसला गलत है. जो प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए दिवंगत हुए हों, उन पर यह लागू नहीं होना चाहिए."
भारत में जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री उन प्रधानमंत्रियों में से हैं जिनकी मृत्यु पद पर रहते हुए हुई थी.
अनिल शास्त्री बताते हैं कि लाल बहादुर शास्त्री नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट के पास केवल 42 लाख रुपए थे और नई सरकार के आने के बाद से संस्कृति मंत्रालय से मिलने वाला अनुदान बंद हो गया है.
‘पैसा नहीं’
अनिल के अनुसार अनुदान बंद होने के कारण ट्रस्ट के पास केवल 35 लाख रुपए रह गए हैं जो शास्त्री जी के नाम पर साल में होने वाले दो कार्यक्रमों के खर्च के लिहाज से नाकाफी हैं.
वे कहते हैं, "जिस तरह से शास्त्री जी के पास पैसा नहीं था, उनके नाम से बने ट्रस्ट के पास भी पैसा नहीं है."
लाल बहादुर शास्त्री नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की स्थापना शास्त्री के निधन के बाद 1966 में हुई थी.
अटल बिहारी वाजपेयी इस ट्रस्ट के संस्थापक ट्रस्टी हैं और मोदी कैबिनेट के दो सदस्य अनंत कुमार और रविशंकर प्रसाद इससे जुड़े हुए हैं.
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