महाराष्ट्र विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर ज़रूर उभरी है लेकिन ऐसा लग रहा है कि पार्टी को अपने दम पर बहुमत मिलना मुश्किल होगा.
भाजपा अभी क़रीब 119 सीटों पर आगे चल रही है. ऐसे में पार्टी को सरकार बनाने के लिए कम से कम 25 विधायकों का समर्थन जुटाना होगा.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में ताबड़तोड़ 27 चुनावी रैलियाँ की थीं, लेकिन लगता है कि शिवसेना के कारण उनके करिश्मे का असर व्यापक नहीं हो पाया.
शिवसेना ने अकेले दम पर राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन कर उभरी है. ऐसे में ज़ाहिर है कि राज्य में सरकार के गठन को लेकर अटकलबाज़ियों का दौर शुरू हो गया है.
सीन- एक: भाजपा-शिवसेना का गठबंधन (170 प्लस सीट)
एक बड़ा सवाल यह है कि क्या भाजपा-शिवसेना नतीजों के बाद क्या एक बार फिर साथ-साथ आएंगी?
अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर भाजपा-शिवसेना गठबंधन स्थायी सरकार बनाने में कामयाब होगा.
हालांकि चुनाव अभियान के दौरान जिस तरह से भाजपा और शिवसेना ने एक दूसरे पर निशाना साधा है, उसे देखते हुए दोनों के फिर से क़रीब आने की संभावना नहीं दिख रही है.
ऐसे में ये बात तो तय है कि शिवसेना अब किंग मेकर की भूमिका में नज़र आ रही है.
सीन- दो: भाजपा-एनसीपी गठबंधन (160 प्लस सीट)
भाजपा की कोशिश शिवसेना के अलावा दूसरे राजनीतिक दलों की ओर भी है. ऐसे में एनसीपी की भूमिका भी बेहद अहम होने वाली है.
शरद पवार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं. नफ़े नुक़सान का विश्लेषण कर वह कोई भी चौंकाने वाला फ़ैसला कर सकते हैं.
चुनाव पूर्व सर्वेक्षण के सभी आकलनों में कांग्रेस और एनसीपी की हार का अनुमान लगाया गया था. लेकिन दोनों पार्टियां ने उम्मीद से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है.
फिर भी दोनों आपस में मिलकर भी बहुमत के आसपास नहीं पहुंच पाई हैं.
सीन- तीन: शिवसेना-एनसीपी गठबंधन ( 100 प्लस सीट)
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना और एनसीपी भी एक दूसरे के क़रीब आ सकते हैं. हालांकि दोनों मिलकर भी बहुमत हासिल करते नज़र नहीं आ रहे.
लेकिन भाजपा को रोकने के नाम पर एक गैर-भाजपा गठबंधन खड़ा करने की मुहिम शिवसेना और एनसीपी शुरू कर सकती हैं.
ऐसे में शिवसेना की ओर हाथ बढ़ाने में बीजेपी के मैनेजरों की भूमिका आने वाले दिनों में काफ़ी अहम हो जाएगी.
मौजूदा समीकरणों में यही तीन संभावना दिख रही है, लेकिन संभावनाओं के बनने और बिगड़ने का ही दूसरा नाम राजनीति है.
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