स्टॉकहोम : अमेरिका के एरिक बेटजिग और विलियम ई मोर्नर तथा जर्मनी के वैज्ञानिक स्टीफन हेल को अतिसूक्ष्म चीजों को देखने के लिए बेहद शक्तिशाली फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी का विकास करने के लिए वर्ष 2014 का रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गयी है. द रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेस ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि तीनों वैज्ञानिकों के कार्य ने ऑप्टिकल माइक्रोस्कोपी को अति सूक्ष्म रूप में ला दिया है.
* एरिक बेटजिग
1960 में अमेरिका के एन आर्बर में जन्मे. 1988 में न्यू यॉर्क के इथाका स्थित कॉर्नवेल यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री ली. एशबर्न स्थित जेनेलिया फार्म रिसर्च कैंपस, होवार्ड ह्यूजेज मेडिकल इंस्टीट्यूट के टीम लीडर हैं.
* विलियम ई मोरनर
1953 में कैलिफोर्निया के प्लीजेंटन में जन्मे अमेरिकी नागरिक. न्यू यॉर्क के इथाका स्थित कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से 1982 में पीएचडी की. कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अप्लाइड फिजिक्स के प्रोफेसर हैं.
* स्टीफन डब्ल्यू हेल
जर्मन नागरिक का जन्म 1962 में रोमानिया के अराड में हुआ. 1990 में जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ हीदलबर्ग से पीएचडी. मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर बायोफिजिकल केमिस्ट्री, गोटिंगटन के निदेशक और हीदलबर्ग स्थित जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के डिवीजन हेड हैं.
* फ्लोरेसेंस माइक्रोस्कोपी का विकास
एरिक बेटजिग, स्टीफन डब्ल्यू हेल और विलियम ई मोरनेर ने ऑप्टिकल माइक्रोस्कॉपी से प्रकाश की वेबलेंथ का आधा ही रिजॉल्यूशन प्राप्त करने की भ्रांति को दूर किया. आज ऑप्टिकल माइक्रोस्कॉपी के जरिये जीवित सेल्स में मॉलीक्यूल (कण) के पथ के साथ नर्व सेल एवं ब्रेन के बीच कण के सूत्रयुग्मन की प्रक्रिया को भी देखना संभव है. पार्किंसन, अल्जाइमर, हंटिंगटन जैसी बीमारी में प्रोटीन की भूमिका का पता लगाने और गर्भ में निषेचित अंडों के भ्रूण में तब्दील होने की प्रक्रिया का भी अध्ययन संभव है.
– 1901 से 2014 के बीच, 106 बार दिया गया रसायन का पुरस्कार
– 169 वैज्ञानिकों को मिला पुरस्कार, फ्रेडरिक सेंगर को दो बार (1958 व 1980 में) रसायन का नोबेल मिला