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पाकिस्तान के हिंदू मंदिरों पर एक किताब

शीराज़ हसन लाहौर (पाकिस्तान) से, बीबीसी हिन्दी डॉटकॉम के लिए दक्षिण एशिया का इतिहास हज़ारों साल पुराना है. पाकिस्तान में ऐसे कई ऐतिहासिक स्थान हैं जिनका ताल्लुक़ पुराने दौर से है और जो आज भी आबाद हैं. पाकिस्तानी पत्रकार रीमा अब्बासी अपनी किताब ‘पाकिस्तान के ऐतिहासिक मंदिर’ के माध्यम से इन्हीं ऐतिहासिक स्थानों से परिचय […]

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दक्षिण एशिया का इतिहास हज़ारों साल पुराना है. पाकिस्तान में ऐसे कई ऐतिहासिक स्थान हैं जिनका ताल्लुक़ पुराने दौर से है और जो आज भी आबाद हैं.

पाकिस्तानी पत्रकार रीमा अब्बासी अपनी किताब ‘पाकिस्तान के ऐतिहासिक मंदिर’ के माध्यम से इन्हीं ऐतिहासिक स्थानों से परिचय कराती हैं.

296 पन्नों वाली इस किताब में चार सौ से अधिक तस्वीरें हैं. किताब के लिए फोटोग्राफी मदीहा एजाज़ ने की है.

रीमा अब्बासी ने इस किताब में पाकिस्तान के चार सूबों के ऐतिहासिक मंदिरों की दास्तां कही है और आज के दौर में वहां रहने वाले लोगों के बारे में लिखा है.

इतिहास और संस्कृति

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रीमा की ये किताब पाकिस्तान का वह रुख़ दिखाती है जो आमतौर पर नज़रों से ओझल रहता है.

उन्होंने बीबीसी को बताया कि उनके शोध का उद्देश्य ऐसा काम करना था जिसमें दक्षिण एशिया में रहने वालों को यहां के इतिहास और संस्कृति के साथ जोड़ा जाए.

रीमा ने कहा, "पाकिस्तान में ऐसे कई ऐतिहासिक स्थान हैं जो सैकड़ों सदियां देख चुकी हैं, उन स्थानों को किसी धर्म के साथ जोड़ कर नहीं देखना चाहिए. यह हमारी इतिहास और संस्कृति है."

रीमा के मुताबिक़ पाकिस्तान में हज़ारों साल पुरानी जगहें आज भी मौजूद और आबाद हैं. इन ऐतिहासिक स्थानों को तलाश कर के सामने लाना उनका लक्ष्य है क्योंकि ये स्थान पाकिस्तान और भारत दोनों ही देशों का साझा इतिहास है.

सफर की मुश्किल

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रीमा कहती हैं कि इस पुस्तक के ज़रिए पाकिस्तान का एक दूसरा पहलू देखने को मिल सकता है.

पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर इलाकों में हालात ख़राब होने की वजह से मुल्क का यह रुख नज़रअंदाज़ हो रहा है.

रीमा अब्बासी ने किताब के लिए पाकिस्तान के चारों सूबों का सफर किया. कराची से लेकर मानसेहरा तक के रास्ते में उन्हें कई मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा.

वह कहती हैं कि कुछ इलाकों में सुरक्षा के मसले भी थे.

किताब की तैयारी

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इस किताब की तैयारी में उन्हें दो साल का समय लगा और इस दौरान ऐसे लम्हे भी आए, जब उन्हें लगा कि यह परियोजना पूरी नहीं हो सकेगी.

बलूचिस्तान का हिंगलाज माता मंदिर और सिंध का प्राचीन काकलागार मंदिर और भोनी मंदिर रीमा के पसंदीदा स्थान हैं.

पाकिस्तान में मंदिरों के बारे में उनका कहना था कि सिंध में मंदिरों की बहुत अच्छे तरीके से देखभाल की जा रही है.

खैबर पख़्तूनख्वाह और बलूचिस्तान में मंदिरों की हालत बेहतर है. लेकिन सबसे ख़राब स्थिति पंजाब की है.

ख़ासकर लाहौर में, जहां दो मंदिर बचे हैं, जिनमें एक बंद रहता है.

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