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पार्टी, चुनाव चिह्न और एजेंडे का घालमेल

दलजीत अमी अम्बाला से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए चुनाव में किसी एक पार्टी का उम्मीदवार दूसरी पार्टी के चुनाव चिह्न पर किसी तीसरी पार्टी के एजेंडे पर चुनाव कैसे लड़ सकता है? अगर आप हरियाणा के अंबाला में शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार बलविंदर सिंह पूनिया को देखें तो यह संभव नज़र आता है. […]

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चुनाव में किसी एक पार्टी का उम्मीदवार दूसरी पार्टी के चुनाव चिह्न पर किसी तीसरी पार्टी के एजेंडे पर चुनाव कैसे लड़ सकता है?

अगर आप हरियाणा के अंबाला में शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार बलविंदर सिंह पूनिया को देखें तो यह संभव नज़र आता है.

शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब और केंद्र सरकार में अपनी सहयोगी भाजपा को नाराज़ करने की क़ीमत पर हरियाणा विधान सभा चुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के साथ गठबंधन किया है.

इस गठबंधन के तहत शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार अंबाला और किलिआंवाली विधान सभा से चुनाव लड़ रहे हैं.

इनेलो की अंबाला इकाई के प्रधान बलविंदर सिंह पूनिया इस्तीफ़ा देकर अकाली दल में शामिल हो गए और उम्मीदवार बन गए.

पार्टी नई, कार्यकर्ता वही

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भाजपा के विनोद गर्ग मानते हैं कि भाजपा का अम्बाला में अकाली दल से कोई विरोध नहीं है.

दोनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं का मानना है कि पूनिया अकाली दल के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे ‘इनेलो के उम्मीदवार’ हैं.

अगर पूनिया के दफ़्तर का माहौल देखा जाए तो साफ़ हो जाता है कि पूरे दफ़्तर को इनेलो के कार्यकर्ता ही चला रहे हैं जबकि अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने पहली मंजिल पर डेरा डाल रखा है.

पंजाब के शिक्षा मंत्री दलजीत सिंह चीमा को अकाली दल ने अंबाला विधानसभा का प्रभारी बनाया है.

अपने उम्मीदवार के बारे में चीमा कहते हैं, "जीतने की संभावना से उम्मीदवार का चुनाव किया जाता है. यह फ़ैसला दोनों पार्टियों ने मिलकर किया है और टिकट के सभी दावेदार पूनिया के साथ हैं."

टिकट के एक अकाली दावेदार ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पूनिया अगर तराज़ू के चुनाव चिह्न पर चुनाव न लड़ रहे होते तो वह उनकी कभी मदद न करते.

उन्होंने कहा कि अकाली दल के फ़ैसले ने कार्यकर्ताओं के हाथ काट दिए हैं.

भाजपा का सवाल

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अकाली दल के लिए दूसरा अहम सवाल भाजपा के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ना है.

इस मामले में चीमा का कहना है, "हम भाजपा के ख़िलाफ़ कुछ नहीं बोलते क्योंकि हमारा लक्ष्य कांग्रेस मुक्त सरकार बनाना है."

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने करनाल में इन्हीं शब्दों में कांग्रेस मुक्त हरियाणा की बात की थी.

चीमा कहते हैं, "अकाली दल चुनाव नतीजों के बाद ज़रूरत पड़ने पर भाजपा और इनेलो को पास लाने का महत्वपूर्ण काम कर सकता है."

भाजपा के उम्मीदवार योगेश गोयल के चुनाव प्रचार प्रभारी विनोद गर्ग कहते हैं, "हमारा अकाली दल से कोई विरोध नहीं है. वह अंबाला और हरियाणा में मायने नहीं रखते. यहां मुद्दा सिर्फ भाजपा और विकास है."

भाजपा और अकाली दल चुनाव में आमने-सामने होते हुए भी पुराने गठवंधन की ज़िम्मेदारी निभा रहे लगते हैं.

इस ‘गठबंधन’ में इनेलो की भूमिका नतीजों के बाद स्पष्ट हो जाएगी.

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