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क्या मोदी संघ के एजेंडे को बढ़ा रहे हैं?

प्रकाश दुबे वरिष्ठ पत्रकार राजनीति में चीज़ें जैसी दिखाई देती हैं, हमेशा वैसी होती नहीं हैं. तीन अक्तूबर को मोदी और मोहन भागवत के भाषण के मंच अलग-अलग थे और माध्यम भी. लेकिन नई दिल्ली और नागपुर से मोदी और भागवत जो कुछ कह रहे थे, राजनीतिक पंडित उसके संदेशों की व्याख्या कर रहे हैं. […]

राजनीति में चीज़ें जैसी दिखाई देती हैं, हमेशा वैसी होती नहीं हैं.

तीन अक्तूबर को मोदी और मोहन भागवत के भाषण के मंच अलग-अलग थे और माध्यम भी.

लेकिन नई दिल्ली और नागपुर से मोदी और भागवत जो कुछ कह रहे थे, राजनीतिक पंडित उसके संदेशों की व्याख्या कर रहे हैं.

इस बात पर भी बहस छिड़ी हुई है कि सरकारी टेलीविज़न दूरदर्शन पर दशहरे के अवसर पर दिए गए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के भाषण के सीधा प्रसारण की क्या वजहें रही होंगी.

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश दुबे का विश्लेषण

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तीन अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकाशवाणी की "शेर का बच्चा भेड़ की संगत में अपना स्वभाव भूल चुका था. पानी में उसका मुंह दिखाकर बरसों बाद एक अन्य शेर ने उसके अस्तित्व की पहचान कराई है."

उनसे कुछ घंटे पहले नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों के माध्यम से देश को ललकारा, "जीवन पर भिन्न दृष्टि से विचार करने वाला और उस विचार पर चलकर विश्व का सिरमौर बनने वाला अपना देश रहा है."

देश की हालत

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साल 1925 में दशहरे के दिन ही कांग्रेस के तत्कालीन सदस्य केशव राव हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी.

शस्त्र पूजा और विजयादशमी मनाते हुए संघ के मुखिया संबोधन के माध्यम से देश की हालत पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं.

लेकिन ये पहला अवसर था जब दूरदर्शन या किसी टीवी चैनल ने सरसंघचालक के भाषण का सीधा प्रसारण किया.

संघ की शाबाशी

हालांकि ये पहला अवसर नहीं है जब किसी सरसंघचालक ने सरकार की प्रशंसा की हो. अब तक किसी मुद्दे तक प्रशंसा सीमित रहती थी.

नरेंद्र मोदी सरकार को दशहरे पर शाबासी देकर संघ ने अपनी पसंद पर सहमति की मुहर लगाई.

‘पथ प्रदर्शक’

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प्रधानमंत्री ने संघ के स्थापना दिवस पर सार्वजनिक रूप से स्वयंसेवकों को बधाई देकर नई परंपरा शुरू की.

एकतरफ़ा संवाद साधने में प्रवीण प्रधानमंत्री मोदी ने उनके भाषण की सराहना करते हुए ट्वीट किया, "मोहन भागवत जी ने सामाजिक सुधार के अनेक राष्ट्रीय मुद्दों पर बात की."

कुछ पुरानी और कुछ नई चुनौतियों का उल्लेख कर संघ मोदी का पथ-प्रदर्शक बना हुआ है.

तीन मापदंड

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संघ प्रमुख ने हिंदुत्व को अन्य धर्मेां से अलग बताने के तीन मापदंड बताए.

पहला किसी की भिन्न श्रद्धा को लकर विवाद खड़े नहीं किए जाते. दूसरा मूर्ति तोड़ने का अभियान नहीं चलाते और तीसरा पोथीबंद व्यवस्था के आधार पर किसी की श्रद्धा की वैधता का निर्णय नहीं करते.

आम पाठक को समझाने की आवश्यकता नहीं है कि अंगुली किस की तरफ़ उठी.

चीन पर चिंता

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दो बार प्रतिबंध लगाकर कांग्रेस राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को अछूत ठहरा चुकी है.

लेकिन भागवत के भाषण का सीधा प्रसारण कर मोदी ने संघ को वैधता प्रदान की. सरकारी तौर पर संघ को इतना ऊंचा बिठा दिया जहां कांग्रेस सेवा दल और सर्वोदय नहीं पहुंच सके.

मोदी चायवाले से प्रधानमंत्री बने. भागवत पशुचिकित्सक से सरसंघचालक. दोनों भारत को एक ही तरीक़े का विश्व गुरु बनाना चाहते हैं.

मोदी चीन से दोस्ती की बात करते हैं. भागवत ने गत वर्ष चीनी घुसपैठ पर चिंता प्रकट की थी, इस साल चीनी माल के बहिष्कार की अपील है.

‘राह एक’

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संघ खुद को एक सांस्कृतिक संगठन कहता रहा है लेकिन इसकी राजनीतिक शाखा अब दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ है.

मोदी ने खुलकर नहीं कहा लेकिन भागवत ने आईएसआईएस जैसे संगठनों के चरमपंथ के लिए पश्चिम के धनी देशों को दोषी ठहराया. लेकिन ये असहमति नहीं है.

सरकार की सीमा और सरकार पर दबाव लाने की रणनीति के नज़रिए से परखें. दोनों की राह एक है.

असम और पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से घुसपैठ, मोदी की अमरीका यात्रा, केरल और तमिलनाडु में जिहादी गतिविधियों और विरल खनिज की तस्करी जैसे मुद्दे उठाकर संघ ने सरकार से चरैवेति-चरैवेति बढ़े चलो कहा है और भाजपा को हथियार चलाने का.

भारतीय जनता पार्टी के विजय अभियान में नरेंद्र मोदी अश्वमेध के घोड़े की तरह हैं. उनकी पीठ पर संघ की नीतियों का झंडा लहराता है.

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