आज अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस है. यूनेस्को ने पहली बार सात नवंबर, 1965 को यह फैसला लिया था कि प्रत्येक वर्ष आठ सितंबर को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का आयोजन किया जायेगा. उसके बाद पहली बार 1966 में इसका आयोजन किया गया. इस वर्ष भी अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पूरी दुनिया में आयोजित किया जायेगा. हालांकि, मुख्य कार्यक्रम बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आयोजित किया जायेगा. बांग्लादेश की सरकार यूनेस्को के सहयोग से बालिकाओं और महिलाओं की साक्षरता और शिक्षा: सतत विकास की नींव विषय पर अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी आयोजित करेगी
* इस वर्ष की थीम है- साक्षरता और सतत विकास
इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस का थीम है- साक्षरता और सतत विकास. साक्षरता उन प्रमुख तत्वों में से एक है, जिसकी जरूरत सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है. चूंकि साक्षरता आम आदमी को सशक्त बनाती है, इसलिए इंसान अपनी आर्थिक क्षमता में बढ़ोतरी और सामाजिक विकास समेत पर्यावरण के बारे में सही फैसले ले सकता है.
साक्षरता व्यक्तिगत सशक्तीकरण का एक माध्यम है और सामाजिक व मानव विकास का मापक है. शिक्षा हासिल करने का मौका साक्षरता पर आधारित है. साक्षरता सभी के लिए बुनियादी शिक्षा के केंद्र में है, और गरीबी निवारण, बाल मृत्यु दर कम करने, आबादी में बढ़ोतरी को रोकने, महिलाओं को समान अधिकार दिये जाने और शांति व लोकतंत्र के लिए आवश्यक है.
साक्षरता एक प्रकार से जीवनपर्यंत सीखने और समझने पर आधारित कौशल है और यह सतत, समृद्ध और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाती है. साक्षरता और कौशल इंसान के जीवन को उन्नत स्तर की ओर ले जाता है. इससे अपनी जिम्मेवारियों को समझने, अपनी एवं अपने आसपास की गरीबी कम करने, किसी विषय पर गंभीर चिंतन करने, सत्ता में भागीदारी निभाने, पारिस्थितिकी, जैव-विविधता के संरक्षण और आपदाओं से उपजे जोखिम को कम करने आदि के बारे में समझ पैदा होती है.
साक्षरता एक सेतु है, जो इंसान को विपदा से निकाल कर अच्छी अवस्था की ओर ले जाती है.
– कोफी अन्नान, संयुक्त राष्ट्र के पूर्व महासचिव