<figure> <img alt="VVCFilms" src="https://c.files.bbci.co.uk/5DCB/production/_110811042_827a7de0-4c59-464e-a044-100c6f981f5e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>VVCFilms</footer> <figcaption>शिकारा फ़िल्म का एक दृश्य</figcaption> </figure><p>पिछले साल भारत प्रशासित कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के साथ ही कश्मीर की राजनीतिक परिस्थितियाँ बदल गईं.</p><p>तब से अब तक कश्मीर में एक बेचैन ख़ामोशी छाई हुई है. बदलते माहौल में कश्मीर को लेकर विभिन्न धारणाएं देश में तैर रही हैं.</p><p>फ़िल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा की फ़िल्म ‘शिकारा’ का ट्रेलर आया तो एक बारगी लगा कि कहीं कश्मीरी मूल के विधु सामान्य फ़िल्मकारों की तरह चल रहे विवाद को भुनाने की कोशिश तो नहीं कर रहे?</p><p>कश्मीरी पंडितों के नाम पर दशकों से राजनीति चल रही है, लेकिन अभी तक कश्मीरी पंडितों की सुरक्षित वापसी मुमकिन नहीं हुई है.</p><p>19 जनवरी 1990 के बाद कश्मीर से निकले या कहें कि निकाले गए कश्मीरी पंडित परिवारों में से अधिकांश अपने ही देश में शरणार्थियों की ज़िंदगी जी रहे हैं.</p><p>इनमें से दो शरणार्थियों, शिव कुमार धर और शांति धर को विधु विनोद चोपड़ा ने फ़िल्म ‘शिकारा’ के मुख्य किरदारों के तौर पर चुना है.</p><figure> <img alt="VVCFilms" src="https://c.files.bbci.co.uk/0FAB/production/_110811040_7392ecbf-8587-4be5-a948-b80dac54f6c3.jpg" height="849" width="976" /> <footer>VVCFilms</footer> </figure><h3>पर्दे पर 100 मिनट..</h3><p>फ़िल्म के प्लॉट में शिव और शांति 1990 के पहले के कश्मीरी युवा हैं. दोनों पंडित हैं.</p><p>शिव का जिगरी दोस्त लतीफ़ है. लतीफ़ के अब्बा शिव के लिए अब्बा जैसे ही हैं. लतीफ़ कश्मीर से रणजी खेलता है और शिव पीएचडी कर रहा है और वो शौकिया कविताएं भी लिखता है.</p><p>कश्मीर में ‘लव इन कश्मीर’ की शूटिंग चल रही है जिसमें हीरो-हीरोइन के गाने के बैकड्रॉप में कश्मीरी युवा युगल को पास करते हुए दिखाना है.</p><p>पहली और अनायास हुई मुलाक़ात में ही शिव और शांति क़रीब आ जाते हैं. प्रेम होता है और दोनों दांपत्य में बंध जाते हैं.</p><p>यह एक सामान्य और बेहद औसत सी कहानी लगती है, पर जब दूधवाला मोहल्ले के हाजी की मंशा शांति के सामने ज़ाहिर करता है तो उस हलचल की भूमिका बनती है जो अगले 100 मिनट में पर्दे पर उतरती है.</p><p>शादी के बाद अपने नए घर में बसे शिव-शांति को मोहल्ले के जलते घरों से एहसास हो जाता है कि उन्हें भी अपना घर छोड़ना पड़ेगा. शहर के हालात बिगड़ते जाते हैं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51401924?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी कितनी आसान?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-51374110?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ज़ायरा वसीम ने पूछा, ‘कब तक सहते रहेंगे कश्मीरी?'</a></li> </ul><figure> <img alt="Vidhu Vinod Chopra Films" src="https://c.files.bbci.co.uk/F623/production/_110811036_d15be3c1-6ae0-496d-aea5-13d642ac919a.jpg" height="649" width="976" /> <footer>Vidhu Vinod Chopra Films</footer> </figure><h3>एक प्रेम कहानी</h3><p>हमें दिखाया और बताया गया है कि शिव-शांति के घर ‘शिकारा’ की नींव में लतीफ़ के अब्बा के लाए पत्थर पड़े हैं.</p><p>लतीफ़ और शिव की दोस्ती की नींव हिल जाती है. लतीफ़ उससे कहता है कि ‘मैं तो अपने अब्बा को नहीं बचा सका, तुम अपने अब्बा को बचा लो.'</p><p>दोस्त होने के नाते वह शिव को कश्मीर छोड़ने की हिदायत देता है. हम सुनते हैं कि वो शिव को इंडिया चले जाने की सलाह देता है.</p><p>विधु विनोद चोपड़ा की ‘शिकारा’ इसी पृष्ठभूमि और भूमिका में रची गई एक प्रेम कहानी है.</p><p>चोपड़ा ने कश्मीर के इतिहास को बहुत संक्षेप में एक मोंटाज के ज़रिए दिखाया और आगे बढ़ गए हैं. वे आतंकवाद के पनपने और कश्मीर के बिगड़ते हालात के विस्तार में नहीं जाते.</p><p>1989-90 के कश्मीर में चल रही उथल-पुथल को उन्होंने संक्षेप में समेटा है. वे आतंकवादियों के हमले और हिंसा का ग्राफ़िक चित्रण नहीं करते.</p><p>उन्होंने पूरी संवेदना के साथ कश्मीरी पंडितों के घाटी छोड़कर जाने का चित्रण किया है. उस घटना में निहित नफ़रत को दरकिनार रखा है.</p><p>उन्होंने आतंकवादियों के चेहरे तक नहीं दिखाए. पर फ़िल्म में कुछ चलते-फिरते साए दिखाई पड़ते हैं जिसके परिणाम से घर-बार छोड़कर भागने को मजबूर और लाचार कश्मीरी दिखाई पड़ते हैं.</p><figure> <img alt="VVCFilms" src="https://c.files.bbci.co.uk/ABEB/production/_110811044_0bc0cd8f-af85-4820-a1ba-bbb98df12c5c.jpg" height="439" width="976" /> <footer>VVCFilms</footer> </figure><h3>चेहरों पर दर्द की लकीरें</h3><p>उन्हें देखकर बतौर दर्शक तकलीफ़ तो होती है लेकिन किसी और के लिए घृणा और हिंसा का भाव मन में नहीं आता.</p><p>विधु की तारीफ़ करनी होगी कि उन्होंने पंडितों के पक्ष की कहानी कहते हुए मुसलमानों को दुश्मन और खलनायक नहीं बनाया.</p><p>उन्होंने दूसरे पक्ष के लतीफ़, हाजी और रियल एस्टेट ब्रोकर के मानस को भी सटीक संदर्भ में पेश किया है.</p><p>फ़िल्म ‘शिकारा’ शुद्ध रूप से एक प्रेम कहानी है जिसकी पृष्ठभूमि में कश्मीर और कश्मीरी पंडितों का निष्क्रमण है.</p><p>इतिहास के पन्ने से निकले दो किरदारों, शिव और शांति के ज़रिए हम उनके माहौल और अतीत से गुज़रते समय और तत्कालीन परिस्थितियों से दो-चार होते हैं.</p><p>शिव और शांति के विस्थापन और प्रवास की घटनाओं का कठोर सच ठहर जाता है. इस ठहरे सच की कठोरता से लरज़े उनके व्यक्तित्व में एक कराह झलकती और सुनाई पड़ती है.</p><p>ख़ुशी और उल्लास के क्षणों में भी उनके चेहरों पर दर्द की लकीरें उभर आती हैं. यह ‘शिकारा’ की ख़ूबसूरती है.</p><p>फ़िल्म के लिए विधु ने नए चेहरों को चुना है. नायक और नायिका की भूमिका में आदिल ख़ान और सादिया का अपरिचित चेहरा हमें किरदारों के क़रीब ले जाता है. उन्हें विश्वसनीय बनाता है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51292085?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: जहां दिहाड़ी मज़दूरी करने के लिए मजबूर है पत्रकार</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51389241?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जम्मू कश्मीर: राजनीतिक बर्फ़ कब पिघलेगी?</a></li> </ul><figure> <img alt="VVCFilms" src="https://c.files.bbci.co.uk/14443/production/_110811038_eb904108-e997-4ec5-95f8-53e058eb2e47.jpg" height="749" width="976" /> <footer>VVCFilms</footer> </figure><h3>एक उम्मीद..</h3><p>दोनों कलाकारों ने दी गई भूमिकाओं को बड़ी संजीदगी और सलाहियत के साथ पर्दे पर उतारा है.</p><p>किरदारों की व्यथा, दुविधा और गतिशीलता को उन्होंने बख़ूबी आत्मसात किया है. सहयोगी किरदारों में आए कलाकारों और शरणार्थियों की भीड़ फ़िल्म को स्थानीय रंग देती है.</p><p>फ़िल्म का गीत-संगीत थीम के अनुकूल है. इरशाद कामिल के गीत और नज़्म किरदारों के परस्पर प्रेम और पीड़ा को भावपूर्ण शब्द देते हैं.</p><p>अपनी ज़मीन से कटे शरणार्थियों के जीवन में देश के पॉप कल्चर का आया असर और उसका प्रतीकात्मक चित्रण लाजवाब है.</p><p>एक शादी में धूम-धड़ाके का आधुनिक संगीत सुनाई पड़ता है जो कश्मीरी रिवाज़ के कंट्रास्ट में है.</p><p>फ़िल्म के अंतिम दृश्य में कश्मीर के मुसलमान बच्चे शिव से मिलने आते हैं और उनमें से एक लड़का लीडर उससे कहता है- ‘मास्टर जी इसने कश्मीरी पंडित को नहीं देखा है.'</p><p>फ़िल्म यहाँ एक उम्मीद और दोस्ती के साथ ख़त्म होती है. हमें एहसास होता है कि शिव कश्मीर लौट चुका है और वहाँ के बच्चों को पढ़ाने की तैयारी कर रहा है.</p><figure> <img alt="BBC" src="https://c.files.bbci.co.uk/A082/production/_110809014_c33e2238-ab62-4dd9-b571-90b510402988.jpg" height="199" width="976" /> <footer>BBC</footer> <figcaption>फ़िल्म को साढ़े तीन स्टार</figcaption> </figure><p><strong>(ये लेखक के निजी विचार हैं.)</strong></p><figure> <img alt="स्पोर्ट्स विमेन ऑफ़ द ईयर" src="https://c.files.bbci.co.uk/12185/production/_110571147_footerfortextpieces.png" height="281" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.</strong><strong>)</strong></p>
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#Shikara कश्मीरी पंडितों के दर्द को कितना दिखा पाई?
<figure> <img alt="VVCFilms" src="https://c.files.bbci.co.uk/5DCB/production/_110811042_827a7de0-4c59-464e-a044-100c6f981f5e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>VVCFilms</footer> <figcaption>शिकारा फ़िल्म का एक दृश्य</figcaption> </figure><p>पिछले साल भारत प्रशासित कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने के साथ ही कश्मीर की राजनीतिक परिस्थितियाँ बदल गईं.</p><p>तब से अब तक कश्मीर में एक बेचैन ख़ामोशी छाई हुई है. बदलते माहौल में कश्मीर को लेकर विभिन्न धारणाएं देश में तैर रही हैं.</p><p>फ़िल्म […]
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