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पीस ग्रुप के 27 सदस्यों का ‘तालिबान ने किया अपहरण’

<figure> <img alt="शांति मार्च" src="https://c.files.bbci.co.uk/13222/production/_110307387_51e445fb-b589-48b2-945c-9f6e0c3c83a3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पश्चिमी अफ़गानिस्तान की यात्रा पर निकले एक पीस ग्रुप के सत्ताइस सदस्यों का तालिबान ने अपहरण कर लिया है.</p><p>स्थानीय अधिकारियों और कार्यकर्ताओं के मुताबिक़ इन लोगों का अपहरण उस वक़्त हुआ जब ये एक शांति मार्च के तहत पश्चिमी अफ़गानिस्तान की यात्रा पर थे. </p><p>पीपल्स […]

<figure> <img alt="शांति मार्च" src="https://c.files.bbci.co.uk/13222/production/_110307387_51e445fb-b589-48b2-945c-9f6e0c3c83a3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पश्चिमी अफ़गानिस्तान की यात्रा पर निकले एक पीस ग्रुप के सत्ताइस सदस्यों का तालिबान ने अपहरण कर लिया है.</p><p>स्थानीय अधिकारियों और कार्यकर्ताओं के मुताबिक़ इन लोगों का अपहरण उस वक़्त हुआ जब ये एक शांति मार्च के तहत पश्चिमी अफ़गानिस्तान की यात्रा पर थे. </p><p>पीपल्स पीस मूवमेंट ने शांति और युद्ध विराम की मांग करते हुए क़रीब दो सप्ताह पहले हेरात प्रांत से अपनी यात्रा शुरू की थी. लेकिन फाराह प्रांत में प्रवेश के बाद से ही उनका कोई अता-पता नहीं मिल पा रहा है.</p><p>तालिबान की ओर से इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की गई है.</p><p>एक ओर जहां तालिबान अमरीका के साथ शांति वार्ता आगे बढ़ा रहा है, वहीं दूसरी ओर अफ़गानी और अंतरराष्ट्रीय सैन्य बलों पर हमले की भी ख़बरें बीच-बीच में आती रहती है.</p><p>फाराह प्रांत के डिप्टी गवर्नर मसूद बख़्तावर ने कहा कि छह कारों में यात्रा कर रहे इन कार्यकर्ताओं को तालिबान ने एक मुख्य सड़क पर रोक दिया था जिसके बाद उन्हें एक अज्ञात जगह पर ले जाया गया है. </p><p>इस मूवमेंट ने साल 2018 में हेलमंड प्रांत से अपनी यात्रा शुरू की थी. ये शांति यात्रा दक्षिण प्रांत में एक स्टेडियम में कार बम धमाके में हुई 17 लोगों की मौत और 50 से ज़्यादा लोगों के ज़ख्मी होने के बाद शुरू हुई थी. </p><p>उस समय से लेकर अब तक ये समूह देश के अलग-अलग हिस्सों में यात्रा कर रहा है. समूह ने कुछ ऐसे इलाक़ों में भी यात्रा की हैं जो तालिबान के कब्ज़े में हैं.</p><p>इससे पहले तालिबान ने आरोप लगाया था कि अफ़ग़ान सरकार इस पीस मूवमेंट को आर्थिक मदद दे रही है. हालांकि मूवमेंट इस बात से इनकार करती रही है.</p><p>अफ़ग़ान में साल 2001 से जारी युद्ध में अब तक तीन हज़ार से अधिक अंतरराष्ट्रीय सैन्यकर्मी और दसियों हज़ार अफ़गान नागरिक और सुरक्षाबलों के जवान मारे जा चुके हैं. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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