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जुनून और मेहनत से मिला उड़ान भरने का हौसला

प्रस्तुति : आरती श्रीवास्तव नौसेना की सब लेफ्टिनेंट शिवांगी को कोच्चि के भारतीय नौसैनिक अड्डे में हुए एक विशेष आयोजन में फ्लाइंग बैज दिया गया. इस बैज को पाने के साथ ही बिहार की इस बेटी ने इतिहास रच दिया है. वे भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट बन गयी हैं. पहली बार अकेले उड़ान […]

प्रस्तुति : आरती श्रीवास्तव

नौसेना की सब लेफ्टिनेंट शिवांगी को कोच्चि के भारतीय नौसैनिक अड्डे में हुए एक विशेष आयोजन में फ्लाइंग बैज दिया गया. इस बैज को पाने के साथ ही बिहार की इस बेटी ने इतिहास रच दिया है. वे भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट बन गयी हैं.

पहली बार अकेले उड़ान भरते हुए लगा था डर :शिवांगी कहती हैं कि जब पहली बार उन्होंने अकेले उड़ान भरी थी, तो उन्हें विश्वास नहीं था कि वे एयरक्रॉफ्ट लेकर वापस लौट पायेंगी. लेकिन जब लैंड किया तो विश्वास हुआ कि उन्होंने खुद के दम पर ऐसा कर दिखाया है. इसी दौरान उन्हें खुद में भरोसा जगा कि वे बिना किसी इंस्ट्रक्टर के अकेले ही एयरक्रॉफ्ट उड़ा सकती हैं.
शिवांगी जब चौथी क्लास में पढ़ती थीं, तो पहली बार अपने दादाजी के साथ वैशाली जिले के बचुवाली गांव में उन्होंने एक हेलिकॉप्टर देखा था. वे बताती हैं, कि जैसे-जैसे हेलिकॉप्टर मंडरा रहा था, वे लहरा रही थीं. उसी समय उन्होंने सोच लिया था कि एक दिन वे भी एयरक्रॉफ्ट उड़ायेंगी.
नौसेना में शामिल होनेवाली परिवार की पहली व्यक्ति : किसान परिवार से आनेवाली 24 वर्षीय शिवांगी सशस्त्र बल में शामिल होनेवाली अपने परिवार की पहली व्यक्ति हैं. उनके पिता हरिभूषण सिंह मुजफ्फरपुर जिला के फतेहाबाद गांव के एक सरकारी स्कूल में हेडमास्टर हैं. अपनी बेटी के नौसेना अधिकारी बनने पर वे कहते हैं कि यह हमारे परिवार और समाज के लिए एक बड़ी उपल्ब्धि है. वह भारतीय नौसेना के लिए उड़ान भरनेवाली पहली महिला बन गयी हैं, मेरे पास अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं.
वहीं शिवांगी का मानना है कि उनका नौसेना अधिकारी बनना उनके पिता के सपने का सच होना है. एक किसान होते हुए भी उन्होंने लड़कियों के लिए शिक्षा के महत्व को पहचाना और गांव में उनके लिए पहला स्कूल खोला.
दूसरे प्रयास में मिली सफलता : मणिपाल यूनिवर्सिटी, सिक्किम से मेकेनिकल इंजीनयिरंग करने के दौरान शिवांगी ने अपने कॉलेज में होनेवाली नौसैनिक प्रस्तुति में भाग लिया था. नौसेना की सफेद वर्दी और बातचीत से वे काफी प्रभावित हुई थीं. बाद में जब उन्हें पता चला कि नौसेना महिलाओं की भर्ती कर रही है, तो सेलेक्शन बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में वे शामिल हुईं.
दूसरे प्रयास में उन्होंने परीक्षा में सफलता प्राप्त की. केरल के एझिमाला स्थित भारतीय नौसेना अकादमी, से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद पिछले वर्ष वे स्नातक पास हुईं और फिर उसके बाद नौसेना विमानन में प्रशिक्षण प्राप्त किया. एक बार परिचालन उड़ान शुरू करने के बाद समुद्री टोही अभियान और समुद्र में खोज व बचाव अभियान उनके दायित्वों में शामिल होगा.
शिवांगी कहती हैं कि प्रशिक्षण के बाद आपको इसकी परीक्षा में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है. अगर आप असफल हो जाते हैं तो एविएशन से बाहर हो जाते हैं. नौसेना में करियर बनाने की इच्छुक युवा महिलाओं को शिवांगी का संदेश है, ‘अपने जुनून का पीछा करते रहना चाहिए. सफल होने के पहले आप कई बार असफल होंगे.’

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