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गिरती जीडीपी से आम आदमी को क्या डरना चाहिए?

<figure> <img alt="आम आदमी" src="https://c.files.bbci.co.uk/7FE8/production/_109944723_gettyimages-1183923817.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लगातार बुरे दौर से गुज़र रही भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. </p><p>शुक्रवार को सामने आए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, भारत की अर्थव्यवस्था में जुलाई से सितंबर के बीच देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी महज़ 4.5 फ़ीसदी ही […]

<figure> <img alt="आम आदमी" src="https://c.files.bbci.co.uk/7FE8/production/_109944723_gettyimages-1183923817.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>लगातार बुरे दौर से गुज़र रही भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. </p><p>शुक्रवार को सामने आए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, भारत की अर्थव्यवस्था में जुलाई से सितंबर के बीच देश का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी महज़ 4.5 फ़ीसदी ही रह गई.</p><p>यह आंकड़ा बीते 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर है. पिछली तिमाही की भारत की जीडीपी 5 फ़ीसदी रही थी. </p><p>जीडीपी के नए आंकड़े सामने आते ही विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया. </p><p>कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ”भारत की जीडीपी छह साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है लेकिन बीजेपी जश्न क्यों मना रही है? क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी जीडीपी (गोडसे डिवीसिव पॉलिटिक्स) से विकास दर दहाई के आंकड़े में पहुंच जाएगी.”</p><p><a href="https://twitter.com/rssurjewala/status/1200387635681869825">https://twitter.com/rssurjewala/status/1200387635681869825</a></p><p>भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इन आंकड़ों पर चिंता जताई है और कहा है कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था में जो बदलाव कर रही है वह बिलकुल भी मददगार साबित नहीं हो रहे. </p><p><a href="https://twitter.com/ani_digital/status/1200416835964768256">https://twitter.com/ani_digital/status/1200416835964768256</a></p><p>जीडीपी के ये आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कितने ख़तरनाक हैं यही जानने के लिए <strong>बीबीसी के </strong><strong>बिज़नेस </strong><strong>संवाददाता अरुणोदय मुखर्जी </strong>ने बात की <strong>अर्थशास्त्री विवेक कौल</strong> से. पढ़िए उनका नज़रिया-</p><p>जीडीपी के आंकड़े दिखाते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. अगर हम जीडीपी के अलग-अलग आंकड़ों को देखें तो विकास दर 4.5 प्रतिशत इसलिए रही है क्योंकि सरकारी ख़र्च 15.6 प्रतिशत बढ़ा है.</p><p>ऐसे में अगर हम सरकारी ख़र्च को अलग रखें और तब पूरी अर्थव्यवस्था को देखें तो हम पाएंगे कि स्थिति और भी ज़्यादा बुरी है. इस ख़र्च से अलग जो भारतीय अर्थव्यवस्था है उसकी विकास दर गिरकर लगभग तीन प्रतिशत हो गई है.</p><p>तो अभी भी जो थोड़ी-बहुत विकास दर दिख रही है वह इसलिए है क्योंकि सरकार पहले से बहुत ज़्यादा सरकारी ख़र्च कर रही है. इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि निजी क्षेत्रों की विकास दर लगभग नहीं के बराबर हो गई है.</p><figure> <img alt="भारत की विकास दर" src="https://c.files.bbci.co.uk/11C28/production/_109944727_copyofgdp_india.jpg" height="675" width="807" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>सरकार के </strong><strong>क़दमों </strong><strong>का क्या हुआ?</strong></p><p>सरकार ने अर्थव्यस्था को पटरी पर लाने के लिए कुछ क़दम उठाए थे जैसे कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की गई थी. इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने कई बार ब्याज़ दरों में कटौती की है. लेकिन रेट कट करने से कुछ ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ेगा.</p><p>दरअसल, आरबीआई तो ब्याज़ दरों में कटौती कर सकता है लेकिन जब तक बैंक अपनी ब्याज़ दरें नहीं घटाएंगे तब कुछ असर नहीं दिखेगा. बैंक भी ब्याज़ दरें इसलिए नहीं काट रहे हैं क्योंकि वो जिस दर पर पैसा उठा रहे हैं, वह बहुत ज़्यादा है और यह तब तक कम नहीं होगा जब तक सरकारी ख़र्च कम नहीं होगा क्योंकि सरकार भी बाज़ार से ही पैसा उठाती है.</p><p>अगर सरकार मौजूदा हालात में ख़र्च करना कम कर देगी तो और भी ज़्यादा दिक़्क़तें पैदा हो जाएंगी.</p><figure> <img alt="आरबीआई" src="https://c.files.bbci.co.uk/12DB2/production/_109943277_97f642ed-142d-4d94-9426-bcd590b6cc48.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>जीडीपी के आंकड़ों का आम लोगों पर</strong><strong>असर?</strong></p><p>इस तरह के आंकड़ों को देखने के बाद लोगों का अपनी अर्थव्यस्था पर भरोसा कम होने लगा है. ऐसे माहौल में लोग अपने ख़र्चों में कटौती करने लगते हैं. </p><p>जब बहुत ज़्यादा लोग अपने ख़र्च में कटौती करने लगते हैं तो फिर यह भी अर्थव्यस्था के लिए मुश्किलें पैदा करने लगता है, क्योंकि जब एक व्यक्ति पैसे ख़र्च करता है तो दूसरा व्यक्ति पैसे कमाता है.</p><p>अगर समाज का एक बड़ा हिस्सा पैसे ख़र्च करना कम कर देगा तो इससे लोगों की आय कम होने लगती है और फिर वो लोग भी अपने ख़र्चे कम कर देते हैं.</p><p>इस तरह से यह एक चक्र बनता है जिसका बहुत नकारात्मक असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.</p><h1>कितने गंभीर हैं ये आंकड़ें?</h1><p>जीडीपी के आंकड़ों को बहुत ज़्यादा गंभीरता से देखे जाने की ज़रूरत है, क्योंकि निजी क्षेत्र की विकास दर गिरकर तीन प्रतिशत हो गई है. </p><p>अगर हम निवेश में विकास दर को देखें तो वह गिरकर एक प्रतिशत पर आ गई है, इसका मतलब है कि निवेश लगभग नहीं के बराबर हो रहा है. </p><p>जब तक अर्थव्यवस्था में निवेश नहीं बढ़ेगा तब तक नौकरियां कहां से पैदा होंगी, जब तक नौकरियां पैदा नहीं होंगी तो लोगों की आय में वृद्धि कैसे होगी और जब लोगों की आय में वृद्धि नहीं होगी तो लोग ख़र्च नहीं करेंगे. जब लोग ख़र्च नहीं करेंगे तो निजी खपत कैसे बढ़ेगी.</p><p>यह सब कुछ एक दूसरे के साथ इसी तरह से जुड़ा हुआ है.</p><figure> <img alt="वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण" src="https://c.files.bbci.co.uk/17BD2/production/_109943279_6385b1c6-b747-48c5-82ef-c9c468f76f62.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण</figcaption> </figure><p><strong>क्या </strong><strong>क़दम </strong><strong>उठाए सरकार?</strong></p><p>जिस स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था है वहां पर कुछ भी तुरंत क़दम उठाने से नहीं हो सकता. </p><p>अभी सरकार को जो भी क़दम उठाने हैं उनका असर लंबे समय के बाद देखने को मिलेगा.</p><p>जैसे, अगर सरकार श्रम सुधार या भूमि सुधार की दिशा में काम करती है तो इनका सकारात्मक असर लंबे समय में धीरे-धीरे देखने को मिलेगा.</p><p>इसलिए अर्थव्यवस्था को सुधारने का कोई शॉर्टकट नहीं होता, सरकार के पास कोई जादू की छड़ी भी नहीं होती जिसे घुमाते ही अर्थव्यवस्था सुधर जाए. </p><p><strong>ये भी पढ़ेंः</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50051445?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नोबेल के बाद अभिजीत बोले संकट में है भारत</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50064055?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सारी दुनिया के साथ भारत में भी मुश्किल दौर में अर्थव्यवस्था, IMF का अनुमान</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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