<figure> <img alt="पवार-ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/D2D2/production/_109607935_96a7e6a8-8238-4152-b6f2-a5998ce36221.jpg" height="396" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महाराष्ट्र में शिव सेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच सरकार बनाने को लेकर बातचीत जारी है. इस बीच ये बात भी हो रही है कि सरकार बनने की स्थिति में कौन मुख्यमंत्री होगा. शिव सेना में जो चार नाम इस समय लिए जा रहे हैं उसमें ख़ुद पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का नाम भी शामिल है.</p><p>मातोश्री – ठाकरे के मुंबई निवास स्थान के पास हालांकि अभी भी आदित्य ठाकरे मुख्यमंत्री बनाएं जाएं वाले बैनर लगे हैं लेकिन शहर में कई जगहों पर कल से महाराष्ट्र को उद्धव ठाकरे जैसा मुख्यमंत्री चाहिए वाले पोस्टर और बिलबोर्ड नज़र आने लगे हैं.</p><p>उद्धव ठाकरे का इस कुर्सी पर बैठना कई मामलों में महाराष्ट्र पॉल्टिक्स के लिए ऐसा पहला उदाहरण होगा. पहले किसी ठाकरे ने सरकार में कोई पद ग्रहण नहीं किया है. रिमोट कंट्रोल शब्द इसी वजह से ठाकरे ब्रांड राजनीति के लिए बार-बार इस्तेमाल होता रहा है जिसमें वो सीधे सरकार में न भी रहते हुए वो सब करवा सकते थे जो वो चाहते थे.</p><p>उद्धव के लिए एक समय ‘सॉफ्ट’ जैसे शब्दों का जमकर प्रयोग हुआ करता था. ख़ासतौर पर तब जब वो पार्टी के कार्यक्रमों में खुलकर सामने आने लगे, और बार-बार उनकी तुलना चचेरे भाई राज ठाकरे से की जाती रही.</p><p>लेकिन फिर बात सामने आ गई कि वो उतने नरम नहीं जितने दिखते हैं – राज ठाकरे को आख़िर 2006 में शिव सेना छोड़नी पड़ी.</p><p>इससे पहले वो किसी समय पार्टी के क़द्दावर नेता रहे नारायण राणे को पार्टी के बाहर का रास्ता दिखा चुके थे.</p><p>पार्टी पर उनकी पकड़ मज़बूत है और वो उनके काम आएगी जो गठबंधन सरकार बनने की सूरत में बहुत ज़रूरी होगी. </p><p>मुंबई स्थित वरिष्ठ पत्रकार सुधीर सुर्यवंशी के मुताबिक़ एक और बात जो उद्धव ठाकरे के पक्ष में जा रही है वो है उनका मृदू स्वभाव और धीरज जिसकी गठबंधन हुकूमत में बहुत ज़रूरत होती है.</p><p>लेकिन उद्धव ठाकरे के पास किसी तरह का प्रशासकीय तजुर्बा नहीं है. लेकिन कई लोग कहते हैं कि ये पहला उदाहरण नहीं होगा जब किसी तरह के प्रशासकीय अनुभव के बिना किसी व्यक्ति ने अहम पद ग्रहण किया हो.</p><p>हाल तक मुख्यमंत्री रहे बीजेपी के देवेन्द्र फडनविस का सरकार में किसी तरह का कोई लंबा तजुर्बा नहीं रहा था. वो मुख्यमंत्री बनने के पहले नागपुर के मेयर रहे थे.</p><p>प्रधानमंत्री का पद संभालने से पहले राजीव गांधी ने सरकार में किसी पद पर काम नहीं किया था और भाई संजय गांधी की मौत के बाद राजनीति में बड़ी अनिच्छा से क़दम रखा था.</p><figure> <img alt="शिव सेना" src="https://c.files.bbci.co.uk/ABC2/production/_109607934_550b618f-9c28-48d4-958c-f30d3f80354d.jpg" height="430" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>उद्धव के अलावा जो दूसर नाम इस सिलसिले में आ रहा है वो है उनके बेटे आदित्य ठाकरे का. </p><p>आदित्य पहली बार चुनाव लड़े हैं और नवंबर के पहले हफ़्ते में कई जगह पोस्टर लगे दिखे जिसमें आदित्य की तस्वीर के साथ लिखा था, ‘मेरा एमएलए, मेरा मुख्यमंत्री.'</p><p>तीस साल पुराने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी के साथ सरकार बनाने को लेकर बात चलने के दौरान ये बात भी होती रही कि शिव सेना हुकूमत में आदित्य ठाकरे के लिए उप-मुख्यमंत्री का पद चाहती है.</p><p>हालांकि सुधीर सुर्यवंशी कहते हैं कि ये महज़ दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है.</p><p>कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि शिव सेना हाल में सूबे में बीजेपी के बढ़ते प्रभाव को लेकर थोड़ी असहज रही थी, जिसमें पुराने सहयोगी ने कई बार ‘बड़े भाई’ की तरह भूमिका निभाने की कोशिश की थी.</p><p>कहा जा रहा है कि शिव सेना को लग गया था कि अपनी साख बचाकर अगर विस्तार करना है तो उसके लिए ज़रूरी है कि वो पुराने सहयोगी से नाता तोड़े.</p><p>हालांकि सुधीर सुर्यवंशी का कहना है कि एनसीपी की तरफ़ से शिव सेना को ये संकेत मिले हैं कि अगर सरकार बनती है तो बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री का पद उद्धव संभाले.</p><p>जिस प्रशासनिक अनुभव की कमी की बात उद्धव के लिए कही जा रही है वही आदित्य के मामले में उठाया जा रहा है.</p><p>लेकिन पार्टी को क़रीब से देखने वालों का कहना है कि युवा होना और खुले स्वभाव का होना आदित्य ठाकरे का प्लस प्वांइट है.</p><p>उनके पार्टी में सीधे तौर पर कार्यरत होने के बाद से शिव सेना की तरफ़ से वैलंटाइन डे जैसे समारोहों का विरोध धीमा पड़ा है जो युवाओं को स्वीकार्य होगा.</p><p>एक राय ये भी है कि बीजेपी के लिए शिव सेना पर खुले प्रहार करना आसान नहीं होगा क्योंकि पार्टी में एक सोच होगी कि दोनों का साथ कभी भी बन सकता है एक बार फिर.</p><p>दो और नाम जो मुख्यमंत्री के लिए चल रहे हैं वो हैं – एकनाथ शिंदे और सुभाष देसाई.</p><p>एकनाथ शिंदे इस समय पार्टी के विधायक दल के नेता हैं और उनकी पकड़ शिव सेना में मज़बूत हैं.</p><p>पिछली सरकार में वो पीडब्लूडी मंत्री थे, इसीलिए उनपर प्रशासनिक तजुर्बे की कमी का इल्ज़ाम भी नहीं लगता.</p><p>उन्होंने शिव सेना को ठाणे के इलाक़े में बढ़ाने और मज़बूत करने के लिए लंबे समय से काम किया है और पहले सरकार में रहने के कारण दूसरे दलों के नेताओं से भी उनके संबंध हैं.</p><p>सुभाष देसाई लंबे वक़्त से ठाकरे परिवार के विश्वस्नीय रहे हैं और उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a 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कौन-कौन हैं महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की दौड़ में
<figure> <img alt="पवार-ठाकरे" src="https://c.files.bbci.co.uk/D2D2/production/_109607935_96a7e6a8-8238-4152-b6f2-a5998ce36221.jpg" height="396" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महाराष्ट्र में शिव सेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच सरकार बनाने को लेकर बातचीत जारी है. इस बीच ये बात भी हो रही है कि सरकार बनने की स्थिति में कौन मुख्यमंत्री होगा. शिव सेना में जो चार नाम इस समय लिए जा रहे हैं उसमें ख़ुद पार्टी प्रमुख […]
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