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महाराष्ट्र को सूखे के संकट से उबारने के सरकार के दावे में कितनी सच्चाई?

<figure> <img alt="महाराष्ट्र" src="https://c.files.bbci.co.uk/1298/production/_109206740_4baaefe4-d3dc-444d-ab57-e97c7e67afc3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>दावा:</strong> राज्य सरकार ने जलयुक्त शिवार योजना के तहत पूरे महाराष्ट्र को साल 2019 तक पानी की कमी से निजात दिलाने का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि इस योजना के तहत अभी तक 19 हज़ार गांवों को सूखे के संकट […]

<figure> <img alt="महाराष्ट्र" src="https://c.files.bbci.co.uk/1298/production/_109206740_4baaefe4-d3dc-444d-ab57-e97c7e67afc3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>दावा:</strong> राज्य सरकार ने जलयुक्त शिवार योजना के तहत पूरे महाराष्ट्र को साल 2019 तक पानी की कमी से निजात दिलाने का लक्ष्य रखा है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दावा किया है कि इस योजना के तहत अभी तक 19 हज़ार गांवों को सूखे के संकट से मुक्त किया जा चुका है.</p><p><strong>हक़ीकत:</strong>राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र राज्य को सूखा के संकट से मुक्त बनाने के लिए 26 जनवरी, 2015 को जलयुक्त शिवार योजना की शुरुआत की थी.</p><p>इस योजना का लक्ष्य था कि बारिश के दौरान गांवों में पानी का एक स्थायी स्रोत बनाया जाए ताकि अधिक से अधिक भूमि की सिंचाई की जा सके और लोगों को सूखे का सामना ना करना पड़े.</p><p>इस योजना के तहत पोखर बनाने, कुंओं को दोबारा से जलयुक्त करने, नाले की गहराई बढ़ाने और चौड़ीकरण का काम किया गया है. </p><p>एक ओर जहां सरकार का दावा है कि वह 2019 तक महाराष्ट्र को पानी की किल्लत से आज़ादी दिला देगी वहीं हक़ीक़त ये है कि साल 2014 की तुलना में 2019 में राज्य में पानी के टैंकरों की संख्या 31 गुना बढ़ गई है.</p><p>6 अक्टूबर 2014 तक के आंकड़ों के अनुसार राज्य के अलग-अलग हिस्सों में पानी की सप्लाई के लिए 38 टैंकरों का इस्तेमाल किया जा रहा था. और अब 6 अक्टूबर 2019 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में पानी की सप्लाई के लिए कुल 1176 टैंकरों का प्रयोग किया जा रहा है.</p><h1>कुछ जगहों के हालात अब भी वैसे </h1><p>अमरावती ज़िले के चंदुर रेलवे तालुका के बग्गी और जहाँगीरपुर गाँवों में जलभराव वाले शिवार के तहत काम किया गया है. इस गांव में चंद्रभागा नदी पर चार बांध बनाए गए थे.</p><p>यहाँ के किसानों का कहना है कि उन्हें इस योजना के तहत कृषि के लिए प्रचुर मात्रा में पानी मिला है. समीर भेंडे के पास 26 एकड़ खेती योग्य जमीन है. उनकी ज़मीन जलयुक्त शिवार योजना के तहत निर्मित बैराज के पास ही है. </p><figure> <img alt="पानी की कमी" src="https://c.files.bbci.co.uk/432F/production/_109199171_1603ba50-46b4-4a2a-8208-c62aad00b78e.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>उनका कहना है &quot;जबसे जलयुक्त शिवार योजना का काम पूरा हुआ है, तब से नदी में पानी रहने लगा है. इसी पानी के भरोसे मैंने छह एकड़ में कपास की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल किया है. इससे फ़सल को पानी की आपूर्ति हो जाती है. पानी उपलब्ध है इसीलिए मैंने नारंगी की भी खेती की है. गर्मियो के दौरान मैंने तरबूज और कद्दू लगाने का फ़ैसला किया था लेकिन तब पानी की कमी के चलते मैं यह नहीं कर पाया. लेकिन इस योजना के पूरे हो जाने से बहुत फ़ायदा हुआ है.&quot;</p><p>लेकिन बीड ज़िले के पाटोदा तालुका के निर्गुड़ी गांव में रहने वाले किसान भगवान दहीफले का अनुभव समीर भेंडे से बिल्कुल अलग है. </p><p>सरकार की इस योजना में भगवान दहीफले के गांव को भी शामिल किया गया था. इसलिए इस गाँव में नाली को गहरा करने, नाली को सीधा करने, सीसीटी, कुंओं को दोबारा से जलयुक्त बनाने का काम, खेतों में तालाब बनाने का काम हुआ है.</p><p>भगवान दहीफले ने 44 x 44 मीटर चौड़ाई और पचास मीटर गहरे पोखर बनाने के लिए इस योजना का लाभ लिया था. इसके लिए उन्होंने अपनी जेब से क़रीब तीन लाख रुपये तक भी ख़र्च किये थे. </p><p>उनका कहना है &quot;मैंने फलों के बाग लगाने का सोचा ताकि मैं पैसे कमा सकूं. इसलिए मैंने एक पोखर लिया. इसके लिए मैंने अपनी कुल जमा पूंजी, लगभग साढ़े तीन लाख रुपये भी लगा दिये. मैंने सोचा थी इस पोखर से मेरी ज़मीन को पानी मिलेगा लेकिन इस साल भी उम्मीद से कम बारिश हुई, इसलिए बीते छह महीने से इस पोखर में एक बूंद पानी तक नहीं है. इस साल मैंने खेतों में सोयाबीन लगाया है लेकिन पानी की कमी के कारण वो भी पीले पड़ गए हैं.&quot;</p><figure> <img alt="पानी की कमी" src="https://c.files.bbci.co.uk/914F/production/_109199173_365fa33c-1958-404a-bf75-6151bf4c0117.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>कितनी </strong><strong>सफल</strong><strong> है ये योजना? </strong></p><p>इस योजना का मुख्य उद्देश्य साल 2019 तक पूरे महाराष्ट्र को पानी की सुविधा उपलब्ध कराना है और पानी की कमी को दूर करना है, राज्य में सिंचाई के लिए जल उपलब्धता को बढ़ाना है, भूमिगत जल के स्तर को बेहतर करना है और साथ ही जल संसाधनों में पानी के स्तर को उन्नत करना है. </p><p>इनमें से सरकार ने कुछ वादे तो पूरे किये हैं लेकिन यह कहना ग़लत नहीं होगा कि सरकार को अभी और काम करने की ज़रूरत है. </p><p><strong>1. </strong><strong>राज्य में सिंचाई क्षेत्र को बढ़ाना </strong></p><p>अगर आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट को देखा जाए तो साल 2013-14 से 2018-19 के बीच यह समझ आता है कि पिछले पांच वर्षों में सिंचाई के क्षेत्र में वृद्धि हुई है. </p><p>इन रिपोर्ट के अनुसार, 2013-14 में राज्य में 32.60 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई हुई वहीं साल 2017-18 में यह बढ़कर 39.50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई. </p><figure> <img alt="पानी की कमी" src="https://c.files.bbci.co.uk/DF6F/production/_109199175_60921433-01a1-4b57-b14d-e9072b2e7b53.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>2. </strong><strong>पूरे महाराष्ट्र को पानी की क़िल्लत से निजात दिलाना </strong></p><p>सरकार की योजना थी कि पूरे राज्य को पानी की किल्लत से छुटकारा दिलाया जा सके लेकिन अभी जो मौजूदा हालात हैं उन्हें देखकर तो यही अंदाज़ा लगता है कि सरकार अपने लक्ष्य से अभी कोसों दूर है. </p><p>राज्य सरकार के जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 7 अक्टूबर 2019 तक राज्यभर के 888 गांवों और 2,456 छोटे गांवों में 1,176 टैंकर पानी की सप्लाई कर रहे हैं.</p><p>औरंगाबाद क्षेत्र में अधिकतम 464 टैंकर पानी सप्लाई करते हैं, पुणे में 298, नासिक में 125. अमरावती प्रांत में सिर्फ़ एक टैंकर पानवी की सप्लाई करता है. फिलहाल नागपुर और कोंकण प्रांत में कोई भी टैंकर पानी की सप्लाई नहीं कर रहा है. </p><p>अगर साल 2014 से तुलना करें तो फिलहाल 2014 की तुलना में टैंकरों की संख्या में 31 गुना बढ़ोत्तरी हुई है. छह अक्टूबर 2014 तक 25 गांव और 48 छोटे गांव टैंकर से पानी प्राप्त करते थे. </p><figure> <img alt="पानी की कमी" src="https://c.files.bbci.co.uk/12D8F/production/_109199177_7ca60e09-028c-4e3b-8e28-e5a4df19c02b.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><p><strong>3. </strong><strong>भू-जल स्तर में वृद्धि</strong></p><p>ऐसा देखा गया कि पिछले साल क़रीब 14 हज़ार गांवों में पानी का स्तर क़रीब एक मीटर तक नीचे आ गया. जल संसाधन विभाग के तहत भू-जल सर्वेक्षण और विकास प्रणाली की रिपोर्ट के अनुसार , पिछले पांच वर्षों की तुलना में 353 तालुकाओं में से 252 तालुकाओं के 13,984 गांवों में भूजल स्तर एक मीटर से अधिक कम हो गया है. </p><p><strong>4. </strong><strong>जल भंडारण को बढ़ाना </strong></p><p>महाराष्ट्र राज्य के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, 2014-15 की तुलना में 2017-18 में राज्य में जलाशयों के उपयोग में वृद्धि हुई है.</p><p>2014-15 में, राज्य में बड़े, मध्यम और छोटे बांधों की भंडारण क्षमता 25,001 मिलियन क्यूबिक मीटर थी, जो 2017-18 में 27,607 मिलियन क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई है. </p><p><strong>साल संग्रहित जल (मिलियन क्यूबिक मीटर)</strong></p><p><strong>201027,309</strong></p><p><strong>201126,989</strong></p><p><strong>201220,406</strong></p><p><strong>201329,232</strong></p><p><strong>201425,001</strong></p><p><strong>201518,072</strong></p><p><strong>201629,814</strong></p><p><strong>201727,607</strong></p><h1>भ्रष्टाचार के आरोप और पूछताछ </h1><p>पिछले साल, राज्य सरकार ने 151 तालुकाओं को सूखा प्रभावित घोषित किया था, मतलब लगभग आधा राज्य सूखाग्रस्त. इसलिए विपक्ष ने इस योजना को लेकर सत्ता पक्ष पर ज़ोरदार हमला भी किया. </p><p>विधान परिषद में विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने बीबीसी मराठी से कहा, &quot;अगर वे दावा करते हैं कि जलयुक्त शिवार योजना सफल रही, तो राज्य सरकार को पिछले साल सूखे की घोषणा क्यों करनी पड़ी?&quot; मुख्यमंत्री को चाहिए कि वो उन 19 हज़ार गांवों की लिस्ट जारी करें जिसे लेकर वे दावा कर रहे हैं कि इस योजना के परिणामस्वरूप उन्हें सूखा-मुक्त किया गया है.&quot;</p><p>वो आगे कहते हैं कि राज्य के बहुत से ज़िलों में औसत बारिश की भी चालीस फ़ीसदी ही बारिश हुई है. ऐसी स्थिति में पानी का संग्रहण कैसे किया जा सकता है? </p><p>वो दावा करते हैं कि जलयुक्त शिवार में कई तरह की गड़बड़ियां हुई हैं. </p><p>अनियमितताओं के आरोप का जवाब देते हुए, जल संरक्षण राज्य मंत्री तानाजी सावंत (जून 2019) ने विधानमंडल में कहा था &quot;सरकार ने जलयुक्त शिवार योजना के अंतर्गत विभाग द्वारा 13 कामों का चयन किया था जहां कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप थे. इन मामलों में विभाग द्वारा जांच की जाएगी.&quot;</p><p>लेकिन धनंजय मुंडे ने मांग की है कि इन मामलों की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा की जानी चाहिए. इसके बाद विधान परिषद के स्पीकर रामराजे नाइक ने इन सभी मामलों की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से कराने के आदेश दे दिये. </p><p>कृषि मंत्री अनिल बोंडे ने बीबीसी मराठी को बताया &quot;जलयुक्त शिवार योजना किसानों के लिए फ़ायदेमंद रही है. इस योजना में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं हुआ है. विपक्ष को इस योजना को बेकार में बदनाम नहीं करना चाहिए.&quot;</p><figure> <img alt="पानी की कमी" src="https://c.files.bbci.co.uk/4393/production/_109199271_c8c29574-cbeb-444c-ad07-3d036ab70335.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>लेकिन ग़लती कहां हो रही है?</h1><p>सितंबर 2015 में अर्थशास्त्री एच.एम. देसार्डा ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए दावा किया था कि जलयुक्त शिवार योजना का काम वैज्ञानिक तरीक़े से शुरू नहीं किया गया था. </p><p>इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वे एक समिति का गठन करके देसार्डा द्वारा उठाए गए मामलों का अध्ययन करें. सरकार ने इस आदेश के बाद पूर्व मुख्य सचिव जॉनी जॉसेफ़ की अध्यक्षता में एक आठ सदस्यीय समिति का गठन किया. </p><p>जोसेफ़ समिति ने इस संदर्भ में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंप दी है. इस याचिका पर सुनवाई जारी है. </p><p>देसार्डा ने कहा, &quot;जलयुक्त शिवार योजना को अवैज्ञानिक तरीक़े से लागू किया जा रहा है. जल संरक्षण कार्यों के लिए एक क्रम में सिद्धांतों को अपनाया जाना चाहिए. लेकिन सरकार ने इन सिद्धांतों का पालन नहीं किया है. निकासी की प्रक्रिया भी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है.&quot;</p><p>देसार्डा कहते हैं &quot;इस याचिका के बाद, सरकार ने योजना के लिए कई संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं. लेकिन हमारी मांग है कि मूल फ़ैसले को ही निरस्त कर दिया जाए.&quot;</p><p>लेकिन ये सरकार को स्वीकार्य नहीं है. जल संसाधन राज्य मंत्री विजय शिवतारे के अनुसार, &quot;जलयुक्त शिवार योजना बिल्कुल वैज्ञानिक है और सिद्धांतों के अनुरूप है.&quot;</p><h1>ये भी पढ़ें</h1><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49962629?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">बीजेपी के साथ शिवसेना का समझौता सत्ता के लिए: उद्धव ठाकरे</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49371879?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">केरल-कर्नाटक-महाराष्ट्र में बाढ़ की ये है असली वजह</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49965446?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आरे जंगल का मामला कैसे पहुंचा सुप्रीम कोर्ट में?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49907781?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">शिवसेना अब आधिकारिक तौर पर भाजपा का छोटा भाई?</a></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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