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क्रिएटिव सोचते हैं, तकनीक में रूचि है और इनोवेटिव हैं तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग है बेहतर करियर ऑप्शन

नयी दिल्ली: भारतीयों की क्रय शक्ति और गाड़ियों बिक्री बढ़ने से ऑटोमोबाइल सेक्टर तेजी से उभरती हुई इंडस्ट्री बन गया है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर ऑटो सेक्टर सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है. कहते हैं कि किसी भी ऑटो कंपनी में एक जॉब क्रिएट होने का मतलब है, तीन से पांच इनडायरेक्ट जॉब […]

नयी दिल्ली: भारतीयों की क्रय शक्ति और गाड़ियों बिक्री बढ़ने से ऑटोमोबाइल सेक्टर तेजी से उभरती हुई इंडस्ट्री बन गया है. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर ऑटो सेक्टर सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार देता है. कहते हैं कि किसी भी ऑटो कंपनी में एक जॉब क्रिएट होने का मतलब है, तीन से पांच इनडायरेक्ट जॉब ऑप्शंस का खुलना. जिस तरह से मार्केट में देशी-विदेशी कंपनियों की नई इनोवेटिव कारें लॉन्च हो रही हैं, उसे देखते हुए ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स की मांग तेजी से बढ़ रही है.

अगर आपको भी कार का पैशन है. मैकेनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैथमेटिक्स में दिलचस्पी है, तो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के साथ करियर को रफ्तार दे सकते हैं.

ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में चुनौतियां

एक ऑटोमोबाइल इंजीनियर पर कई प्रकार की जिम्मेदारियां होती हैं. उन्हें कम लागत में बेहतरीन ऑटोमोबाइल डिजाइन करना होता है. इसलिए इंजीनियर्स को सिस्टम और मशीनों से संबंधित रिसर्च और डिजाइनिंग में काफी समय देना पड़ता है. पहले ड्रॉइंग और ब्लूप्रिंट तैयार किया जाता है. इसके बाद इंजीनियर्स उनमें फिजिकल और मैथमेटिकल प्रिंसिपल्स अप्लाई कर उसे डेवलप करते हैं. इस तरह ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स प्लानिंग, रिसर्च वर्क के बाद एक फाइनल प्रोडक्ट तैयार करते हैं, जिसे मैन्युफैक्चरिंग के लिए भेजा जाता है. यहां भी उन्हें पूरी निगरानी रखनी होती है. व्हीकल बनने के बाद उसकी टेस्टिंग करना इनकी ही जवाबदेही होती है, जिससे कि मार्केट से कोई शिकायत न आये.

स्पेशलाइजेशन फायदेमंद साबित होगी

अगर कोई ऑटोमोबाइल इंजीनियर किसी खास एरिया में स्पेशलाइजेशन करता है, तो इससे उन्हें काफी फायदा होता है. मार्केट में उनकी एक अलग पहचान बनती है, जैसे-ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स एग्जॉस्ट सिस्टम, इंजन और स्ट्रक्चरल डिजाइन में स्पेशलाइजेशन कर सकते हैं.

कई सारी जानकारियों की जरूरत

ऑटोमोबाइल इंजीनियर बनने के लिए आपके पास टेक्निकल के साथ-साथ फाइनेंशियल नॉलेज होना भी जरूरी है. आपको जॉब के कानूनी पहलुओं से अपडेट रहना होगा. इसके अलावा, इनोवेटिव सोच और स्ट्रॉन्ग कम्युनिकेशन स्किल आगे बढ़ने में मदद करेंगे. इस फील्ड में ड्यूटी ऑवर्स काफी लंबे होते हैं. इसलिए आपको प्रेशर और डेडलाइंस के तहत काम करना आना चाहिए.

जरूरी शैक्षणिक योग्यता

केमिस्ट्री, मैथ्स, फिजिक्स में दिलचस्पी रखने वाले युवा ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में करियर बना सकते हैं. इसके लिए 10वीं के बाद डिप्लोमा भी किया जा सकता है या फिर आप ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं. हां, बीई या बीटेक करने के लिए आपका मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, कंप्यूटर साइंस जैसे सब्जेक्ट्स के साथ 12वीं होना जरूरी है. आप ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद ऑटोमोटिव्स या ऑटोमोटिव इंजीनियरिंग में एमई या एमटेक भी कर सकते हैं. अगर विशेषज्ञता हासिल करनी हो, तो पीएचडी भी की जा सकती है. बीई या बीटेक में एंट्री के लिए आईआईटी, जेईई, एआईईईई, बिटसेट आदि अखिल भारतीय या राज्य स्तर की प्रवेश परीक्षाएं देनी होती हैं.

नौकरी की संभावनाएं

ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में विभिन्न प्रकार की संभावनाएं मौजूद हैं. कार बनाने वाली कंपनी से लेकर सर्विस स्टेशन, इंश्योरेंस कंपनीज, ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन में ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स के लिए काफी मौके हैं. इसके अलावा, जिस तरह से सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है, उनकी मेंटिनेंस और सर्विसिंग करने वाले प्रोफेशनल्स की मांग में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. आप ऑटोमोबाइल टेक्निशियन, कार या बाइक मैकेनिक्स, डीजल मैकेनिक्स के रूप में काम कर सकते हैं. आप किसी ऑटो कंपनी में सेल्स मैनेजर, ऑटोमोबाइल डिजाइंस पेन्ट स्पेशलिस्ट भी बन सकते हैं.

इन पाठ्यक्रमों में लें दाखिला

  • डिप्लोमा इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग.
  • पीजी डिप्लोमा इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग.
  • सर्टिफिकेट प्रोग्राम इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग.
  • बीई ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग.
  • बीटेक ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग.

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