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क्या ये विमान हादसा पासा पलट देगा?

जोनाथन मार्कस बीबीसी कूटनीतिक संवाददाता उड़ान के बीच किसी यात्री विमान के साथ हादसा काफ़ी विचित्र बात है. किसी आधुनिक यात्री जेट के गिरने की वजह या तो उसमें विस्फोट होना हो सकता है या जैसा इस मामले में लगता है कि इसे या तो हवा में या ज़मीन से निशाना बनाया गया होगा. यूक्रेन […]

उड़ान के बीच किसी यात्री विमान के साथ हादसा काफ़ी विचित्र बात है.

किसी आधुनिक यात्री जेट के गिरने की वजह या तो उसमें विस्फोट होना हो सकता है या जैसा इस मामले में लगता है कि इसे या तो हवा में या ज़मीन से निशाना बनाया गया होगा.

यूक्रेन के अधिकारियों को इसमें कोई संदेह नहीं कि क्या हुआ होगा.

यूक्रेन के गृहमंत्री के एक सलाहकार एंतोन हेराशेंको का आरोप है कि विमान क़रीब 10 हज़ार मीटर (33 हज़ार फ़ीट) की ऊंचाई पर उड़ रहा था.

वे कहते हैं कि इसे बक लॉन्चर से छोड़ी गई मिसाइल से निशाना बनाया गया.

नैटो की कोड भाषा में एसए-11 गैडफ़्लाई यानी बक मिसाइल सिस्टम रूस निर्मित मध्यम रेंज का ज़मीन से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है, जिसे ऊंचे दर्जे के एयरक्राफ़्ट और क्रूज़ मिसाइलों से रक्षा के लिए बनाया गया है.

एसए-11 अपने पिछले संस्करण एसए-6 से ज़्यादा उन्नत भी है.

अमूमन इसमें रॉकेट पर चार मिसाइलें होती हैं और दिशा के लिए रडार भी होता है. इसके अलावा एक अन्य रॉकेट पर लक्ष्य बताने वाला स्नो ड्रिफ़्ट रडार मौजूद होता है.

प्रतिबंधों का दबाव

अब सभी कुछ एयरक्राफ़्ट के आख़िरी पलों के सही और प्रामाणिक आंकड़ों और सूचनाओं के हासिल करने पर निर्भर है, जिससे पता चलेगा कि आख़िर वह कैसे गिरा.

अगर यह पता चलता है कि मॉस्को से भेजे गए हथियारों से बोइंग 777 को अलगाववादियों ने गिराया तो इसके बाद यूक्रेन संकट को लेकर चल रही बहस की कहानी ही पूरी तरह बदल सकती है.

पिछले कुछ दिनों में पश्चिमी सरकारों में इस पर काफ़ी चिंता जताई गई है कि रूस पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को सैन्य मदद बढ़ा रहा है.

नैटो प्रवक्ता ज़ोर देते हैं कि ज़्यादा से ज़्यादा भारी सैन्य सामान रूस से सीमा पार कर अलगाववादियों को पहुंचाए जा रहे हैं.

जवाब में अमरीका ने मॉस्को पर आर्थिक पाबंदियां कड़ी कर दी हैं- जो काफ़ी कड़ी और ज़्यादा मज़बूत कार्रवाई है.

हालांकि यूरोपीय संघ अभी तक अमरीका के इस क़दम का अनुसरण करने में नाकाम रहा है.

अगर इस हादसे में रूस का किसी भी रूप में हाथ था तो यूरोपीय संघ पर कड़े प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव और बढ़ेगा.

इससे इस संकट के कूटनीतिक हल के लिए नए सिरे से तेज़ी आएगी.

रूस साफ़ तौर पर अलगाववादियों की अनदेखी नहीं कर सकता.

मगर साथ ही लगता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी यह स्पष्ट नहीं है आख़िर इस खेल का अंत क्या होगा.

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