ब्रिक्स विकास बैंक और आकस्मिक निधि की स्थापना की घोषणा के साथ ही पांच देशों के संयुक्त मंच ब्रिक्स ने अपना एक मक़सद पूरा कर लिया है.
संगठन के शिखर सम्मेलन में मेज़बान ब्राज़ील की राष्ट्रपति जील्मा रूसेफ़ ने कहा कि इस बैंक की स्थापना वैश्विक आर्थिक ढांचे को फिर से खड़ा करने की दिशा में अहम क़दम होगा.
ब्रिक्स देश इस बैंक का इस्तेमाल ढांचागत परियोजनाओं को वित्तीय मदद देने के लिए करेंगे.
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के आर्थिक मामलों के रिपोर्टर एंड्रयू वॉकर कहते हैं कि बैंक न सिर्फ़ ब्रिक्स देशों बल्कि दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं और विकासशील देशों में आधारभूत ढांचे और विकास परियोजनाओं के लिए संसाधन मुहैया कराएगा.
यानी इस बैंक से ब्रिक्स देशों के साथ-साथ दूसरी अर्थव्यवस्थाओं को भी फ़ायदा होगा.
विस्तार से पढ़िए ये रिपोर्ट
एक विकास बैंक किसी सरकार को बिजली, सड़क, दूरसंचार, पानी जैसी परियोजनाओं के लिए पैसा कर्ज़ में देता है.
ब्रिक्स बैंक इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में और ज़्यादा संसाधन लाएगा. विश्व बैंक ने भी माना है कि इस क्षेत्र में ज़रूरत और मौजूदा ख़र्च के बीच अंतर है.
जोसफ़ स्टिगलिट्ज़ समेत नोबेल पुरस्कार विजेता तीन अर्थशास्त्रियों के एक समूह के मुताबिक़ ब्रिक्स बैंक वो ”विचार है जिसका समय आ चुका है”.
इन अर्थशास्त्रियों का कहना है, "उभरते बाज़ारों और विकासशील देशों से बचत को ज़्यादा उपयोगी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर ये बैंक वैश्विक अर्थव्यवस्था में फिर से संतुलन क़ायम करने में एक अहम रोल अदा कर सकता है.
नरम रुख़
ब्रिक्स देशों के नेताओं ने कहा है कि बैंक को 100 अरब डॉलर की पूंजी से शुरू किया जाएगा.
लेकिन एंड्रयू वॉकर के मुताबिक़ ब्रिक्स बैंक की क़र्ज़ देने की क्षमता कई बातों पर निर्भर करेगी. इसमें बैंक की क्रेडिट रेटिंग, ब्रिक्स देशों और अन्य देशों का इसमें योगदान जैसे कई कारक शामिल हैं.
ब्रिक्स बैंक की स्थापना का सिर्फ़ आर्थिक पहलू ही नहीं है. मसलन, क़र्ज़ से जुड़ी शर्तों को तय करने में ये बैंक, विश्व बैंक से नरम रुख़ अख़्तियार कर सकता है.
ये शर्तें अक्सर विवादित रही हैं. आलोचकों का कहना है कि विकास बैंक जो शर्तें तय करते हैं अक्सर वे संबंधित देशों की संप्रभुता में दख़ल देती हैं.
अध्यक्षता
बीबीसी संवाददाता एंड्रयू वॉकर ये भी कहते हैं कि लंबे समय से विकासशील देशों को विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की अध्यक्षता को लेकर शिकायत रही है.
इसमें अमीर देशों का ज़्यादा प्रभाव रहता है जिसमें एक अनौपचारिक व्यवस्था के तहत विश्व बैंक का अध्यक्ष हमेशा ही एक अमरीकी और आईएमएफ़ का एक यूरोपीय रहा है.
लेकिन ब्रिक्स बैंक का पहला मुख्य कार्यकारी यानी सीईओ या अध्यक्ष एक भारतीय को नियुक्त किया जाएगा.
यह बैंक चीन में स्थापित किया जाएगा और इसका एक क्षेत्रीय कार्यालय दक्षिण अफ़्रीक़ा में होगा.
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